Rajasthan: जयपुर नगर निगम हैरिटेज में पट्टा देने की एवज में महापौर मुनेश गुर्जर के पति ने मांगी रिश्वत, चुनाव लड़ा तब खुद को लखपति बताया, 33 माह में करोड़पति बनी मेयर मुनेश गुर्जर

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राज्य सरकार ने नगर निगम हैरिटेज महापौर मुनेश गुर्जर को निलंबित कर दिया हैं. पट्टे जारी करने के एवज में पैसे लेने के मामले में एसीबी की गिरफ्त में आए महापौर पति सुशील गुर्जर के साथ मुनेश की भूमिका भी प्रथम दृष्टया संलिप्तता मानी हैं.

Jaipur: राज्य सरकार ने नगर निगम हैरिटेज महापौर मुनेश गुर्जर को निलंबित कर दिया हैं. पट्टे जारी करने के एवज में पैसे लेने के मामले में एसीबी की गिरफ्त में आए महापौर पति सुशील गुर्जर के साथ मुनेश की भूमिका भी प्रथम दृष्टया संलिप्तता मानी हैं. निलंबित मेयर मुनेश गुर्जर के आवास से भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) के सर्च की कार्रवाई में लाखों रूपए नकदी से लेकर पांच बैंक पासबुक में लाखों रूपए की एंट्री और गोल्ड मिला हैं. 33 माह पहले नगर निगम हैरिटेज मेयर सीट संभालने से पहले मेयर चुनाव में जिस मुनेश गुर्जर ने अपने पास 32 हजार रूपए नकद और बैंक अकाउंट बताए, अब वहीं मुनेश गुर्जर सीट मेयर की सीट संभालने के बाद करोडपति बन गई हैं.

सीट संभालने के बाद नकदी के साथ जेवरात में भी इजाफा हुआ हैं. सवाल ये है की तीन साल से कम समय में इतना पैसा और गोल्ड आया कहां से? क्या रिश्वत के पैसे से निलंबित मेयर मुनेश गुर्जर करोडपति बन गई ? क्योंकि तीन साल से कम समय यानि की 33 माह में मुनेश गुर्जर और उनके पति सुशील गुर्जर के पास नकदी 6 हजार से बढकर 41 लाख हो गई. सोना 4 तोला से बढकर 250 ग्राम पहुंच गया और बैंक अकाउंट में जमा राशि 25 हजार से बढकर 50 लाख से ज्यादा पहुंच गई.

33 माह पहले यानि की 5 नवंबर को मेयर पद के चुनाव में दिए शपथ पत्र में बतौर प्रत्याशी मुनेश गुर्जर ने स्वयं और उनके पति सुशील गुर्जर के दो बैंक खाते में 25 हजार रूपए, 4 तोला सोने के दो लाख के जेवर,7 हजार हुए नकद और जगतपुरा की गौतम कॉलोनी में 300वर्गगज का 24 लाख का प्लाट दिखाया था, लेकिन 33 माह बाद सबकुछ बदल गया.

बैंक अकाउंट के साथ नकद रकम का दायरा भी बढ गया. एसीबी को शुक्रवार को सर्च में महापौर के घर से दो लाख की रिश्वत की राशि, 41 लाख 55 हजार 400 रुपए नकद, 250 ग्राम सोने के जेवर, बैंकों की पास बुक, जिनमें 50 लाख रुपए जमा होना और बैंक लॉकर की जानकारी मिली है.सीबी को महापौर के घर एक कार के दस्तावेज भी मिले हैं, जो किसी अन्य व्यक्ति के नाम से खरीदी गई है और नगर निगम में ठेके पर लगी है.

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