Opposition Meeting: NDA के विरोध में पटना के बाद अब बैंगलुरु में एकजुट हुए 15 विपक्षी दल, क्या चुनावों से पहले निकलेगा कोई ठोस उपाय

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15 विपक्षी राजनीतिक दलों की पहली बैठक 23 जून को पटना में हुई। विपक्षी पार्टियों के शीर्ष नेताओं की आज से बेंगलुरु में दो दिवसीय एकता बैठक होने वाली है। यह इन नेताओं की दूसरी बैठक होगी। हालांकि, इससे पहले आप, कांग्रेस, टीएमसी और वाम दलों के बीच कई मुद्दों पर भारी विरोध देखा गया था।

New Delhi: देश में अगले साल लोकसभा चुनाव होने हैं, लेकिन देश के कई विपक्षी दल इससे पहले ही भाजपा को घेरने में जुट गए हैं। इसे देखते हुए विपक्षी पार्टियों के शीर्ष नेता आज से बेंगलुरु में होने वाली दो दिवसीय एकता बैठक में शामिल होने जा रहे हैं। इनमें से कई बेंगलुरु पहुंच भी गए हैं। इस बीच कई पार्टियों के बैठक में शामिल होने को लेकर संशय भी बना रहा। पिछली बार बैठक का हिस्सा रही आप आदमी पार्टी दूसरी बैठक के एक दिन पहले आने के लिए तैयार हुई। वहीं एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार को लेकर खबरें आईं कि वह महाजुटान में नहीं शामिल होंगे, लेकिन बाद में पता चला कि शरद पवार बैठक में दूसरे दिन शिरकत करेंगे।

पटना में हुई पहली विपक्षी बैठक के बाद से बहुत कुछ घट चुका है। इस बीच हमें जानना जरूरी है कि पहली बैठक कब हुई थी और इसमें किन पार्टियों ने हिस्सा लिया था? पहली बैठक में क्या हुआ था? इसके बाद क्या-क्या हुआ? अब दूसरी बैठक में क्या होने जा रहा है? इसमें किन दलों की भागीदारी होगी? इसका एजेंडा क्या है?

पहली बैठक में कब हुई थी और इसमें किन पार्टियों ने हिस्सा लिया था?
बिहार में 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी का मुकाबला करने की रणनीति बनाने के लिए 15 विपक्षी राजनीतिक दलों की पहली बैठक 23 जून को पटना में हुई। यह बैठक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पटना के एक अणे मार्ग स्थित सरकारी आवास पर हुई। बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव ने राजद का प्रतिनिधित्व किया। सभा में ममता बनर्जी, हेमंत सोरेन, एमके स्टालिन, अरविंद केजरीवाल और भगवंत मान जैसे मुख्यमंत्रियों ने तृणमूल कांग्रेस, झारखंड मुक्ति मोर्चा, डीएमके और आम आदमी पार्टी (आप) का प्रतिनिधित्व किया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी और उनकी पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे भी मौजूद रहे।

इस बैठक को बुलाने की कवायद राज्य के महागठबंधन के घटक दलों जदयू, राजद और कांग्रेस ने की। बैठक में समाजवादी पार्टी, एनसीपी, पीडीपी, झारखंड मुक्ति मोर्चा, नेशनल कॉन्फ्रेंस (जेएंडके) और शिव सेना (यूबीटी) के नेता मौजूद रहे। वाम गुट का प्रतिनिधित्व सीपीएम, सीपीआई और सीपीआई (एमएल) ने किया। वहीं बैठक में वरिष्ठ नेताओं के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश सिंह यादव, फारूक अब्दुल्ला, शरद पवार, महबूबा मुफ्ती और उद्धव ठाकरे भी मौजूद रहे।

दूसरी बैठक की तैयारी के बीच एनसीपी में हुई टूट
बिहार में 23 जून को हुई विपक्ष की बैठक के बाद कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने कहा था कि 11 या 12 जुलाई को शिमला में अगली बैठक होगी। इसके बाद कहा गया कि यह बैठक शिमाल की जगह जयपुर में हो सकती है। हालांकि, बाद में 13-14 जुलाई को बेंगलुरू में बैठक होने की जानकारी दी गई। इसी बीच, दो जून को महाराष्ट्र में एनसीपी में अजित पवार के नेतृत्व में एक धड़ा टूटकर एनडीए में शामिल हो गया। वहीं इस बड़े सियासी घटनाक्रम के बाद यह तारीख टाल भी दी गई। कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने बैठक की अगली तारीख 17-18 जुलाई और जगह बेंगलुरू होने की घोषणा की।

