Maru Pradesh in Rajasthan: क्या चुनाव से पहले टूट जाएगा राजस्थान, संसद के विशेष सत्र से पहले अचानक से क्यों उठी अलग मरु प्रदेश की मांग

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जयपुर: राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने में अब केवल तीन से चार महीनों का समय बचा है। जिसको लेकर सभी राजनीति पार्टियां सक्रिय है। चुनाव के चलते विपक्ष एक दूसरे पर लगातार कटाक्ष कस रहा है। तो वही, सभी पार्टी के नेता-मंत्री प्रदेश में लगातार दौरा कर रहे है। खबर है कि सियासी चर्चाओं के बीच एक बार फिर मरूप्रदेश की मांग ने तूल पकड़ लिया है। पता हो कि इसी साल राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 19 नए जिलों का गठन किया है। तो वहीं संसद के विशेष सत्र के आगाज के दौरान ही देश में तीन नए राज्यों के गठन को लेकर चर्चाएं शुरू हो गई है।

ऐतिहासिक रहने वाला है यह सत्र
आपको बता दें कि पश्चिमी राजस्थान के विकास को लेकर इसकी लंबे समय से मांग है। राजस्थान में नए जिलों के गठन के साथ ही एक बार फिर नए राज्य की आस भी एक बार फिर से उजागर हो गई है। इसी विशेष सत्र के आगाज पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा है “यह सत्र ऐतिहासिक रहने वाला है, लिहाजा ऐसे में दावे किए जा रहे हैं कि इस संसद सत्र के दौरान अयोध्या, मुंबई और मरूप्रदेश को नए प्रदेश के रूप में गठन को लेकर सरकार बिल ला सकती है। हालांकि इस मसले पर आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है।”

इन जिलों से हो रही मरूप्रदेश में शामिल करने की मांग
बता दें कि अगर राजस्थान से अलग होकर मरूप्रदेश अस्तित्व में आता है तो इसमें तकरीबन 20 जिले शामिल होंगे। श्री गंगानगर, चूरू, अनूपगढ़, बीकानेर, हनुमानगढ़, झुंझुनू, डीडवाना कुचामन, नागौर, फलोदी, जैसलमेर, नीम का थाना, जोधपुर, जोधपुर ग्रामीण, बालोतरा, जालौर, सांचौर, बाड़मेर और सिरोही को शामिल करने की मांग है।

सोशल मीडिया पर अचानक हो रहा मरु प्रदेश ट्रेंड
इसके अलावा अगर यह प्रदेश अस्तित्व में आता है तो, यह दुनिया का 9वां गम भूभाग होगा। इसके साथ ही देश का 14.65% खनिज उत्पादन इसी क्षेत्र से होता है। तो वहीं, देश की 27 प्रतिशत तेल और गैस की आपूर्ति भी इसी क्षेत्र से की जाती है। अगर जनसंख्या की बात की जाए तो इस क्षेत्र में 2 करोड़ 85 लाख से ज्यादा लोग रहते हैं, जबकि क्षेत्र की साक्षरता दर 63 फ़ीसदी से ज्यादा है। 18 सितंबर को सोशल मीडिया पर हमारी मंगरु प्रदेश भी ट्रेड करता रहा।

बीकानेर स्टेट ने की थी अलग से मरूप्रदेश बनाने की मांग
आपको बता दें कि मरूप्रदेश की मांग राजस्थान के अस्तित्व में आने के साथ से ही रही है। कहा जाता है कि जब राजस्थान का गठन किया जा रहा था, तब जोधपुर और बीकानेर स्टेट ने अलग से मरूप्रदेश बनाने की मांग रखी थी। जिसका समर्थन उसे वक्त के तत्कालीन जोधपुर महाराज हनुंमत सिंह ने भी की थी। हालांकि अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर की सुरक्षा का हवाला देते हुए इस मांग को उसे वक्त खारिज कर दिया गया था। हालांकि साल 2000 में अटल बिहारी वाजपेई सरकार के दौरान जब देश में तीन नए राज्य अस्तित्व में आए तो उसे वक्त के तत्कालीन उपराष्ट्रपति भैरव सिंह शेखावत ने भी पत्र लिखकर मरूप्रदेश की मांग उठाई थी। हालांकि इस मांग पर कभी भी गंभीरता से विचार नहीं किया गया।

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