विपक्षी दलों की पहली मीटिंग जेडीयू के अध्यक्ष और बिहार सीएम नीतीश कुमार की अगुआई में पटना में हुई थी. बेंगलुरु में हो रही दूसरी मीटिंग में 26 विपक्षी पार्टियों के प्रमुख, प्रतिनिधि और राज्यों के मुख्यमंत्री आदि शामिल हुए हैं. यह सभी दल दिल्ली समेत 10 राज्यों में अपने दम पर या गठबंधन के चलते सत्ता में बने हुए हैं. मीटिंग में आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल व पंजाब सीएम भगवंत मान भी मौजूद रहे.
New Delhi: अगले साल देश में आम चुनाव होने जा रहे हैं. इसको लेकर छोटी-बड़ी सभी राजनीतिक पार्टियां इन चुनावों में अपना भविष्य टटोल रही हैं. आगामी लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) में खासकर विपक्षी पार्टियां (Opposition Parties Meeting) एकजुट होकर भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) को सत्ता से हटाने की रणनीति तैयार कर रही हैं. इसको लेकर विपक्षी मोर्चा की दूसरी मीटिंग मंगलवार को कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में हो रही है.
इससे पहले विपक्षी दलों की पहली मीटिंग जेडीयू (JDU) के अध्यक्ष और बिहार सीएम नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की अगुआई में पटना में हुई थी. बेंगलुरु की मीटिंग में 26 विपक्षी पार्टियों के प्रमुख, प्रतिनिधि और राज्यों के मुख्यमंत्री आदि शामिल हुए।
भाजपा नीत एनडीए सरकार के खिलाफ एकजुट हुए विपक्षी दल में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में कांग्रेस है. कांग्रेस के मौजूदा समय में राज्यसभा और लोकसभा को मिलाकर कुल 80 सांसद हैं.
नामकरण आज लेकिन तय तो पहले ही हो गया था
‘INDIA’के पीछे आइडिया राहुल गांधी का माना जा रहा है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की ओर से जिस प्रकार से बयान पिछले दिनों से लगातार सामने आ रहे थे उसमें इसकी छाप है। विपक्ष के गठबंधन का नामकरण भले ही आज हुआ है लेकिन नाम की कल्पना काफी पहले ही हो चुकी थी। ‘INDIA’नाम के पीछे राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का काफी योगदान है। राहुल गांधी के नेतृत्व में कन्याकुमारी से कश्मीर तक भारत जोड़ो यात्रा निकाली गई। इस यात्रा को लेकर कांग्रेस की ओर से कहा गया कि भारत जोड़ो यात्रा ने बहुत अंतर पैदा किया है। भारत जोड़ो यात्रा में लगभग 3,000 किलोमीटर की दूरी तय की गई थी। यात्रा के दौरान राहुल गांधी बार-बार यह कहते थे कि भारत जोड़ने निकले हैं। यात्रा के बाद उनकी ओर से कई बार यह कहा गया कि नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान खोल रहा हूं। ऐसा नहीं कि इस नाम के पीछे सिर्फ यही सोच है। एक दूसरी सोच भी है जिसका असर आज ही बेंगलुरु वाली बैठक में दिख गया।
इंडिया और नरेन्द्र मोदी के बीच लड़ाई है। यह बताने की जरूरत नहीं है कि जीत किसकी होगी। जब भी कोई हिंदुस्तान के सामने खड़ा होता है, तो जीत किसकी होती है।
राहुल गांधी, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष
‘INDIA’… बीजेपी के लिए हमला करना क्या होगा आसान
2024 से पहले ‘INDIA’गठबंधन का जो नाम दिया गया है उसके पीछे एक ऐसी सोच भी है जिससे बीजेपी भी उलझन में है। बेंगलुरु वाली बैठक में इसका असर भी देखने को मिला। जब ममता बनर्जी ने कहा कि बीजेपी कैन यू चैलेंज इंडिया। आने वाले वक्त में सभी विपक्षी दलों की ओर से ऐसा सुनने को मिलेगा। विपक्ष की ओर से जो नाम तय किया गया है उसके बाद ‘INDIA’ संबोधित करते हुए बीजेपी के लिए हमला करना आसान नहीं होगा। बेंगलुरु में राहुल गांधी ने एक बार फिर अपने उसी अंदाज में केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा और उसके सेंटर में ‘INDIA’ को रखा।
नाम के पीछे की क्रोनोलॉजी समझिए
एक ओर जहां बीजेपी के एजेंडे में राष्ट्रवाद केंद्र मे रहता है उसको कहीं न कहीं काउंटर करने की भी कोशिश के रूप में भी इसको देखा जा सकता है।
‘INDIA’में जहां I से इंडिया, N से नेशनल, D से डेवलपमेंट, I से इनक्लूसिव और A से अलायंस होगा। इस नाम में पूरे इंडिया की बात है तो वहीं नेशनल, डेवलपमेंट,इनक्लूसिव अलायंस होगा। यानी सबकुछ इसमें समाहित करने की कोशिश की गई है।
विपक्षी दल कहे जाने पर पर आपत्ति
जून के महीने में जब पहली बार पटना में विपक्षी दलों की बैठक हुई थी तो उस बैठक में विपक्षी दलों की ओर से इस बात पर आपत्ति जताई गई थी कि उन्हें विपक्षी कहना ठीक नहीं। सत्ता पक्ष और विपक्ष यह दोनों लोकतंत्र में कोई नए शब्द नहीं। विपक्ष को भी यह बात पता है हालांकि विपक्षी दलों की ओर से इशारा कहीं और था। उनकी ओर से यह कहा गया कि हम बाहरी नहीं। पटना वाली मीटिंग से यह संकेत मिल गए कि आने वाले वक्त में नाम अलग होगा। राजनीति में परसेप्शन का बहुत महत्व होता है। विपक्ष की ओर से नाम के जरिए एक धारणा को बदलने की कोशिश जरूर की गई है।