ERCP Controversy : पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को लेकर पिछले कई दिनों से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के बीच चल रहे शीत युद्ध ने 13 जिलों के लोगों की चिंता बढ़ा दी है। लेकिन इन जिलों की करीब 3 करोड़ लोगों की आबादी के लिए गहलोत ने घोषणा की है कि ERCP बंद नहीं करने वाला।
Jaipur: पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को लेकर पिछले कई दिनों से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और केंद्रीय जल शक्ति मंत्री के बीच शीत युद्ध जारी है। परियोजना का भविष्य अभी तक केंद्र और राज्य सरकारों के बीच विवादों में अटका है।
लेकिन इसी बीच बुधवार को परियोजना से प्रभावित होने वाले 13 जिलों के करीब 3 करोड़ लोगों के लिए मुख्यमंत्री ने बड़ा ऐलान किया है।
उन्होंने घोषणा की है ‘अगर भारत सरकार ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना घोषित नहीं भी करती है तब भी राजस्थान सरकार इस योजना को पूरा करेगी।’ दरअसल, गहलोत उस चिट्ठी से नाराज थे, जो जलशक्ति मंत्रालय ने राजस्थान के मुख्य सचिव को लिखी गई। इस में कहा गया कि ईआरसीपी का काम बंद कर दीजिए।
इसके बाद गहलोत ने बुधवार को 13 जिलों के कांग्रेस पदाधिकारियों और जन प्रतिनिधियों को जयपुर बुलाया। राजधानी के बिड़ला ऑडिटोरियम में इन सबको संबोधित किया गया। और यही पर गहलोत ने कहा, ‘मैं ERCP बंद नहीं करने वाला, केंद्र पैसा नहीं देगा तो हम खुद पूरा कराएंगे’।
इस परियाेजना को लेकर केंद्रीय जलशक्ति मंत्री और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बीच लंबे समय से शीत युद्ध जारी है। बुधवार को भी गहलोत ने कहा कि हम भीख नहीं मांग रहे, राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा हमारा हक है।इससे पहले गहलोत ने शेखावत को ‘निकम्मा’ तक डाला था। हालांकि बुधवार को भी उन्होंने निकम्मा कहने के पीछे सफाई देते देते गहलोत ने शेखावत पर जमकर कटाक्ष किया।
ERCP को लेकर गहलोत का ट्वीट
गहलोत ने ट्वीट करते हुए कहा की “मैं घोषणा करना चाहूंगा, अगर भारत सरकार ने पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ERCP) को राष्ट्रीय परियोजना घोषित नहीं किया तब भी राजस्थान सरकार इस योजना को पूरा करेगी”
आपसी अदावत ही नहीं, इन 3 मुद्दों ने अटकाया काम
इस परियोजना के अटकने के पीछे गहलोत और शेखावत की सियासी अदावत ही हैं, ऐसा नहीं है। तीन और मुद्दे हैं। पहला मामला है नदियों के पानी के उपयोग की डिपेंडेबिलिटी। राष्ट्रीय परियोजना के लिए इसका प्रतिशत 75 होना चाहिए, जबकि ईआरसीपी के मामले में यह 50 फीसदी है।
दूसरा मामला एमपी से एनओसी का है। एमपी से आने वाली नदियों के पानी के उपयोग के लिए एनओसी अभी तक नहीं मिल सकी है।
एमपी को यह भी लग रहा है कि राजस्थान उनके हिस्से का पानी ले लेगा। तीसरा मामला इंटरस्टेट विवाद पर केंद्र के दखल का है। ऐसे इंटरस्टेट विवादों को केंद्र साथ बैठकर हल कराता है। लेकिन ईआरसपी मामले में कई बैठकों के बाद भी पेच 50 फीसदी डिपेंडेबिलिटी के चलते डीपीआर पर अटका हुआ है।
37200 करोड़ की परियोजना, 70000 हजार करोड़ लागत की हुई
राजस्थान नहर परियोजना प्रदेश की महत्वकांक्षी परियोजना है जिसकी डीपीआर केन्द्र सरकार के उपक्रम वेप्फॉस लिमिटेड द्वारा तैयार की गई है। मुख्यमंत्री के अनुसार 37200 करोड़ की लागत से बनने वाली इस परियोजना को वर्ष 2016-2017 में भाजपा की वसुंधरा राजे सरकार ने बनाया था।
प्रोजेक्ट में देरी होने के कारण 40 हजार करोड़ की परियोजना 70 हजार करोड़ रूपये की लागत की हो गई है। गहलोत ने कहा कि कोरोना जैसी महामारी से उत्पन्न विकट परिस्थितियों के बावजूद राजस्थान सरकार ने इस परियोजना के लिये 9600 करोड़ रूपये का बजट प्रावधान किया है।