बलूच कार्यकर्ता करीमा की संदिग्ध मौत पर बलूच मानवाधिकार परिषद ने प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो पर सवाल खड़ा किया है. संगठन का मानना है कि कनाडा सरकार इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रही है.
नई दिल्ली: कनाडा में बलूच कार्यकर्ता करीमा बलूच की संदिग्ध मौत पर प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने चुप्पी साध ली है. सिद्धांत सिब्बल नाम के एक बलूच नेता ने कनाडाई सरकार के तरीके पर चिंता जताई. उन्होंने कहा कि ट्रूडो की चुप्पी खालिस्तानी निज्जर की मौत के बिल्कुल विपरीत है. कनाडा की बलूच मानवाधिकार परिषद ने बलूचिस्तान अधिकार कार्यकर्ता करीमा बलूच की रहस्यमय मौत पर अपनी प्रतिक्रिया में कनाडाई सरकार की कथित विसंगतियों के बारे में गहरी चिंता व्यक्त की है.गौरतलब है कि कनाडा सरकार और टोरंटो पुलिस दोनों को बलूच कार्यकर्ता को आईएसआई से मिली मौत की धमकी के बारे में अच्छी तरह से जानकारी थी. बीएचआरसी का मानना है कि करीम बलूच की मौत पर प्रधानमंत्री इसलिए चुप हैं क्योंकि कनाडा में बलूच समुदाय अपेक्षाकृत छोटा है और चुनाव में कम प्रभावकारी है.
बता दें कि कनाडा स्थित खालिस्तान समर्थक कट्टरपंथी हरदीप सिंह निज्जर की कनाडा के पंजाबी बहुल सरे शहर में दो अज्ञात बंदूकधारियों ने गुरु नानक सिख गुरुद्वारा परिसर में गोली मारकर हत्या कर दी थी. भारत सरकार ने इसे ‘वांछित आतंकवादी’ घोषित किया था. वह भारत से बाहर मौजूद कई खालिस्तानी आतंकियों में से एक था. निज्जर की हत्या के बाद कनाडा के पीएम मुखर हैं और भारत का हाथ होने का संदेश व्यक्त कर रहे हैं. इसको लेकर दोनों देशों में तनाव है.
बता दें कि निज्जर खालिस्तान टाइगर फोर्स का प्रमुख था. कई खालिस्तान समर्थक नेता पाकिस्तान के अलावा कनाडा, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया से अलगाववादी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं, जहां एक बड़ा सिख प्रवासी समुदाय रहता है. एनआईए के रडार पर प्रमुख प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन, सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) है, जिसकी स्थापना गुरपतवंत सिंह पन्नून ने की थी, जो अब कनाडा से काम कर रहा है, वहीं, लखबीर सिंह संधू उर्फ लांडा, और हरविंदर सिंह संधू उर्फ रिंदा, दोनों आईएसआई समर्थित गुर्गे हैं जो भारत में बब्बर खालसा इंटरनेशनल (बीकेआई) की आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा दे रहे हैं.