BJP का ऑपरेशन लोटस MP के बाद महाराष्ट्र में रिपीट: जीते बगैर सत्ता हथियाने मे माहिर BJP, जिस तरह कमलनाथ सरकार को गिराया , यही सीन महाराष्ट्र में

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मध्यप्रदेश का सियासी चैप्टर महाराष्ट्र में दोहराया जा रहा है। साल 2018 में जिस तरह ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ 22 विधायकों ने कांग्रेस से बगावत की… विधायक भोपाल से बेंगलुरु शिफ्ट किए गए… ठीक वैसा ही सीन अब महाराष्ट्र में भी देखा जा रहा है।
एकनाथ शिंदे विधायकों को लेकर सूरत में कैंप किए रहे। बाद में विधायक गुवाहाटी (असम) शिफ्ट कर दिए गए।

यानी साफ कहा जाए तो MP की तरह महाराष्ट्र में भी BJP ने पॉलिटिकल ड्रामे की स्क्रिप्ट तैयार कर रखी है। मध्यप्रदेश में हो चुकी और महाराष्ट्र में अब हो रही सियासी उथल-पुथल में बहुत कुछ समान है

सिंधिया की तरह शिंदे की सीएम बनने की महत्वाकांक्षा

MP में ज्योतिरादित्य सिंधिया की महत्वाकांक्षा मुख्यमंत्री बनने की थी। महाराष्ट्र में भी एकनाथ शिंदे, उद्धव ठाकरे की जगह खुद मुख्यमंत्री बनना चाहते थे। दोनों राज्यों में बगावत की एक जैसी वजह बनी। फर्क सिर्फ इतना है कि सिंधिया-कमलनाथ विवाद सड़क पर आ गया था। महाराष्ट्र में शिंदे की नाराजगी सामने नहीं आई।

मध्यप्रदेश में राज्यसभा चुनाव में दूसरे नंबर का उम्मीदवार बनाए जाने पर सिंधिया को हार जाने की आशंका थी। इसलिए चुनाव से पहले ही उन्होंने पाला बदल लिया। महाराष्ट्र में भी MLC चुनाव में शिंदे समर्थक विधायकों की क्रॉस वोटिंग के चलते BJP ने अपने तीसरे उम्मीदवार को जिताकर राज्यसभा भेज दिया।

पहला प्लान फेल तो प्लान-B को दिया गया अंजाम

राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग के बाद उद्धव ठाकरे हरकत में आते, उससे पहले ही शिंदे अपने समर्थक विधायकों को लेकर सूरत उड़ गए। उन्होंने इतना बड़ा खेल कर दिया और महाराष्ट्र की महाअघाड़ी सरकार को भनक तक नहीं लगी।
कुछ ऐसा ही मध्यप्रदेश में भी दो साल पहले हुआ था। BJP ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ मिलकर कमलनाथ की सरकार को गिराने के लिए फुलप्रूफ तैयारी की थी।

‘ऑपरेशन लोटस’ को सफल बनाने के लिए एमपी में दो प्लान तैयार किए गए थे। प्लान-A को कांग्रेस ने कुछ घंटे में ही डिकोड कर लिया था और गुरुग्राम के होटलों में ठहरे विधायकों की वापसी शुरू करवा दी थी। प्लान-B के बारे में कांग्रेस को भनक तक नहीं लगी और सिंधिया खेमे के सभी विधायकों को लेकर BJP बेंगलुरु उड़ गई थी।
प्लान A फेल होने पर BJP हाईकमान ने संभाला था मोर्चा

दो साल पहले BJP की मध्यप्रदेश इकाई ने कमलनाथ सरकार गिराने के लिए प्लान-A को अंजाम दिया था, जो पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के एक ट्वीट के कारण फेल हो गया था। उन्होंने लिखा था- BJP विधायकों को गुरुग्राम स्थित आईटीसी ग्रैंड होटल में लेकर जा रही है।
तब गुरुग्राम गए सात विधायकों में सभी निर्दलीय और कुछ पुराने विधायक थे। इसके बाद दिग्विजय सिंह और उनके बेटे जयवर्धन समेत कुछ कांग्रेसी गुरुग्राम पहुंच गए।

वहां से विधायकों को दिग्विजय सिंह भोपाल लेकर आए। कांग्रेस ने BJP की प्लानिंग को डिकोड कर उसे फेल कर दिया था। इसके बाद BJP के केंद्रीय नेतृत्व ने मोर्चा संभाला। इसके बाद 4 मार्च 2020 की शाम को खबर आई कि ज्योतिरादित्य सिंधिया खेमे के सारे विधायक गायब हैं।
महाराष्ट्र BJP की इकाई ने उद्धव सरकार बनने से पहले ही अजीत पवार ने पाला बदलकर देवेंद्र फडणवीस के साथ आधी रात के बाद उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली थी, लेकिन शरद पवार ने इस प्लान को फेल कर दिया था।

गुटबाजी का फायदा BJP ने दोनों राज्यों में उठाया

सत्ता में आने के साथ ही कमलनाथ सरकार गुटबाजी में उलझ गई थी। प्रदेश कांग्रेस में तीन गुट थे। कमलनाथ, दिग्विजय और ज्योतिरादित्य सिंधिया का अलग-अलग खेमा था। हर गुट सरकार में दखल चाहता था।
सिंधिया की बात जब आती थी, तो कमलनाथ और दिग्विजय सिंह एक हो जाते थे। सिंधिया सरकार और संगठन में हिस्सेदारी को लेकर लगातार दबाव बना रहे थे, लेकिन आलाकमान लगातार अनदेखी कर रहा था।

इसी तरह महाराष्ट्र में तीन दलों की सरकार थी, जिसमें समय-समय पर अस्थिर होने की कवायद होती रही। दोनों ही राज्यों में BJP ने गुटबाजी का फायदा उठाया।

तब भी देर हो चुकी थी…

मध्यप्रदेश में सिंधिया की बगावत के बाद कमलनाथ सरकार बचाने के लिए सोनिया गांधी ने राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा को जिम्मेदारी दी थी, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी।
सिंधिया अपने समर्थकों के साथ पार्टी छोड़कर BJP में जाने की कवायद कर चुके थे। महाराष्ट्र में शिंदे भी कुछ इसी तरह के पॉलिटिकल ड्रामे को अंजाम दे रहे हैं।


सिंधिया ने बायो से कांग्रेस तो शिंदे ने शिवसेना हटाया

BJP में शामिल होने से पहले ही ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने ट्विटर बायो से कांग्रेस शब्द हटाकर प्रोफाइल में कॉमन मैन लिख दिया था। ठीक वैसे ही उद्धव सरकार में मंत्री एकनाथ शिंदे ने अपने बायो से शिवसेना हटा दिया है।
बगावत ऐसी कि सरकार बचे ही नहीं
मध्यप्रदेश की ही तरह पूरी प्लानिंग के साथ उद्धव सरकार को गिराने का खाका बुना गया। जब कमलनाथ सरकार बनी, तब कांग्रेस की खुद की 114 सीट थी। 7 और विधायकों का समर्थन था। टोटल संख्या 121 थी। बहुमत का आंकड़ा 116 है। BJP की 109 सीट थी। कांग्रेस के 22 विधायक बागी हो गए और इसी के साथ सरकार का गिरना तय हो गया था।

यही हाल महाराष्ट्र का है। शिवसेना के कद्दावर नेता एकनाथ शिंदे ने पूरी प्लानिंग के साथ बगावत की है। 25 बागी विधायकों से शुरू हुआ सिलसिला 42 विधायकों तक पहुंच चुका है।

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