Maharashtra Politics: पवार और फडणवीस के बीच वित्त मंत्रालय को लेकर खींचतान, एकनाथ शिंदे गुट के पास कोनस प्रमुख विभाग बचेगा

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जुलाई के महीने में ये तूफान तब आया जब अजित पवार शिंदे सरकार में शामिल हो गए. अजित पवार राजभवन पहुंचे तो सीएम एकनाथ शिंदे वहां पहले से मौजूद थे. बताया जाता है कि अजित पवार को शिंदे सरकार में शामिल कराने में एकनाथ शिंदे ने काफी बड़ी भूमिका निभाई है.

मुंबई: महाराष्ट्र की राजनीति में हर दिन नए अध्याय देखने को मिल रहे हैं. कब कहां पासा पलट जाए, कुछ भी कहना मुश्किल है. कुछ वक्त पहले महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे ने पूरी सरकार ही बदलकर रख दी थी. एकनाथ शिंदे एक ऐसा नाम उभरकर सामने आया, जिसने पूरे देश की राजनीति को हिलाकर रख दिया. वहीं अब एक बार फिर से महाराष्ट्र की राजनीति में उथल-पुथल मची हुई है, जिस पर पूरे देश की नजर है. इस बीच महाराष्ट्र से कई अलग-अलग तरह की खबरें भी निकलकर सामने आ रही हैं, जिससे आने वाले वक्त में महाराष्ट्र की राजनीति में कई बदलाव देखने को मिल सकते हैं. वहीं फिलहाल महाराष्ट्र में वित्त मंत्रालय को लेकर भी काफी खींचतान देखने को मिल रही है.

छपा विज्ञापन
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के तौर पर एकनाथ शिंदे कद्दावर नेता के रूप में सामने आए हैं. हालांकि पिछले दिनों सीएम को लेकर कई खबरें भी निकल सामने आई हैं. दरअसल, जून के महीने में एक विज्ञापन काफी चर्चा का विषय रहा. महाराष्ट्र के अखबारों में छपे इस विज्ञापन में कहा गया कि देश के लिए मोदी और महाराष्ट्र के लिए शिंदे. मामले ने तूल पकड़ा तो इस पर कहा गया कि ये विज्ञापन एकनाथ शिंदे के समर्थकों ने अतिउत्साह में छपवाया था. वहीं इस विज्ञापन के बाद खबरें सामने आई कि महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को सीएम शिंदे किनारे करना चाहते हैं. हालांकि जल्दी ही इस पर सफाई देते हुए शिंदे ने कहा कि फडणवीस और उनके बीच किसी तरह का कोई मनमुटाव नहीं है. हालांकि ये बात तो ठंडे बस्ते में चली गई लेकिन महाराष्ट्र की राजनीति में एक और तूफान आना बाकी था.

चुनाव का मौहाल
जुलाई के महीने में ये तूफान तब आया जब अजित पवार शिंदे सरकार में शामिल हो गए. अजित पवार राजभवन पहुंचे तो सीएम एकनाथ शिंदे वहां पहले से मौजूद थे. बताया जाता है कि अजित पवार को शिंदे सरकार में शामिल कराने में एकनाथ शिंदे ने काफी बड़ी भूमिका निभाई है. आने वाले चुनावों को देखते हुए अजित पवार को अपनी सरकार में शामिल करके सीएम शिंदे ने भविष्य की रणनीति को और भी मजबूत किया है. अब आने वाले दिनों में मुंबई में बीएमसी चुनाव हैं. इसके बाद लोकसभा चुनाव पर सबकी नजरें रहेंगी और फिर महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव होंगे. मैदान में शिवसेना, एनसीपी और बीजेपी महाराष्ट्र में तीन मुख्य पार्टियां हैं. हालांकि सीएम शिंदे की अगुवाई में अब तीनों एक हैं क्योंकि वक्त से पहले ही शिंदे ने महाराष्ट्र में विपक्ष को धराशायी करके रख दिया है.

