पाकिस्तानी की मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, रावलपिंडी की अदियाली जेल से रिहा होने के कुछ मिनट बाद ही उन्हें दोबारा गिरफ्तार कर लिया गया। कुरैशी के रिहा होते ही मुसर्रत चीमा को भी गिरफ्तार किया गया था। जेल से छूटते ही पाकिस्तानी पूर्व विदेश मंत्री ने कहा कि वह अभी भी पीटीआई का हिस्सा हैं और रहेंगे।
नई दिल्ली: पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री और पीटीआई के वरिष्ठ नेता महमूद कुरैशी को पाकिस्तानी सरकार ने नजरबंद कर दिया है। इसके अलावा सरकार ने कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए पीटीआई नेता जमशेद चीमा और उनकी पत्नी मुसर्रत चीमा को भी नजरबंद किया है। पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक, रावलपिंडी आयुक्त ने पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के साथी नेताओं को नजरबंद करने के आदेश जारी किए हैं। पाकिस्तान के मेंटेनेंस ऑफ पब्लिक ऑर्डर की धारा तीन के तहत रावलपिंडी कमिश्नर ने नजरबंद के आदेश दिए हैं। बता दें, पूर्व मंत्री कुरैशी और पीटीआई नेता जमशेद चीमा और उनकी पत्नी मुसर्रत को 15 दिनों तक नजरबंद करने के आदेश दिए गए हैं।
कुछ मिनट बाद ही उन्हें दोबारा गिरफ्तार कर लिया
पाकिस्तानी की मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, रावलपिंडी की अदियाली जेल से रिहा होने के कुछ मिनट बाद ही उन्हें दोबारा गिरफ्तार कर लिया गया। कुरैशी के रिहा होते ही मुसर्रत चीमा को भी गिरफ्तार किया गया था। जेल से छूटते ही पाकिस्तानी पूर्व विदेश मंत्री ने कहा कि वह अभी भी पीटीआई का हिस्सा हैं और रहेंगे। पीटीआई के उपाध्यक्ष शिरीन मजारी ने पहले कहा था कि वह पार्टी छोड़कर राजनीति छोड़ देंगे, जिसके कुछ घंटों बाद ही उन्होंने एलान किया कि वह पार्टी में ही शामिल रहेंगे।
इस्लामाबाद हाईकोर्ट में कुरैशी ने हलफनामा दिया था कि वह न तो अब आंदोलन करेंगे न ही वह कार्यकर्ता को भड़काएंगे। इसके बाद हाईकोर्ट ने उनकी रिहाई के आदेश दिए थे। पुलिस ने पूर्व विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी को पंजाब और खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत में दंगों और आगजनी के मामलों में गिरफ्तार किया था
हिंसा के बाद कुरैशी को किया गिरफ्तार
9 मई को पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए थे। गिरफ्तार किए गए पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के शीर्ष नेताओं में कुरैशी भी शामिल थे। खान के समर्थकों ने लाहौर कॉर्प्स कमांडर हाउस, मियांवाली एयरबेस, फैसलाबाद में आईएसआई भवन सहित एक दर्जन सैन्य प्रतिष्ठानों में तोड़फोड़ की और संवेदनशील रक्षा प्रतिष्ठानों को भी आग लगा दी थी। इमरान समर्थकों ने रावलपिंडी में सेना मुख्यालय (जीएचक्यू) पर भी हमला किया था।