Rajasthan: जयपुर शहर की 8 विधानसभा सीटों में से 6 पर कांग्रेस का कब्जा, इनमें से 3 मंत्री, इस बार जयपुर किसे पहनाएगा ताज, जानिए गुलाबी नगर का सियासी गणित

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राजस्थान की राजधानी जयपुर की 8 विधानसभा सीटों में से 6 पर कांग्रेस का कब्जा है। विधानसभा चुनाव 2018 में यहां विजयी रही 6 विधायकों में से 3 को गहलोत ने मंत्री बना रखा है। यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल के हाल ही दिए बयान के बाद यहां की सियासत चर्चा में है।

Jaipur: राजस्थान की राजधानी यानी जयपुर शहर के विकास को लेकर पिछले दिनों से कैबिनेट मंत्री आमने सामने रहे। यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने कमेंट किया था कि जयपुर में कांग्रेस के 6 विधायक हैं, इनमें से 3 मंत्री हैं। इसके बावजूद भी विकास के काम अटके हुए हैं, क्योंकि विधायक और मंत्रियों में तालमेल नहीं है। इसके बाद कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने धारीवाल के बयान पर पलटवार करते हुए उन्हें बीजेपी का कार्यकर्ता बता दिया था। मंत्रियों के बयानों से कांग्रेस प्रदेश प्रभारी सुखजिन्दर सिंह रंधावा नाराज हुए। रंधावा ने मुख्यमंत्री से कहा कि वे अपने मंत्रियों को कंट्रोल में करें और ऐसी बयानबाजी पर रोक लगाएं। आइये जानते हैं कि जयपुर शहर की विधानसभा सीटों पर कौन कौन विधायक हैं और वे कितने कितने मार्जिन से चुनाव जीते…

जयपुर की सबसे बड़ी जीत बीजेपी के अशोक लाहोटी की
जयपुर शहर की सांगानेर विधानसभा सीट पर जीत का मार्जिन सर्वाधिक रहा। यहां बीजेपी के अशोक लाहोटी ने कांग्रेस प्रत्याशी पुष्पेन्द्र भारद्वाज को 35,405 वोटों से हराया। लाहोटी को कुल 1 लाख 7 हजार 947 वोट मिले जबकि कांग्रेस के पुष्पेन्द्र भारद्वाज को 72 हजार 542 वोट मिले। तीसरे स्थान पर भारत वाहिनी पार्टी के घनश्याम तिवाड़ी रहे। उन्हें 17,371 वोट मिले थे। तिवाड़ी वर्तमान में बीजेपी से राज्यसभा सांसद हैं। 2018 के चुनावों से पहले उन्होंने बीजेपी छोड़ दी थी और नई पार्टी बनाकर चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें महज 8 प्रतिशत वोट प्राप्त हुए। इससे उनकी जमानत जब्त हो गई थी। सांगानेर सीट बीजेपी का गढ़ रही है। वर्ष 2003 से अब तक लगातार बीजेपी के प्रत्याशी चुनाव जीतते आए हैं। 2003 में राव राजेन्द्र सिंह चुनाव जीते थे जबकि 2008 और 2013 के चुनावों में घनश्याम तिवाड़ी ने लगातार 2 बार चुनाव जीता था।

सिविल लाइन्स से दूसरी बार विधायक बने कांग्रेस के प्रताप सिंह खाचरियावास
सिविल लाइन्स विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी प्रताप सिंह खाचरियावास ने बीजेपी के अरुण चतुर्वेदी को 18,078 वोटों से हराया था। प्रताप सिंह को कुल 87,937 वोट मिले थे जबकि पूर्व मंत्री अरुण चतुर्वेदी को 69,859 मिले थे। वर्ष 2013 के विधानसभा चुनावों में भी अरुण सिंह और प्रताप सिंह खाचरियावास आमने सामने थे। तब चतुर्वेदी ने प्रताप सिंह को 11,129 वोटों से हराया था। वर्ष 2008 में प्रताप सिंह खाचरियावास के सामने अशोक लाहोटी थे। तब प्रताप सिंह ने अशोक लाहोटी को 6,961 वोटों से हराया था।

बीजेपी का गढ़ रही है परकोटा क्षेत्र की किशनपोल सीट
जयपुर शहर की किशनपोल विधानसभा सीट पर 2018 के चुनावों में कांग्रेस के अमीन कागजी ने बीजेपी के मोहनलाल गुप्ता को 8,770 वोटों से हराया। कागजी को 71,189 वोट मिले थे जबकि पूर्व विधायक मोहनलाल गुप्ता को 62,419 वोट मिले। किशनपोल सीट बीजेपी का गढ़ रही है। यहां 1990 के बाद 7 बार विधानसभा चुनाव हुए। इन सात में से बीजेपी ने पांच बार जीत हासिल की। वर्ष 1998 में निर्दलीय प्रत्याशी नन्दलाल और 2018 के चुनावों में कांग्रेस प्रत्याशी ने जीत हासिल की।

