प्रवेश द्वार पर ‘स्वास्तिक’ बनाते हुए इन बातों का रखें ध्यान, वरना परिवार पर आ सकता है भारी संकट

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आपने अक्सर देखा होगा कि हिंदू धर्म में पूजा-पाठ के दौरान ‘स्वास्तिक’ का निशान बनाया जाता है. आपको बता दें कि प्रवेश द्वार पर बनाए जाने वाले ‘स्वास्तिक’ के निशान को लेकर कुछ जरूरी बातें बताई गई हैं, जिन्हें नजरअंदाज करने से घर पर आफत आ जाती है.

Jaipur: हिंदू धर्म में ‘स्वास्तिक’ के निशान को बेहद ही शुभ माना जाता है. इसे ज्यादातर लोग घरों के मेन गेट या प्रवेश द्वार पर बनाते हैं. ‘स्वास्तिक’ के निशान को भगवान गणेश से जोड़कर देखा जाता है. वास्तु शास्त्र के जानकार बताते हैं कि स्वास्तिक को घर के प्रवेश द्वार पर बनाने से घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है. हिंदू धर्म में शुभ काम को शुरू करने से पहले ‘स्वास्तिक’ का निशान बनाया जाता है. स्वास्तिक में चार भुजाएं होती है और इन चारों भुजाओं को चार दिशाओं से जोड़कर देखा जाता है.

स्वास्तिक का निशान हमेशा सिंदूर से बनाना चाहिए
आपको बता दें कि स्वास्तिक का निशान घर के प्रवेश द्वार पर बनाते हुए कुछ विशेष बातों का हमें ध्यान रखना चाहिए. वरना यह बुरा प्रभाव दिखाता है. वास्तुशास्त्र के जानकार बताते हैं कि स्वास्तिक का निशान हमेशा सिंदूर से बनाना चाहिए क्योंकि सिंदूर से बने स्वास्तिक से घर में सुख-समृद्धि और शांति आती है. घर के प्रवेश द्वार पर बड़े आकार का स्वास्तिक बनाना चाहिए. स्वास्तिक का निशान बनाते हुए याद रखें कि जहां पर यह निशान बनाया गया है, वहां पर साफ-सफाई जरूर हो. जहां पर स्वास्तिक बना हो, वहां पर जूते-चप्पलों का ढेर नहीं लगाना चाहिए वरना इससे घर-परिवार पर बुरा असर पड़ता है.

घर की दरिद्रता को करता है दूर
वास्तु शास्त्र में आंगन के बीचोंबीच स्वास्तिक का निशान बनाने के लिए कहा जाता है. ऐसा माना जाता है कि आंगन की पित्र निवास करते हैं. सिंदूर के अलावा हल्दी से भी स्वास्तिक का निशान बनाया जा सकता है. ऐसा करने से घर की दरिद्रता दूर हो जाती है. स्वास्तिक को हमेशा ईशान कोण या उत्तर दिशा में बनाना चाहिए. इससे यह घर-परिवार पर प्रभावकारी असर दिखाता है.

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