एड्स एक गंभीर बीमारी है जिसकी अभी तक कोई दवा या टीका उपलब्ध नहीं हो पाई है। ऐसे में इसे लेकर जागरुकता फैलाने के मकसद से हर साल 18 मई को विश्व एड्स वैक्सीन जागरुकता दिवस मनाया जाता है।
New Delhi: एड्स एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, जिसकी चपेट में हर साल कई लोग आते हैं। एचआईवी वायरस से फैलने वाली यह गंभीर बीमारी समय पर इलाज न मिलने से जानलेवा भी साबित हो सकती है। इसे लेकर सबसे ज्यादा चिंता की बात यह है कि अभी तक इस बीमारी के लिए कोई दवा या टीका बनाया नहीं जा सका है। ऐसे में इसे लेकर लोगों में जागरुकता फैलाने के मकसद से हर साल 18 मई को विश्व एड्स वैक्सीन जागरुकता दिवस मनाया जाता है।
इन दिन को HIV वैक्सीन जागरूकता दिवस भी कहा जाता है। यह दिन एक ऐसे टीके की तत्काल आवश्यकता पर जोर देता है, जो ह्यूमन इम्यूनोडिफीसिअन्सी वायरस (HIV) से एक्वायर्ड इम्यूनोडिफीसिअन्सी सिंड्रोम (एड्स) को रोक सके। तो इस खास मौके पर आज जानते हैं क्या है इस दिन का इतिहास, महत्व और इस साल ही थीम-
एड्स वैक्सीन जागरुकता दिवस का इतिहास
एड्स वैक्सीन जागरुकता दिवस सबसे पहले 18 मई, 1998 में मनाया गया था। विश्व एड्स वैक्सीन दिवस का यह कॉन्सेंप्ट साल 1997 में मॉर्गन स्टेट यूनिवर्सिटी में अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के भाषण से प्रेरित था। अपने इस भाषण में उन्होंने इस भयानक बीमारी को खत्म करने के लिए टीकाकरण की आवश्यकता पर जोर दिया था।
साथ ही, बिल क्लिंटन ने टीके के उत्पादन के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के महत्व पर भी जोर दिया ताकि संक्रमित व्यक्ति की इस घातक बीमारी के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाई जा सके। इसके बाद 1998 से ही हर साल 18 18 मई को दुनियाभर में विश्व एड्स वैक्सीन दिवस मनाया जाता है।
एड्स वैक्सीन जागरुकता दिवस का महत्व
एड्स एक गंभीर और लाइलाज बीमारी है। ऐसे में यह दिन दुनिया भर में इसकी रोकथाम के उपायों के बारे में सभीके बीच जागरूकता बढ़ाने, एड्स शिक्षा का प्रसार करने, शोधकर्ताओं को प्रोत्साहित करने और लोगों को इस काम में शामिल करने के मकसद से मनाया जाता है। यह दिन एक सुरक्षित और प्रभावी एचआईवी वैक्सीन के विकास में स्वयंसेवकों, समुदाय के सदस्यों, स्वास्थ्य पेशेवरों और वैज्ञानिकों के काम का सम्मान करता है।