Russia-Ukrain War: रूस ने ब्रिज का बदला नोवा कखोवका डेम उड़ा के लिया, यूक्रेन पर परमाणु आपदा का खतरा मंडराया

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यूक्रेन का नोवा कखोवका बांध विस्फोट के कारण टूट गया है। इस कारण रूसी कब्जे वाले यूक्रेनी इलाकों में तेजी से पानी भर रहा है। निचले इलाकों में रहने वाले हजारों लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया गया है। अभी तक यह साफ नहीं हुआ है कि बांध पर हुए विस्फोट के पीछे किस देश का हाथ है।

कीव: दक्षिणी यूक्रेन के रूस के नियंत्रण वाले हिस्से में मौजूद नोवा कखोवका बांध पर हमला हुआ है। इस हमले में निप्रो नदी पर बने बांध का एक बड़ा हिस्सा टूट गया है। इससे दक्षिणी यूक्रेन के निचले इलाकों में रहने वाले लोगों पर बाढ़ का खतरा पैदा हो गया है। यूक्रेनी और रूसी अधिकारियों ने नोवा कखोवका बांध के पास स्थानीय समुदायों से क्षेत्र को तुरंत खाली करने का आग्रह किया है। बड़ी संख्या में लोगों को ऊपरी स्थानों पर भेजा जा रहा है। बांध के टूटने से पानी की चौड़ी धार बह रही है। यह बांध मंगलवार सुबह नष्ट हुआ, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि नोवा कखोवका बांध पर किसने हमला किया था। हालांकि, बांध टूटने की वजह विस्फोट को माना जा रहा है। रूसी और यूक्रेनी अधिकारियों ने एक दूसरे पर नोवा कखोवका बांध को उड़ाने का आरोप लगाया है।

नोवा कखोवका बांध को किसने उड़ाया
यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की ने रूसी आतंकवादियों पर बांध को नष्ट करने का आरोप लगाया है। उन्होंन कहा कि यह घटना साबित करती है कि रूसियों को यूक्रेनी भूमि के हर कोने से बाहर निकाल फेंकना चाहिए। उन्होंने ट्वीट में लिखा कि उनके लिए एक मीटर भी नहीं छोड़ा जाना चाहिए, क्योंकि वे आतंक के लिए हर मीटर का इस्तेमाल करते हैं। आतंकवादी यूक्रेन को पानी, मिसाइल या किसी और चीज से नहीं रोक पाएंगे। वहीं, नोवा कखोवका में तैनात एक रूसी अधिकारी व्लादिमीर लियोन्टेव ने रूसी सरकारी टीवी को बताया कि बांध को नुकसान यूक्रेनी हमलों के कारण पहुंचा है। हालांकि, जेपोरिजिया में तैनात एक अन्य रूसी अधिकारी व्लादिमीर रोगोव ने कहा कि बांध पहले की क्षतिग्रस्त था और पानी के दबाव के कारण ढह गया।

नोवा कखोवका बांध को कौन नियंत्रित करता है?
नोवा कखोवका बांध यूक्रेन के खेरसॉन शहर के पास रूसी-नियंत्रित क्षेत्र में स्थित है। रूसी सेना ने मार्च 2022 में खेरसॉन पर कब्जा कर लिया था, लेकिन यूक्रेन ने जवाबी हमला कर नवंबर 2022 में इसे रूसी कब्जे से छुड़ा लिया था। इसके बाद रूसी सेना नीप्रो नदी के दक्षिणी तट पर पीछे हट गई थी। रूस अभी भी बांध से नीचे की ओर दक्षिणी तट पर अधिकांश क्षेत्र को नियंत्रित करता है, जबकि यूक्रेन नदी के उत्तर में मौजूद है। ऐसे में बांध के टूटने से सबसे ज्यादा नुकसान रूस को हो रहा है। बांध का पानी रूस नियंत्रित हिस्से में प्रवेश कर रहा है, जो नीचे की ओर मौजूद है। इससे रूसी टैंकों और तोपों समेत पैदल सेना को ऑपरेशन को अंजाम देने में मुश्किलें आ रही हैं।

नोवा कखोवका बांध क्यों महत्वपूर्ण हैं?
नोवा कखोवका बांध 30 मीटर (98 फीट) लंबा और 3.2 किमी (2 मील) लंबा है। इसे कखोवका पनबिजली संयंत्र के हिस्से के रूप में नीप्रो नदी पर 1956 में बनाया गया था। यह दक्षिण-पूर्वी यूक्रेन के बड़े क्षेत्रों के साथ-साथ रूसी कब्जे वाले क्रीमिया प्रायद्वीप को पानी की आपूर्ति करता है। इसी बांध के जलाशय से जेपोरिजिया परमाणु ऊर्जा संयंत्र (ZNPP) में छह रिएक्टरों के शीतलन के लिए इस्तेमाल किए जाने वाला पानी भी प्रदान करता है। यह यूरोप का सबसे बड़ा परमाणु ऊर्जा संयंत्र भी है। अगर परमाणु ऊर्जा संयंत्र को पानी की कमी होती है तो उसरे रिएक्टर गर्म हो सकते हैं, जिससे विस्फोट की संभावना कई गुना बढ़ जाएगी।

जेपोरिजिया परमाणु ऊर्जा संयंत्र को क्या खतरा
रूस और यूक्रेन दोनों पक्षों ने बयान जारी किया है कि जेपोरिजिया परमाणु ऊर्जा संयंत्र को कोई खतरा नहीं है। इस बीच यूक्रेन की राज्य परमाणु ऊर्जा एजेंसी Energoatom ने कहा है कि हाल की घटनाओं से परमाणु संयंत्र के लिए जोखिम पैदा हो गया है। वहीं, रूस की परमाणु ऊर्जा कंपनी रोसाटॉम ने कहा कि जेपोरिजिया परमाणु ऊर्जा संयंत्र को कोई खतरा नहीं है। दुनियाभर में परमाणु ऊर्जा संयंत्रों पर नजर रखने वाली अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने ट्विटर पर कहा कि यह स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहा है लेकिन संयंत्र को कोई तत्काल सुरक्षा जोखिम नहीं है। IAEA के प्रमुख राफेल ग्रॉसी ने कहा कि बांध के जलाशय के ऊपर स्थित एक तालाब से संयंत्र में पानी की सप्लाई कुछ महीने तक चालू रह सकती है।

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