उपराष्ट्रपति चुनाव: जगदीप धनखड़ की जीत, राजस्थान के लिए गौरव का क्षण

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झुंझुनू के लाल जगदीप धनखड़ को करीब 73 प्रतिशत वोट मिले जो 2017 में वैंकैया नायडू को मिले वोटों से 2 प्रतिशत ज्यादा है। धनखड़ ने अपने प्रतिद्वंद्वी मार्ग्रेट अल्वा को 346 वोटों के अंतर से हराया। 1997 के बाद पिछले 6 उपराष्ट्रपति चुनावों में जीत का ये सबसे बड़ा अंतर है।

  • उपराष्ट्रपति चुनाव में जगदीप धनखड़ को 528 वोट तो विपक्ष की मार्ग्रेट अल्वा को 182 वोट मिले
  • धनखड़ ने अल्वा को 346 वोटों के अंतर से हराया, ये पिछले 6 चुनावों में जीत का सबसे बड़ा आंकड़ा
  • जगदीप धनखड़ बीजेपी से पहले ऐसे उपराष्ट्रपति जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पृष्ठभूमि से नहीं आए

New Delhi: राजनीति यानी नंबर गेम का खेल। जिसके पास नंबर है, सिक्का उसी का चलता है। इस लिहाज से उपराष्ट्रपति चुनाव (Vice Presidential Election 2022) तो महज औपचारिकता था। पहले से तय थी एनडीए की जीत और विपक्ष की हार। लेकिन नतीजों से जो तस्वीर उभरी वह बहुत कुछ कहती है। जगदीप धनखड़ की प्रचंड जीत भारतीय राजनीति में पीएम मोदी की अगुआई में बीजेपी के दबदबे के जारी रहने की मुनादी है। दूसरी तरफ यह 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी एकता के छिन्न-भिन्न होने (Opposition Unity ahead 2024 election) का प्रमाण है। पीएम मोदी और जगदीप धनखड़ के खिले चेहरे बिखरे हुए विपक्ष की हताशा की तस्वीर है।

उपराष्ट्रपति चुनाव का परिणाम एक नजर में
उपराष्ट्रपति चुनाव में संसद के दोनों सदनों से सदस्य ही वोटिंग करते हैं। जगदीप धनखड़ को 528 वोट मिले जबकि विपक्ष की संयुक्त उम्मीदवार मार्ग्रेट अल्वा को महज 182 वोट से संतोष करना पड़ा। चुनाव में 780 वोट पड़ सकते थे लेकिन 725 सांसदों ने यानी 92.9 प्रतिशत ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया। इनमें से 15 वोट अमान्य साबित हुए। धनखड़ को 528 वोट यानी कुल वैध मतों का 72.8 प्रतिशत वोट मिले। अल्वा को महज 25.1 प्रतिशत वोट ही मिल सके।

बीजेपी से पहले उपराष्ट्रपति जो संघ की पृष्ठभूमि से नहीं आए
जगदीप धनखड़ उपराष्ट्रपति चुनाव में जीत हासिल करने वाले बीजेपी के पहले ऐसे उम्मीदवार हैं, जिन्होंने अपने सियासी सफर की शुरुआत संघ परिवार से नहीं की। भैरो सिंह शेखावत और वैंकैया नायडू तो संघ में ही राजनीति का ककहरा सीखते हुए बीजेपी के शीर्ष नेताओं में शुमार हुए। इनके उलट जगदीप धनखड़ ने बीजेपी तक का सफर लोकदल और कांग्रेस होते हुए पूरी की। उन्होंने 2008 में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थामा था।

धनखड़ की जीत पिछले 6 उपराष्ट्रपति चुनाव में सबसे बड़ी
जगदीप धनखड़ को करीब 73 प्रतिशत वोट मिले जो 2017 में वैंकैया नायडू को मिले वोटों से 2 प्रतिशत ज्यादा है। धनखड़ ने अपने प्रतिद्वंद्वी को 346 वोटों के अंतर से हराया। 1997 के बाद पिछले 6 उपराष्ट्रपति चुनावों में जीत का ये सबसे बड़ा अंतर है।

धनखड़ को मिला गैर-एनडीए दलों का भी साथ
जगदीप धनखड़ को न सिर्फ बीजेपी की अगुआई वाले एनडीए के घटक दलों का समर्थन मिला, बल्कि कई गैर-एनडीए दलों का भी साथ मिला। उन्हें एनडीए के 441 सांसदों और 5 मनोनीत सांसदों के अलावा गैर-एनडीए दलों बीजेडी, वाईएसआर कांग्रेस, बीएसपी, टीडीपी, अकाली दल और शिवसेना के एकनाथ शिंदे गुट का वोट मिला जिनके पास कुल 81 सांसद हैं।

अल्वा को 20 दलों का समर्थन लेकिन 200 का आंकड़ा भी नहीं छू पाईं
कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल मार्ग्रेट अल्वा के पक्ष में 200 से ज्यादा वोटों की उम्मीद कर रहे थे लेकिन वह ये आंकड़ा नहीं छू पाईं। उन्हें सिर्फ 182 वोट ही मिल पाए। अल्वा को कांग्रेस, DMK, TRS, AAP, NCP, CPM, CPI, IUML, SP, JMM, AIMIM, AIUDF, RSP,VCK, MDMK, RJD, RLD, केरल कांग्रेस और नैशनल कॉन्फ्रेंस जैसे 20 दलों का समर्थन हासिल था।

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