Sundar Pichai Birthday: How was Sundar Pichai's journey from IIT to CEO of Google?

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सुंदर पिचाई की पूरा नाम, पिचाई सुंदरराजन है. पिचाई का जन्म भारत के एक सामान्य परिवार में ही हुआ था. बचपन में उनके पास आज जितनी सुख सुविधाएं नहीं हुआ करती थीं. उन्होंने कड़ी मेहनत की और इस मुकाम तक पहुंचे.
नई दिल्ली. गूगल के पहले भारतीय सीईओ सुंदर पिचाई (Sundar Pichai) आज अपना 50वां जन्मदिन मना रहे हैं. तमिलनाडु में जन्मे सुंदर पिचाई साल 2015 में दुनिया की दिग्गज आईटी कंपनी गूगल के सीईओ बने. वह पहले भारतीय मूल के नागरिक थे जिन्हें गूगल में सबसे बड़ी जिम्मेदारी मिली है. बचपन में उनके पास आज जितनी सुख सुविधाएं नहीं हुआ करती थीं.
उन्होंने कड़ी मेहनत की और इस मुकाम तक पहुंचे. पिचाई की सफलता का सफर इतना भी आसान नहीं रहा है. उनका सफर बेहद प्रेरणादायक है. आइए जानते हैं उनसे जुड़ी कई दिलचस्प बातें…


स्कॉलरशिप पर की विदेश में पढ़ाई
10 जून 1972 को सुंदर पिचाई का जन्म तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में हुआ. मध्यवर्गीय परिवार में पैदा हुए सुंदर पिचाई के पिता इलेक्ट्रिक इंजीनियर थे, लेकिन वे इतने भी सक्षम नहीं थे कि उन्हें बेहतर शिक्षा दिला सकें. सुंदर पिचाई ने 1993 में आईआईटी खड़गपुर से बीटेक किया है.
इसके बाद स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से एमएस और व्हार्टन स्कूल से एमबीए किया. व्हार्टन स्कूल में पढ़ाई के दौरान उन्हें दो स्कॉलरशिप मिली.

2015 में बने गूगल के सीईओ
साल 2004 में सुंदर पिचाई ने गूगल ज्वाइन किया. जहां उन्होंने गूगल टूलबार और क्रोम को विकसित करने में अहम भूमिका निभाई. कुछ ही सालों में गूगल क्रोम दुनिया का सबसे पॉपुलर इंटरनेट ब्राउजर बन गया.
2014 में उन्हें गूगल के सभी प्रोडक्ट और प्लेटफॉर्म से जुड़ी अहम जिम्मेदारी सौंपी गई. इस दौरान उनके पास लोकप्रिय प्रॉडक्ट्स जैसे गूगल टूलबार, क्रोम, डेस्कटॉप सर्च, गैजेट्स, गूगल पैक, गूगल गियर्स, फायरफॉक्स एक्सटेंशन आदि चार्ज रहा.
2015 में वह वक्त आया जब उन्हें गूगल का सीईओ बनाया गया.

पिता की एक साल की सैलरी से खरीदा था टिकट
2020 की यूट्यूब डियर क्लास वर्चुअल सेरेमनी में सुंदर पिचाई ने कहा था, “10 साल की उम्र तक मुझे टेलीफोन नहीं मिला.
अमेरिका आने तक मुझे नियमित रूप से कंप्यूटर पर काम करने का मौका नहीं मिला. वहीं टीवी पर हमें सिर्फ एक ही चैनल देखने को मिलता था.”
अपने पुराने दिनों को याद करते हुए सुंदर पिचाई ने एक बार कहा था, “अमेरिका आने के लिए मुझे अपने पिता की एक साल की सैलरी खर्च करनी पड़ी तब जाकर मैं स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी पहुंच सका. इस वक्त मैं पहली बार प्लेन में बैठा था.
अमेरिका बहुत महंगा था. भारत में घर पर फोन लगाने के लिए 1 मिनट का 2 अमेरिकी डॉलर से ज्यादा देना पड़ता था.”पिता की एक साल की सैलरी से खरीदा था टिकट

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