Rajasthan: गहलोत-पायलट दोनों शांत, लेकिन दिल्ली में हो रही राजस्थान कांग्रेस को लेकर उठा पटक, जल्दी कुछ बड़ा होने वाला है

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प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा सोमवार को ही नई दिल्ली पहुंच गए थे। लेकिन प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर रंधावा के नहीं होने के कारण प्रस्तावित मंथन बैठक टल गई थी।

Jaipur: प्रदेश कांग्रेस में संगठन विस्तार को लेकर आज नई दिल्ली में वरिष्ठ नेताओं के बीच मंत्रणा होना प्रस्तावित है। माना जा रहा है कि इस महत्वपूर्ण बैठक के बाद संगठन से जुड़े कई लंबित मामले एक-एक कर दूर किए जाएंगे। इन लंबित मामलों में सबसे प्रमुख खाली पड़े पदों पर नियुक्तियों का है। बताया जा रहा है कि तमाम तरह के सर्वे और विभिन्न मापदंडों को पूरा करते हुई नियुक्तियों की सूची तैयार है, बस वरिष्ठ नेताओं के बीच आखिरी मंथन और जोड़-भाग करके इसे जारी किए जाने का इंतज़ार है।

डोटासरा दिल्ली में, आज रंधावा भी पहुंचेंगे
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा सोमवार को ही नई दिल्ली पहुंच गए थे। लेकिन प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर रंधावा के नहीं होने के कारण प्रस्तावित मंथन बैठक टल गई थी। अब ये बैठक आज होना बताया जा रहा है। तीनों सह प्रभारी काजी निजामुद्दीन, वीरेन्द्र राठौड़ और अमृता धवन मौजूद हैं। डोटासरा सप्ताह में दूसरी बार हाईकमान के नेताओं से मिलने दिल्ली गए हुए हैं।

जानकारी के अनुसार डोटासरा और रंधावा राजस्थान में संगठनात्मक नियुक्तियों और चुनाव के मद्देनज़र आगामी रणनीति को लेकर महासचिव किसी वेणुगोपाल से भी मुलाक़ात कर सकते हैं। ज़रूरी हुआ तो कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी से भी राजस्थान ने नेताओं की मुलाक़ात हो सकती है।

वर्चुअल जुड़ेंगे सीएम गहलोत
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत स्वास्थ्य कारणों से दिल्ली की बैठकों में शामिल नहीं हो पा रहे हैं। ऐसे में कहा जा रहा है कि दिल्ली की बैठकों में रायशुमारी और मार्गदर्शन के लिए मुख्यमंत्री वर्चुअल तौर पर जुड़ सकते हैं।

शान्ति बनाये बैठे हैं पायलट
पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट कांग्रेस आलाकमान के हस्तक्षेप के बाद से शांत बैठे हुए हैं। उनके या उनके गुट के नेताओं की ओर से अभी कोई हलचलें नहीं हो रही हैं। अपनी ही पार्टी की गहलोत सरकार के खिलाफ आंदोलन का बिगुल बजाते हुए जिन मांगों को पायलट ने पुरज़ोर तरीके से उठाया था, उनका समाधान भी अभी तक नहीं हो सका है। ऐसे में इस चुनावी वर्ष दिल्ली में होने वाली हर बैठक काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

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