साल 2010 और 2012 के बीच मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, गुजरात और उत्तर प्रदेश में दस साइटों का सर्वेक्षण किया गया. बाद में यह पाया गया कि कूनो ही चीतों के लिए सबसे सही और सुरक्षित जगह है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक, कूनो नेशनल पार्क में 21 चीतों के रहने की जगह है.
नामीबिया से आठ चीतों को लाने वाला विशेष मालवाहक विमान आज राजस्थान के जयपुर के बजाय अब मध्य प्रदेश के ग्वालियर में उतरेगा. 5 मादा और 3 नर चीतों को नामीबिया की राजधानी विंडहोक से विशेष मालवाहक विमान बोइंग 747-400 के जरिये ग्वालियर हवाई अड्डे पर लाया जाएगा.
चिनूक हेलीकॉप्टर से पहुंचाया जाएगा केएनपी
ग्वालियर (Gwalior) से चीतों को भारतीय वायु सेना के चिनूक हेलीकॉप्टर के जरिये केएनपी हेलीपैड पर उतारा जाएगा. केएनपी लाए जा रहे चीतों में से 5 मादा की उम्र 2 से 5 साल के बीच, जबकि नर चीतों की आयु 4.5 साल से 5.5 साल के बीच है. 1952 में चीते को भारत में विलुप्त घोषित किया गया था.
दक्षिण अफ्रीका की सरकार रखेगी नजर
‘अफ्रीकन चीता इंट्रोडक्शन प्रोजेक्ट इन इंडिया’ 2009 में शुरू हुआ था और इसने हाल के कुछ वर्षों में गति पकड़ी है. भारत ने चीतों के आयात के लिए नामीबिया सरकार के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं. चीतों में किसी तरह का कोई संक्रमण न हो इसके लिए गांवों के अन्य मवेशियों का भी टीकाकरण किया गया है. चीतों के लिए 5 वर्ग किलोमीटर का एक विशेष घेरा बनाया गया है. दक्षिण अफ्रीका की सरकार और वन्यजीव विशेषज्ञ इन पर नजर रखेंगे. चीतों को भारतीय मौसम से लेकर यहां के माहौल में ढलने में एक से तीन महीने का वक्त लग सकता है.
इस बीच, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने केएनपी में पहुंचने वाले चीतों की एक झलक ट्विटर पर जारी की. चौहान ने कहा, “यह अत्यंत खुशी की बात है कि चीते कुनो नेशनल पार्क में आ रहे हैं. हम मध्य प्रदेश के लोग अपने नए महमानों का स्वागत करने के लिए उत्सुक हैं.”