आज हम आपको हिन्दू धर्म में लगाए जाने वाले अलग-अलग तिलकों और उनके महत्व के बारे में बताने जा रहे हैं।
जयपुर: हिन्दू धर्म में तिलक लगाना बहुत महत्वपूर्ण और विशेष माना जाता है। बिना तिलक के पूजा, यज्ञ, अनुष्ठान आदि अपूर्ण माने जाते हैं। तिलक लगाना न सिर्फ शुभ होता है बल्कि इसे लगाने से पूजा का फल भी पूर्ण रूप से मिलता है। तिलक लगाने के स्वास्थ्य लाभ भी होते हैं। तिलक संस्कृत शब्द ‘तिल’ से बना है।
क्यों लगाया जाता है तिलक?
भारत में कई सम्प्रदाय हैं और हर सम्प्रदाय का अपना एक स्वरूप है। उस स्वरूप को मस्तक पर धारण करना ही तिलक कहलाता है। यानी की तिलक लगाने से यह पहचान होती है की व्यक्ति किस सम्प्रदाय से दीक्षित है यानी की उसने किस सम्प्रदाय से आध्यात्म की दीक्षा प्राप्त की है।
कहां लगाया जाता है तिलक?
तिलक को मस्तक के अलावा, कंठ और नाभि पर भी लगाया जाता है। इसके साथ, ही पीठ, भुजाएं छाती पर भी तिलक लगाने की परंपरा है। हालांकि मस्तक को छोड़ कर अन्य कहीं भी तिलक तभी लगाया जाता है जब व्यक्ति दीक्षित हो।
- कितने तरह के तिलक लगाए जाते हैं?
- हिन्दू धर्म में यूं तो तिलक के प्रकारों की कोई गिनती नहीं है लेकिन मुख्यरूप से तीन तरह के तिलक होते हैं- वैष्णव तिलक (वैष्णव तिलक का महत्व), शैव तिलक और ब्रह्म तिलक।
- इन तीन प्रकार के तिलकों के भीतर अनेकों सम्प्रदाय के अपने-अपने अलग तिलक हैं।
- वैष्णव तिलक वह लगाते हैं जो भगवान विष्णु के अनुयायी होते हैं। भगवान विष्णु और उनके अवतारों जैसे कि श्री कृष्ण, श्री राम, प्रभु नरसिंह, वामन देव आदि की पूजा करते हैं।
- शैव तिलक वह लगाते हैं जो भगवान शिव के उपासक होते हैं। भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने वाले सात्विक गृहस्थी से लेकर तांत्रिक तक शैव तिलक अर्थात त्रिपुंड धारण करते हैं।
- वहीं, ब्रह्म तिलक अधिकतर मंदिर के पुजारी या ब्राह्मणों द्वारा लगाया जाता है। इसके अलावा, ब्रह्म देव की पूजा-आराधना करने वाले गृहस्थी भी ब्रह्म तिलक धारण करते हैं।
- वैष्णव तिलक पीले रंग का होता है जिसे गोपी चंदन से लगाते हैं तो वहीं, शैव तिलक काले या लाल रंग का होता है जिसे रोली से लगाया जाता है। ब्रह्म तिलक सफेद रंग का होता है जिसे रोली से लगाते हैं।
- तो ये थे हिन्दू धर्म में लगाए जाने वाले अलग-अलग प्रकार के तिलक और उनका महत्व। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर जरूर शेयर करे.