Delhi Ordinance: केंद्र के अध्यादेश पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, संविधान पीठ में जा सकता है मामला

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केंद्र सरकार ने दिल्ली में नौकरशाहों के तबादले और तैनाती को लेकर एक अध्यादेश जारी किया था. आम आदमी पार्टी की सरकार इसका विरोध कर रही है.

New Delhi: दिल्ली में लाए गए केंद्र सरकार के अध्यादेश को लेकर सोमवार (17 जुलाई) को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने संकेत दिया है कि वह इस मामले को संविधान पीठ के पास भेज सकती है. कोर्ट ने मामले की सुनवाई 20 जुलाई के लिए टाल दी है. सुनवाई के दौरान सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हम सर्विसेज को दिल्ली सरकार के नियंत्रण से बाहर करने वाले अध्यादेश को संविधान पीठ को सौंपना चाहते हैं.

उन्होंने कहा कि अब तक सिर्फ तीन विषय दिल्ली सरकार के दायरे से बाहर थे. ये देखने की जरूरत है कि क्या इस तरह कोई नया विषय इस सूची में जोड़ा जा सकता है. इसपर दिल्ली सरकार के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि मामला संविधान पीठ को भेजने की जरूरत है. मैं गुरुवार को इस पर पक्ष रखना चाहूंगा.

मानसून सत्र में पेश होगा बिल
कोर्ट में सुनवाई के दौरान सॉलिसीटर जनरल ने कहा कि 20 जुलाई से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र में दिल्ली से जुड़े केंद्र के नए अध्यादेश को बिल के रूप में पेश किया जाएगा. संसद से पारित कराने की कोशिश की जाएगी. तब तक इंतजार करना बेहतर होगा.

अध्यादेश का बचाव करते हुए केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि दिल्ली के मंत्री अधिकारियों से जुड़े आदेश सोशल मीडिया पर डाल रहे थे. अफसरों को राजनीतिक निशाना बनाया जा रहा था. दिल्ली सरकार के कहने पर विजिलेंस के दफ्तर को आधी रात को खोला गया, दस्तावेजों की फोटो कॉपी की गई. ऐसे में जल्द से जल्द दखल देना जरूरी था.

आप सरकार ने अध्यादेश के खिलाफ लगाई याचिका
दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार ने नौकरशाहों पर नियंत्रण से संबंधित राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अध्यादेश, 2023 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए ये याचिका लगाई है. याचिका में दिल्ली सरकार की सहमति के बिना डीईआरसी अध्यक्ष की नियुक्ति के एलजी के फैसले को भी चुनौती दी गई है.

डीईआरसी अध्यक्ष की नियुक्ति पर भी सुनवाई
इस मामले पर अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि डीईआरसी इस समय नेतृत्वविहीन है. दिल्ली की राजनीतिक कार्यकारिणी अपनी अच्छी, बुरी या तटस्थ नीति पेश नहीं कर सकती. इसपर सीजेआई ने पूछा कि क्या एलजी और सरकार साथ बैठकर डीईआरसी के चेयरपर्सन के नाम पर फैसला कर सकते हैं? सिंघवी ने कहा कि अगर वे चमत्कारिक ढंग से सहमत हो जाएं तो मुझे कोई दिक्कत नहीं है.

“कलह से ऊपर उठना होगा”
कोर्ट ने दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और एलजी वीके सक्सेना को साथ बैठकर डीईआरसी प्रमुख के पद के लिए नामों पर विचार-विमर्श करने को कहा. सीजेआई ने कहा कि वे संवैधानिक पदाधिकारी हैं. उन्हें कलह से ऊपर उठना होगा. उन्हें एक साथ बैठना चाहिए और हमें एक नाम देना चाहिए.

इसपर वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा कि मैं एलजी के पक्ष से हूं और मुझे इससे कोई दिक्कत नहीं है. मुझे निर्देशों की आवश्यकता नहीं है. ऐसा होना ही चाहिए और ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि दिल्ली सरकार के वकील ने ये कहना शुरू कर दिया कि उन्हें ऐसी कोई उम्मीद नहीं है. जबकि पहली प्रतिक्रिया ये होनी चाहिए कि हां, हम ऐसा करेंगे.

गुरुवार को होगी इस मामले पर सुनवाई
सीजेआई ने कहा कि अगर कोई कानून होता जिस पर सीजेआई फैसला करते तो मैं एक नाम बताता. मेरे पास बहुत सारे असाधारण लोग हैं. जिसपर सिंघवी ने कहा कि हम साथ बैठ सकते हैं. हम बैठेंगे और कल फिर आएंगे. सीजेआई ने कहा कि हम इस पर गुरुवार को विचार कर सकते हैं. आप हमें बता सकते हैं कि फैसला क्या है. हम डीईआरसी अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर ज्यादा चिंतित नहीं हैं, जो किया जाना ही है, हम फिलहाल बड़े मुद्दे पर हैं.

इस दौरान हरीश साल्वे ने कहा कि मैं अपने नाम से एक जनहित याचिका दायर करने की योजना बना रहा हूं कि संवैधानिक पदाधिकारियों को ट्विटर और सोशल मीडिया पर एक-दूसरे के साथ बातचीत नहीं करनी चाहिए. ये पुराने दिनों की तरह ही होना चाहिए. इसपर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हम इस पर गुरुवार को विचार करेंगे.

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