सियासी पारा
अजीत पवार के शिंदे सरकार में आने के बाद जहां एकनाथ शिंदे की सियासी ताकत देखने को मिली तो वहीं दूसरी तरफ देवेंद्र फडणवीस को लेकर भी सियासी पारा गर्म है और कई तरह की खबरें भी सामने निकलकर आई है. देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र के सीएम भी रह चुके हैं और महाराष्ट्र में बीजेपी के बड़े चहरों में शामिल है. हालांकि फडणवीस का महाराष्ट्र में मराठा वोटर्स से कनेक्शन कम देखने को मिलता है और पिछले कई चुनावों में अहम सीटों पर बीजेपी को हार का सामना भी करना पड़ा है. अगर पिछले चुनावों की बात की जाए तो अक्टूबर 2022 में अंधेरी ईस्ट सीट पर उपचुनाव हुआ. उद्धव ठाकरे वाली शिवसेना ने रितुजा लटके को मैदान में उतारा. वहीं बीजेपी ने मुर्जी पटेल को मैदान में उतारा था. उस वक्त बीजेपी के लिए देवेंद्र फडणवीस सारी ताकत लगाए हुए थे लेकिन चुनावी जीत पर बने संशय के कारण बीजेपी ने अपने उम्मीदवार का नाम ही वापस ले लिया.

चुनाव में हार
इसके अलावा इसी साल फरवरी में परिषद चुनाव हुए थे. वहां भी देवेंद्र फडणवीस की अगुवाई में बीजेपी को जीत की उम्मीद थी लेकिन फडणवीस का जादू नहीं चला. परिषद चुनावों में महाविकास अघाड़ी ने पांच में से तीन सीटें जीत लीं. हालांकि हैरानी तब हुई जब बीजेपी को नागपुर शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र में हार का सामना करना पड़ा. नागपुर देवेंद्र फडणवीस का शहर है, आरएसएस का मुख्यालय है, नितिन गडकरी नागपुर से सांसद हैं, इसके बावजूद बीजेपी यहां हार गई. इसके अलावा बीजेपी अमरावती स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से भी हार गई. ये दोनों सीटें हारना बीजेपी के लिए झटका था क्योंकि नागपुर और अमरावती दोनों जगह आरएसएस का प्रभाव है. महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का ये गढ़ माना जाता है, इन हार से काफी सियासी बवाल देखने को मिला.

वित्त मंत्रालय पर घमासान
इसके बाद मार्च 2023 में पुणे की कस्बा पेठ और पिंपरी-चिंचवड़ विधानसभा सीट पर चुनाव हुए, जहां भी बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा था. कस्बा पेठ में BJP 30 साल बाद चुनाव हार गई. यह BJP के लिए बड़ा झटका था. देवेंद्र फडणवीस यहां भी कुछ नहीं कर पाए. वहीं अब खबरें हैं कि अजित पवार के सरकार में शामिल होने से मंत्रिपद के बंटवारे में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. सूत्रों का कहना है कि अजित पवार वित्त मंत्रालय चाहते हैं. हालांकि वर्तमान में वित्त मंत्रालय देवेंद्र फडणवीस के पास है. गृह मंत्रालय भी देवेंद्र फडणवीस के पास है तो ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या देवेंद्र फडणवीस के मंत्रालय छीन लिए जाएंगे और वो मंत्रालय अजित पवार को मिलेंगे? एकनाथ शिंदे इस पर क्या फैसला लेते हैं ये तो वक्त ही बताएगा.

राज ठाकरे से मुलाकात
वहीं महाराष्ट्र में राजनीतिक पार्टियों की स्थिति लगातार बदल रही है. इसमें बीजेपी भी शामिल है. हालांकि एकनाथ शिंदे ने जिस चतुराई से अजित पवार को अपनी सरकार में शामिल किया है, उसको लेकर दूसरी राजनीतिक पार्टियां भी हैरान हैं. एकनाथ शिंदे ने हाल ही में राज ठाकरे से भी मुलाकात की है. ऐसे में भविष्य में राज ठाकरे भी शिंदे सरकार के साथ दिखें तो आश्चर्य नहीं होगा.

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