कॉंग्रेस विधायकों का इस्तीफा प्रकरण, हंगामे के बीच अध्यक्ष सी पी जोशी बोले- मुझे डिक्टेट नहीं कर सकते, राजेन्द्र राठौड़ के खिलाफ विधायक संयम लोढ़ा का विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव
जयपुर: कांग्रेस विधायक दल की बैठक से नाराज विधायकों के इस्तीफों के मामले ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत-पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट गुट और हाइकोर्ट के बाद अब पक्ष-विपक्ष के बीच लड़ाई बढ़ा दी है। मामला हाईकोर्ट ले जाने को लेकर उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ के खिलाफ निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा ने विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव पेश किया, जिसको लेकर विधानसभा में हंगामा हुआ। विधानसभा अध्यक्ष सी पी जोशी की नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया और राठौड़ से तीखी बहस हुई। विधानसभा अध्यक्ष ने इसी बीच कहा कि मेरे अधिकार को चैलेेंज नहीं कर सकते। मुझे डिक्टेट नहीं करें। सोचकर सदन में निर्णय किया जाएगा। प्रश्नकाल के बाद लोढ़ा ने प्रस्ताव की ओर ध्यान दिलाया तो अध्यक्ष ने शून्यकाल तक टाल दिया।
विपक्ष बोला- इस्तीफे कैसे हुए कैसे वापस हुए, यह भी बताएं
शून्यकाल के बाद लोढ़ा के खड़े होने पर 14 मिनट तक हंगामा चला। नोक-झोंक के बीच लोढ़ा ने नियम 157 के तहत प्रस्ताव रखा। उन्होंने कहा, क्या हाइकोर्ट विधानसभा को डिक्टेट कर सकता है? मामला कोर्ट ले जाकर राजस्थान की 7 करोड़ जनता का अपमान किया। लोढ़ा को अनुमति मिलते ही भाजपा सदस्य नारेबाजी करने लगे, राठौड़ वैल में आ गए। राठौड़ ने कहा कि विधानसभा के इतिहास में ऐसा दूसरी बार हो रहा है। पहली बार 70 के दशक में जब प्रस्ताव आया था तब उसी दिन चर्चा हुई। सत्तापक्ष की लड़ाई ढकने के लिए यह कदम उठाया है। जोशी ने किताब दिखाते हुए कहा, विधायिका, न्यायपालिका व कार्यपालिका के अधिकार तय हैं,। उन्होंने नियम 157 पढ़ा और कहा कि सदन नियम से ही चलेगा। कोई वरिष्ठ है तो उसके हिसाब से नहीं चलेगा। नियम के तहत अनुमति देने का अधिकार है। राठौड़ ने कहा कि नियम 160, 161 भी देखें, तो अध्यक्ष बोले, हाफ लिटरेट होने से काम नहीं चलेगा। पूरा पढ़ना होगा। लोगों को जानकारी नहीं है कि प्रस्ताव कैसे लाया जाता है? राठौड़ ने कहा, लोगों को पता नहीं कि इस्तीफे कैसे हुए, कैसे वापस हुए, यह भी बताएं। कोर्ट में लंबित मामले पर विधानसभा में विचार नहीं हो सकता। यह प्रस्ताव सदन का दुरुपयोग है।