किसी समय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और गांधी परिवार के करीबी सहयोगी रहे गुलाम नबी आजाद ने नई संसद के उद्घाटन समारोह में उपस्थित रहने पर सहमति जताई.
नई दिल्ली: आगामी 28 मई को देश को नई संसद भवन का उद्घाटन पीएम मोदी के हाथों होना है. कांग्रेस और समान विचार धारा की पार्टियां इस समारोह का विरोध कर रही हैं. उनके विरोध पर अब पूर्व कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने विपक्षी पार्टियों के इस रुख की आलोचना की है.
गुलाम नबी आजाद ने कहा, मुझे समझ में नहीं आता है कि आखिर क्यों विपक्षी पार्टियां चिल्ला रही हैं, जबकि उनको तो खुश होना चाहिए कि देश को नई संसद मिल रही है. नबी ने कहा, अगर मैं दिल्ली में होता तो नए संसद भवन के उद्घाटन कार्यक्रम में जरूर शामिल होता. विपक्ष को रिकॉर्ड समय में नई संसद बनाने के लिए सरकार की प्रशंसा करनी चाहिए, जबकि वे सरकार की आलोचना कर रहे हैं. मैं विपक्ष द्वारा इसका बहिष्कार करने के सख्त खिलाफ हूं.
मैंने 35 साल पहले देखा था नई संसद का सपना
गुलाम नबी आजाद ने कहा, जब वह नरसिम्हा राव की सरकार में केंद्रीय संसदीय मंत्री थे तब उन्होंने नई संसद के निर्माण का सपना देखा था. उन्होंने कहा, मैंने तात्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव से नई संसद बनाने के बारे में चर्चा की थी, बल्कि एक नक्शा भी बनाया था लेकिन हम तब बना नहीं पाए थे. उन्होंने कहा देश की आजादी के बाद, देश की आबादी 5 गुना अधिक बढ़ गई है, उसी हिसाब से प्रतिनिधियों की संख्या भी बढ़ी है. गुलाम नबी आजाद ने कहा, इसलिए नई संसद भवन बननी ही बननी थी.
‘अगर राष्ट्रपति से इतना ही प्रेम था तो…’
आजाद ने आगे कहा, मैं नई संसद के उद्घाटन के बेवजह विवाद के खिलाफ हूं. विपक्ष के पास मुद्दों की कमी नहीं है वह गलत मुद्दे उठा रहा है. और अगर विपक्ष को राष्ट्रपति से इतना ही प्रेम था तो उसने उनके खिलाफ कैंडिडेट क्यों खड़ा किया था.