Health Checkup: It is good to be cautious but avoid unnecessary tests, know which tests are necessary for health according to experts

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जयपुर: सेहतमंद रहना हो या सेहत को मंद करना, सब अपने हाथ में है। सही रुटीन, अच्छा खानपान और सही वक्त पर जांच कराकर बीमारियों के प्रति सचेत होना इस पूरी प्रक्रिया की अहम कड़ियां हैं। जब बात जांच की आती है तो सबसे बड़ा सवाल उठता है कि जांच कौन-कौन सी कराएं, कौन-से टेस्ट सबसे जरूरी हैं आदि।

जांच से संबंधित 6 अहम बातें

  1. इन्वेसिव टेस्ट में एक्सपर्ट की जरूरत होती है और इसे किसी अंग में कट लगाकर या मशीन प्रवेश कराकर किया जाता है। ये बड़े टेस्ट होते हैं। मसलन: CT Coronary Angiogram आदि। ऐसे टेस्ट डॉक्टर की सलाह के बिना न कराएं।
  2. नॉन-इन्वेसिव टेस्ट को छोटे टेस्ट भी कहते हैं। आमतौर पर इस टेस्ट को लोग अपनी सेहत की स्थिति जांचने के लिए डॉक्टर से पूछे बिना भी करा लेते हैं: शुगर के टेस्ट जिसमें फास्टिंग, खाने के 2 घंटे बाद, HbA1c, CBC, LFT, KFT आदि।
  3. अगर फैमिली हिस्ट्री है, भले लक्षण न भी हों तो 30 साल के बाद हर 3 साल पर छोटे टेस्ट करा सकते हैं। इस बात का ध्यान रखें कि किसी लैब या हॉस्पिटल के कहने से बड़े टेस्ट कराने की जरूरत नहीं जब तक कि डॉक्टर न कहे।
  4. ध्यान सिर्फ इस बात का रखना है कि किसी भी टेस्ट को कराने का एक विशेष आधार होना चाहिए। इसमें फैमिली हिस्ट्री, किसी बीमारी के लक्षण सबसे अहम हैं। वैसे सभी को आखिरी सलाह अपने डॉक्टर की माननी चाहिए।
  5. अक्सर ऐसा देखा जाता है कि डॉक्टर के छोटे टेस्ट भी लिखने के बाद लोग जांच नहीं कराते। मरीजों को लगता है जरूरी नहीं है। दरअसल, इन टेस्ट की मदद से ही मरीज की स्थिति का पता चलता है और इलाज करना आसान होता है।
  6. कई मरीज एक बार टेस्ट कराकर डॉक्टर से दवा शुरू करा लेते हैं, इसके बाद कई बरस तक न टेस्ट कराते हैं और न किसी डॉक्टर को ही दिखाते हैं। मरीज बिना किसी डॉक्टरी सलाह के पुरानी दवाएं ही लेते रहते है। यह खतरनाक है।

सेहत की स्थिति का पता करने का वैसे तो सबसे बढ़िया तरीका है खुद का आकलन। अगर किसी को बिना मतलब थकावट नहीं होती, शरीर के किसी अंग में दर्द नहीं है, काम करने के दौरान ऊर्जावान बने रहते हैं, उनकी मानसिक सेहत भी दुरुस्त है, ओवरथिंकिंग या अतिरिक्त तनाव लेने की समस्या नहीं है तो यह मान सकते हैं कि कुल मिलाकर उसकी सेहत सही है। आजकल पलूशन का स्तर बहुत ज्यादा होने से भी कई तरह की नई बीमारियां पैदा हुई हैं। कोरोना के बाद से यह स्थिति ज्यादा बुरी हुई है। ऐसे में एक अंतराल पर खून, हार्ट, किडनी, लिवर आदि की जांच भी जरूरी है।
समझें बेसिक बातें:

टेस्ट 2 तरह के होते हैं:

  1. इन्वेसिव (बड़े टेस्ट)
  2. नॉन-इन्वेसिव (छोटे टेस्ट)
    टेस्ट 2 तरह से करवाए जाते हैं:
  3. प्रिवेंटिव टेस्ट: ये टेस्ट 1 से 3 साल के अंतराल पर कराए जाते हैं। इस टेस्ट को वे लोग कराते हैं जो सेहत के प्रति जागरूक होते हैं।
  4. डॉक्टर की सलाह पर: किसी बीमारी या लक्षण को देखकर डॉक्टर टेस्ट कराने की सलाह देते हैं।

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