नेपाल सुप्रीम कोर्ट ने 9 मार्च को सुबह 10 बजे प्रधानमंत्री प्रचण्ड को कोर्ट में हाजिर होने के लिए वारंट जारी कर दिया है. उन्होंने हाल ही में 5000 लोगों की मौत की जिम्मेदारी ली थी.
काठमांडू: नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दाहाल प्रचण्ड (Pushkamal Dahal Prachanda) के खिलाफ सामूहिक नरसंहार का मुकदमा दर्ज है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद माओवादी पीड़ित पक्ष (Maoist Aggrieved Party) की तरफ से कुछ वकीलों ने पीएम के खिलाफ मुकदमा दायर किया था. कोर्ट ने गुरुवार (9 मार्च) को इस मामले को लेकर पेशी तय कर दी है.
दरअसल, तीन साल पहले 15 जनवरी 2020 को काठमांडू में एक सार्वजनिक कार्यक्रम आयोजित किया गया था. जिसमें कमल दाहाल प्रचण्ड ने माओवादियों की तरफ से चलाए गए सशस्त्र विद्रोह के दौरान मारे गए 17 हजार लोगों में से 5000 नागरिकों की हत्या की जिम्मेदारी लेने की बात कही थी. उन्होंने कहा था कि वो सिर्फ 5000 हत्याओं की जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार हैं. हालांकि, उनपर 17 हजार लोगों की हत्या का आरोप लगाया गया था.
लगा था 17 हजार हत्याओं का आरोप
प्रचण्ड ने 5000 हत्याओं की जिम्मेदारी लेते हुए कहा था कि सभी 17 हजार मौतों का जिम्मेदार उन्हें ही ठहराया जाता है जोकि सही नहीं है. उनका कहना था कि 5000 हत्याओं की बात से वह पीछे नहीं हटेंगे और न ही इससे भागेंगे लेकिन सभी हत्याओं का दोष लगा देना सही नहीं है. दशक भर लंबे विद्रोह को लेकर अब इस मामले में प्रचंड नई मुसीबत में फंसते दिख रहे हैं.
क्या है पूरा मामला?
बता दें कि, विद्रोह 13 फरवरी 1996 में शुरू हुआ था और 21 नवंबर 2006 को सरकार के साथ व्यापक शांति समझौता होने के बाद आधिकारिक तौर पर खत्म हो गया था. इस विद्रोह के दौरान हजारों लोग मारे गए थे. उस वक्त माओवादी नेपाल की सत्ता पर काबिज होना चाहते थे और उनकी कमान प्रचंड के ही हाथ में थी. प्रचंड के आदेश पर ही हमले किए गए थे और हजारों लोगों की मौत हो गई थी.