राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत मंत्रिमंडल में फेरबदल की तैयारी कर रहे हैं। वहीं पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट पायलट खेमे की रणनीति है कि इस बार सोनिया और राहुल से युवा विधायक मुलाकात कर नेतृत्व परिवर्तन की मांग करेंगे।
राजस्थान में एक बार फिर से मंत्रिमंडल पुनर्गठन की चर्चाएं जोरों पर हैं. सियासी हलकों में यह कहा जा रहा है कि अगस्त महीने में बड़ा सियासी फेरबदल देखने को मिलेगा. इसे कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी अजय माकन के पिछले साल दिए गए बयान से भी जोड़कर देखा जा रहा है. दरअसल नवंबर महीने में जब मंत्रिमंडल विस्तार हुआ था तब अजय माकन ने अपने संबोधन में कहा था कि जून-जुलाई के आसपास एक और रिशफल होगा जिसमें परफॉर्मेंस के आधार पर नाम तय होंगे. अब जुलाई बीतने को है और माना जा रहा है कि अगस्त महीने में यह पुनर्गठन हो जाएगा.
पहले जुलाई महीने में ही यह पुनर्गठन होने की संभावना जताई जा रही थी, लेकिन जुलाई महीने में कांग्रेस विरोध-प्रदर्शनों में उलझी रही. राहुल गांधी और सोनिया गांधी से ईडी की पूछताछ के चलते पूरी पार्टी ही इसमें व्यस्त रही. लिहाजा अब अगस्त में मंत्रिमंडल पुनर्गठन की संभावना जताई जा रही है.
पहले होगा कामकाज का रिव्यू
इस पुनर्गठन से पहले सीएम अशोक गहलोत सभी विभागों के कामकाज का रिव्यू भी करेंगे. इस रिव्यू बैठक में मंत्रियों को अपने विभाग में हुए कामकाज का ब्योरा देना होगा. पहले 21-22 जुलाई को यह रिव्यू होना था, लेकिन अब अगस्त में ही यह रिव्यू बैठक भी होगी. इस समीक्षा के आधार पर मंत्रियों की परफॉर्मेंस का आकलन किया जा सकता है. परफॉर्मेंस के आधार पर फिसड्डी मंत्री मंत्रिमंडल से बाहर होंगे और उनकी जगह नए चेहरों को मंत्रिमंडल में जगह मिल पाएगी. इस पुनर्गठन के जरिए असंतोष को थामने की भी कवायद होगी. दरअसल कई विधायक मंत्रिमंडल में शामिल होने की आस संजोए बैठे हैं और ये बार-बार अपने बयानों के जरिए सरकार और पार्टी के लिए मुश्किलें भी खड़ी करते रहते हैं. अब मंत्रिमंडल में जगह देकर इन्हें शांत करने की कोशिश हो सकती है.
अब 2023 के विधानसभा चुनाव में भी केवल सवा साल का ही वक्त बचा है, लिहाजा यह आखिरी मंत्रिमंडल पुनर्गठन भी होगा. हाल ही में कई विधायकों की ओर से हो रही बयानबाजी भी इसी से जोड़कर देखी जा रही है और इसे प्रेशर पॉलीटिक्स बताया जा रहा है. इससे पहले पिछले साल नवम्बर में मंत्रिमंडल विस्तार हुआ था जिसमें नए चेहरों की एंट्री हुई थी. इस विस्तार के बाद भी कई विधायकों में नाराजगी देखी गई थी. अब जब फिर से पुनर्गठन होगा तो नाराजगी को थामना बड़ी चुनौती होगी.
मंत्रियों पर लग रहे आरोपों से नाखुश हैं सीएम
सीएम अशोक गहलोत भाया, बिश्नोई और जाहिदा पर लग रहे आरोपों से नाखुश हैं। गहलोत अपनी स्वच्छ छवि को लेकर बेहद सजग हैं। मौजूदा कार्यकाल में उन्होंने दागदार छवि वाले किसी नेता को अपने निकट नहीं आने दिया। जातिगत समीकरणों के कारण भाया, जाहिदा और बिश्नोई को मंत्री बनाया गया था। भाया के खिलाफ लंबे समय से अवैध खनन करवाने का आरोप लग रहा है। कांग्रेस के ही वरिष्ठ विधायक भरत सिंह भाया के खिलाफ धरना देने के साथ ही सीएम को कई पत्र लिख चुके हैं। भरतपुर जिले के पसौपा गांव में स्थित कनकांचल और आदिबद्री पहाड़ियों पर खनन को लेकर जाहिदा पर आरोप लगे हैं। खनन के विरोध में संत विजयदास (Sant Vijaydas) ने आत्मदाह का प्रयास किया और उनकी मौत भी हो गई। बिश्नोई पर भ्रष्टाचार के आरोप कांग्रेस के नेता ही लगा रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, अब तक गृह विभाग का जिम्मा संभाल रहे सीएम इस यह प्रभार किसी अन्य मंत्री को दे सकते हैं.
राजनीतिक नियुक्तियों पर कसरत
राजस्थान (Rajasthan) में एक तरफ तो पायलट खेमा सरकार में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर आलाकमान पर दबाव बना रहा है। वहीं, दूसरी तरफ सीएम राजनीतिक नियुक्तियों की तीसरी सूची जारी करने को लेकर कसरत कर रहे हैं। इस बार नगर विकास न्यास, विभिन्न अकादमियों में अध्यक्ष और सदस्य बनाए जाएंगे। जिला स्तर की कमेटियां भी गठित होगी।