यशवंत सिन्हा ने राष्ट्रपति चुनाव को सिद्धांतों की लड़ाई बताया
राष्ट्रपति चुनाव (Presidential Election) में विपक्ष का उम्मीदवार बनें यशवंत सिन्हा (Yashwant sinha) का कहना है कि वह जीत की तमन्ना लेकर मैदान में आए हैं.
उन्होंने सभी विपक्षी दलों (Opposition Parties) का धन्यवाद किया और कहा कि ये सिद्धांतों की लड़ाई है. सिन्हा ने कहा, “जिन दो तीन प्रतिशत को बीजेपी (Bjp) अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रही है, मैं भी उन्हें अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रहा हूं.”
उन्होंने कहा, “मैं बीजेपी के लोगों से भी बात करूंगा (हंसते हुए) अपने पक्ष में वोट के लिए.”
यशवंत सिन्हा का राजनीतिक सफर
बता दें आज राष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष के उम्मीदवार बनें यशवंत सिन्हा का राजनीतिक सफर कई पार्टियों से होकर गुजरा है. बिहार में पैदा हुए और बिहार-कैडर के आईएएस अधिकारी, सिन्हा ने 1984 में प्रशासनिक सेवा छोड़ दी और जनता पार्टी (Janata Party) में शामिल हो गए।
सिन्हा 1988 में राज्यसभा के सदस्य बने। बाद में वह जनता दल (Janata Dal) से जुड़े और चंद्रशेखर (Chandra Shekhar) सरकार में वित्त मंत्री भी रहे. बाद में बीजेपी में शामिल हो गए. बीजेपी में सिन्हा का ग्राफ काफी तेजी से बढ़ा वह वाजपेयी सरकार में वित्त और विदेश मंत्री रहे. 2018 में उन्होंने बीजेपी भी छोड़ दी और 2021 में तृणमूल कांग्रेस (TMC) में शामिल हो गए.
द्रौपदी मुर्मू की उम्मीदवारी पर
एनडीए द्वारा झारखंड की पूर्व राज्यपाल और आदिवासी नेता द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) को राष्ट्रपति (President) पद का उम्मीदवार बनाए जाने पर उन्होंने कहा कि यही कहना चाहता हूं कि मेरी लड़ाई उनसे (द्रौपदी मुर्मू) नहीं है बल्कि सिद्धांतों से है और जीत मेरी ही होगी.
उन्होंने कहा, जो लोग मुझ पर इस बात का दबाव बना रहे हैं कि पहली बार आदिवासी समाज से आए उम्मीदवार को जीतने दिया जाए तो उनसे मैं यही कहना चाहता हूं कि जहां बात देश की दिशा ठीक करने की हो वहां ये मुद्दे छोटे हो जाते हैं.
यशवंत सिन्हा ने कहा, मैं देश की लोगों से कहना चाहूंगा कि वो सीधे इस चुनाव में भले ही हिस्सेदारी न कर रहे हों, लेकिन वो अपने नेताओं पर मेरे पक्ष में दबाव बनाएं.