No Confidence Motion: Defeat is certain, yet the opposition will bring a no-confidence motion, because the no-confidence motion is an excuse, Modi has to be called to the Parliament

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आज संसद में विपक्ष ने मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है। लोकसभा में विपक्षी दलों के आंकड़ों पर नजर डालेंगे तो साफ है कि इस प्रस्ताव में उनकी हार तय है लेकिन फिर भी विपक्ष जिद पर अड़ा है। हम आपको बताएंगे कि इसके पीछे असल रणनीति क्या है।

New Delhi: आज संसद में विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव ला रहा है। मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष की ये नई रणनीति है क्योंकि विपक्ष हर हालात में ये चाहता है कि मोदी संसद में बोलें और इसी के लिए विपक्ष हर पैंतरा आजमा रहा है। विपक्ष की हार तय है फिर भी जिद पर अड़ा है। आखिर क्यों विपक्ष चाहता है कि किसी भी सूरत में मोदी को संसद में बोलने पर मजबूर किया जाए। अगर हार तय है तो फिर भी विपक्ष क्यों ला रहा है अविश्वास प्रस्ताव? ये हम आपको समझाते हैं।

अविश्वास प्रस्ताव बहाना, मोदी को संसद में है बुलाना
ये बात हर किसी के मन है कि जब विपक्ष के पास ये प्रस्ताव पास कराने लायक आंकड़ा ही नहीं है तो विपक्ष क्यों नो-कॉन्फिडेंस मोशन पर अड़ा हुआ है। दरअसल ये प्रस्ताव विपक्ष की नई रणनीति का हिस्सा है। विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव के बहाने पीएम मोदी को घेरना चाहता है। विपक्ष चाहता था कि मणिपुर में जारी हिंसा पर पीएम मोदी संसद में बयान दें। लेकिन सरकार का कहना है कि ये जवाब गृह मंत्री अमित शाह देंगे। इसके बाद विपक्ष अब ये प्रस्ताव लेकर आया है जिससे कि पीएम मोदी को संसद में बोलने के लिए मजबूर किया जा सके।

  • अविश्वास प्रस्ताव के पीछे विपक्ष की असल रणनीति-
  • मणिपुर हिंसा पर लोकसभा में विस्तृत चर्चा चाहता है विपक्ष
  • विपक्ष चाहता है कि मणिपुर के मुद्दे पर प्रधानमंत्री संसद में जवाब दें
  • चर्चा के दौरान विपक्ष को बोलने का भरपूर मौका भी मिलेगा
  • मोदी सरकार पर प्रेशर बनाने का सबसे कारगर तरीका
  • I-N-D-I-A गठबंधन के बाद ये विपक्षी एकजुटता का लिटमस टेस्ट

अविश्वास प्रस्ताव लाने को लोकसभा में मंजूरी
हालांकि अविश्वास प्रस्ताव लाने को लोकसभा में मंजूरी मिल गई है। स्पीकर ने कहा कि चर्चा का वक्त तय किया जाएगा। विस्तृत चर्चा के बाद तारीख का ऐलान होगा। स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि नियम के मुताबिक चर्चा का वक्त तय होगा। बता दें कि नियमों के मुताबिक लोकसभा स्पीकर इसपर तुरंत फैसला देने के लिए मजबूर नहीं होते हैं। नियम ये है कि अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस मिलने के दस दिन के अंदर इसपर चर्चा और वोटिंग जरूरी है। साथ ही लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पेश करने के लिए कम से कम 50 सांसदों के समर्थन की जरूरत है।

नंबर गेम में किसके पास कितने सांसदों का समर्थन-
मौजूदा लोकसभा में बीजेपी को अकेले दम पर बहुमत हासिल है। बीजेपी के पास 301 सांसद हैं। अगर इसमें एनडीए के उसके सहयोगी दलों को जोड़ दें तो ये आंकड़ा 333 तक पहुंच जा रहा है। वहीं ‘इंडिया’ के पास केवल 142 सांसद हैं।

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