एक बार कांग्रेस और एक बार बीजेपी जीतती आई है हवामहल से
जयपुर शहर की हवामहल विधानसभा सीट पर वर्ष 1998 से एक बीजेपी और एक कांग्रेस की जीत होती आई है। इस बार कांग्रेस के महेश जोशी ने बीजेपी के सुरेन्द्र पारीक को 9,282 वोटों से हराया था। जोशी वर्तमान में कैबिनेट मंत्री हैं। जोशी को 85,474 वोट मिले थे जबकि उनके प्रतिद्वंदि सुरेन्द्र पारीक को 76,192 वोट मिले थे। पिछले चुनावों में यानी वर्ष 2013 के चुनावों में बीजेपी के सुरेन्द्र पारीक ने पूर्व मंत्री बृजकिशोर शर्मा को 12,715 वोटों से हराया ता। वर्ष 2008 के चुनावों में कांग्रेस के बृजकिशोर शर्मा महज 580 वोटों से चुनाव जीते थे लेकिन गहलोत सरकार में वे मंत्री बने थे।

कटारिया ने बीजेपी के राजपाल शेखावत से छीनी झोटवाड़ा सीट
जयपुर शहर की झोटवाड़ा सीट से 2018 के चुनावों में कांग्रेस के लालचंद कटारिया ने बीजेपी के राजपाल सिंह शेखावत को 10,747 वोटों से हराया था। कटारिया को 127,185 वोट मिले जबकि शेखावत को 116,438 वोट मिले थे। लालचंद कटारिया वर्तमान में कैबिनेट मंत्री हैं और वे जयपुर ग्रामीण सीट से लोकसभा सांसद भी रह चुके हैं। राजपाल सिंह शेखावत 2008 और 2013 में लगातार झोटवाड़ा से विधायक रह चुके हैं। इससे पहले कांग्रेस के टिकट पर बाबूलाल नागर 1998 में 2003 में दो बार झोटवाड़ा से विधायक रहे।

बीजेपी के दिग्गज कालीचरण सराफ लगातार तीन बार जीते चुनाव
जयपुर की मालवीय नगर विधानसभा सीट से पिछले तीन चुनावों में लगातार बीजेपी की जीत होती आई है। वर्ष 2008, 2013 और 2018 में लगातार बीजेपी के कालीचरण सराफ विधायक चुने गए। वर्ष 2008 में वे 17,558 और वर्ष 2013 में 48,718 वोटों से जीते थे लेकिन वर्ष 2018 के विधानसभा चुनावों में सराफ सिर्फ 1,704 वोटों से चुनाव जीते थे। 2018 में बीजेपी के कालीचरण सराफ को 70,221 और कांग्रेस की डॉ. अर्चना शर्मा को 68,517 वोट मिले थे। सराफ ने डॉ. अर्चना शर्मा को लगातार दो बार चुनाव हराया। इससे पहले सराफ ने राजीव अरोड़ा को चुनाव हराया था। वर्ष 1998 और 2003 में इस सीट पर कांग्रेस के रामचंद्र की जीत हुई थी।

किसी दल की परम्परागत सीट नहीं रही बगरू
बगरू विधानसभा सीट जयपुर शहर के बाहरी क्षेत्र को कवर करती है। बगरू किसी भी राजनितिक पार्टी की परम्परागत सीट कभी नहीं रही। यहां कभी कांग्रेस, कभी बीजेपी तो कभी निर्दलीय प्रत्याशियों की जीत होती रही है। वर्ष 2018 के चुनावों में कांग्रेस की गंगा देवी ने बीजेपी के कैलाश वर्मा को 5,343 वोटों से चुनाव हराया था। गंगा देवी को 96,635 वोट मिले जबकि कैलाश वर्मा को 91,292 वोट मिले थे। वर्ष 2013 के चुनावों में मोदी लहर के दौरान बीजेपी के कैलाश वर्मा कांग्रेस के डॉ. प्रह्लाद रघु को 46,356 वोटों से हराते हुए पहली बार चुनाव जीता था। राजे सरकार में वर्मा संसदीय सचिव भी रहे। इससे पहले वर्ष 2008 के चुनावों में कांग्रेस की गंगा देवी ने बगरू से चुनाव जीता था।

विद्याधर नगर सीट हमेशा से रही है बीजेपी का गढ़
जयपुर शहर की विद्याधर नगर विधानसभा सीट पिछले 20 साल से बीजेपी का गढ़ रही है। वर्ष 2003 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी के रामकिशोर मीणा ने 20,571 वोटों से विद्याधर नगर सीट से चुनाव जीता था। इसके बाद वर्ष 2008, 2013 और 2018 में हुए चुनावों में नरपत सिंह राजवी लगातार चुनाव जीतते आए हैं। राजवी पूर्व उपराष्ट्रपति भैंरोसिंह शेखावत के दामाद हैं। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनावों में राजवी ने कांग्रेस के सीताराम अग्रवाल को 31,232 वोटों से चुनाव हराया था। राजवी को 95,599 वोट मिले थे जबकि सीताराम अग्रवाल को 64,367 वोट मिले थे।

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