महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने शरद पवार के बहाने उद्धव ठाकरे और कांग्रेस पर निशाना साधा है। सीएम ने कहा कि पवार देश की अनुभवी नेता हैं। लिहाजा अगर उन्होंने कोई बात कही है तो काफी सोच समझकर ही कही होगी। ऐसे में प्रदर्शन करने वाले लोगों को उनकी टिप्पणी पर ध्यान देने चाहिए।
ठाणे: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने अडानी मुद्दे पर एनसीपी प्रमुख शरद पवार की बातों पर ध्यान देने का आह्वान कर कांग्रेस और शिवसेना पर निशाना साधा। दरअसल अमेरिका स्थित हिंडनबर्ग रिसर्च ने अरबपति गौतम अडानी के कारोबारी समूह के शेयर और लेखांकन में बड़े पैमाने पर हेराफेरी का आरोप लगाया था। जिसके बाद कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दल केंद्र सरकार पर हमलावर हैं। अडानी समूह ने इन आरोपों का खंडन किया है। एक निजी चैनल के साथ इंटरव्यू में पवार ने अडानी समूह का बचाव किया था और उसके संबंध में हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के आधार पर गढ़े जा रहे विमर्श की आलोचना की थी। उन्होंने कहा था, ‘पहले भी कुछ अन्य लोगों द्वारा ऐसे बयान दिए गए थे और इनके कारण कुछ दिनों तक संसद में व्यवधान हुआ था, लेकिन इस बार इस मुद्दे को बहुत ज्यादा ही तूल दिया जा रहा है।’
पवार ने कहा था, ‘जो मुद्दे सामने रखे गए, उन्हें किसने रखा, हमने कभी इन लोगों के बारे में नहीं सुना, जिन्होंने बयान दिया, (उनकी) पृष्ठभूमि क्या है? जब वे ऐसे मुद्दे उठाते हैं, जिससे देश में बवाल मचता है, तो उसकी कीमत देश की अर्थव्यवस्था को चुकानी पड़ती है। हम इन बातों को नजरअंदाज नहीं कर सकते। यह मालूम पड़ता है कि ऐसा लक्षित करके किया जाता है।’
शरद पवार ने सोच समझकर कहा होगा
शुक्रवार रात को कल्याण में एक कार्यक्रम के बाद शिंदे ने कहा, ‘कांग्रेस ने अडाणी समूह में 20,000 करोड़ रुपये को लेकर स्पष्टीकरण की मांग करते हुए आंदोलन शुरू किया है। यहां तक उद्धव ठाकरे ने भी लगातार इस मुद्दे पर बयान दिया है। अब पवार ने टिप्पणी की है, ऐसे में जो लोग प्रदर्शन कर रहे हैं, उन्हें उनकी टिप्पणी पर ध्यान देना चाहिए।’ मुख्यमंत्री ने कहा कि पवार बहुत वरिष्ठ नेता हैं और काफी अध्ययन के बाद ही उन्होंने कुछ बोला होगा, इसलिए जो लोग प्रदर्शन कर रहे हैं, उन्हें अपना रूख स्पष्ट करना चाहिए। शिंदे कांग्रेस और शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पर निशाना साध रहे थे। जो महाविकास अघाड़ी (एमवीए) में एनसीपी के साथ घटक दल हैं। एकनाथ शिंदे नीत सरकार से पहले महाराष्ट्र में एमवीए ही सत्तासीन था।