बंगाल में पंचायत चुनाव में हिंसा को लेकर भिड़े विपक्षी दल
दूसरी विपक्षी बैठक से पहले पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव हुए। इस दौरान राज्यभर में हिंसा की घटनाएं हुईं और टीएमसी की मानें तो आठ जून को पंचायत चुनाव की घोषणा होने के बाद से 27 लोगों की मौत हुई और उनमें से 17 तृणमूल से हैं। इन घटनाओं की निंदा उन दलों ने भी, जो कुछ दिन पहले पटना में इकट्ठा बैठे थे। कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी तो हिंसा के बीच धरने पर भी बैठे रहे और आरोप लगाया कि तृणमूल कांग्रेस के गुंडों को खुली छूट मिल रही है और जनादेश को लूटा गया है।

वहीं, माकपा के वरिष्ठ नेता डॉ. सुजान चक्रवर्ती ने से कहा, ‘हथियारों का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल हो रहा है और इन सभी घटनाओं के पीछे सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस का हाथ है। उन्होंने मतदान के दिन गड़बड़ी पैदा करने और वोट लूटने के लिए पहले से ही इसकी योजना बना रखी थी।

उधर आरोपों का जवाब देते हुए ममता बनर्जी ने कहा, ‘चुनावों के दौरान हिंसा के कारण जानमाल के नुकसान के लिए ‘राम, शाम और वाम – भाजपा, कांग्रेस और सीपीएम जिम्मेदार हैं।’ इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने कांग्रेस और सीपीएम पर विरोधाभासी व्यवहार का आरोप लगाया और कहा, ‘आप मुझे यहां गाली देंगे, और मैं वहां आपकी पूजा करूंगा…इसकी उम्मीद नहीं की जा सकती।’

उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘मैं उनके बारे में ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहती क्योंकि हम राष्ट्रीय स्तर पर एक मोर्चे के लिए बातचीत कर रहे हैं। लेकिन उन्हें बोलने से पहले सोचना चाहिए।’

अब जानते हैं कि दूसरी बैठक में किन दलों की भागीदारी होगी?
विपक्षी एकता की बढ़ती ताकत को दिखाते हुए बेंगलुरु में कुल 26 दलों के शामिल होने की उम्मीद है। यह संख्या पटना में हुई बैठक से 10 से भी ज्यादा है। बताया जा रहा है कि इस बीच, विपक्षी नेता एक अनौपचारिक बैठक में शामिल होंगे। इसके बाद सोमवार को कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया रात्रिभोज आयोजित करेंगे और मंगलवार सुबह 11 बजे से एक मैराथन बैठक होगी।

ये हैं नई पार्टियां
. मरूमलारची द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एमडीएमके)
. कोंगु देसा मक्कल काची (केडीएमके)
. विदुथलाई चिरुथिगल काची (वीसीके)
. रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी)
. ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक
. इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग
. केरल कांग्रेस (जोसेफ)
. केरल कांग्रेस (मणि)

जानकारी के मुताबिक, इसके अलावा कृष्णा पटेल का अपना दल (कामेरावादी) और एमएच जवाहिरुल्ला के नेतृत्व वाली तमिलनाडु की मनिथानेया मक्कल काची (एमएमके) को भी निमंत्रण भेजे जाने के बाद मोर्चे में शामिल होने की संभावना है। वहीं आरएलडी की ओर से जयंत चौधरी इस जुटान में शिरकत करेंगे जो पहली बैठक में नहीं थे।

किन मुद्दों पर होगी चर्चा?
बैठक से पहले कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पार्टियां उन साझा कार्यक्रमों पर गौर करेंगी, जिन पर काम किया जा सकता है। जैसे- आम मुद्दे जिन्हें उजागर किया जाना चाहिए और आने वाले समय के लिए एक रोडमैप तैयार किया जाएगा।

इन सामान्य मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना:
पार्टियों को भविष्य में क्या करने की आवश्यकता है?
वर्तमान राजनीतिक स्थिति का आकलन करना।
आकलन के बाद आगामी संसद सत्र के लिए रणनीति बनाएं।
समस्याओं पर रोडमैप होगा तैयार

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