सचिन पायलट की ओर से तीन प्रमुख मांगों को लेकर गहलोत सरकार को दिया गया अल्टीमेटम को अब पांच दिन ही शेष बचे हैं। ऐसे में राजस्थान की राजनीति में इस बात को लेकर चर्चा तेज होने लगी है कि आखिर अल्टीमेटम की अवधि यानी 31 मई के बाद राजस्थान की राजनीति किस ओर मुड़ेगी।
Jaipur: सचिन पायलट की ओर से तीन प्रमुख मांगों को लेकर गहलोत सरकार को दिया गया अल्टीमेटम समाप्त होने को है। पायलट द्वारा दी गई अल्टीमेटम की अवधि 31 मई को पूरी हो जाएगी। लेकिन फिलहाल हालात को देखते हुए नहीं लग रहा है, कि गहलोत सरकार पायलट के अल्टीमेटम को लेकर गंभीर बनी हुई है। ऐसे में माना जा रहा है कि 31 मई के बाद राजस्थान में एक बार फिर सियासी बवाल जोर पकड़ेगा। इसको लेकर सियासी गलियारों में एक बार फिर नजरें पायलट की तरफ हो गई है। दूसरी ओर अशोक गहलोत की ओर से पायलट को लेकर दिए गए ‘बुद्धि के दिवालियापन’ के बयान से सियासी लड़ाई और तेज हो गई है। दिल्ली में गहलोत और पायलट की सुलह को लेकर 26 मई को होने वाली बैठक भी स्थगित हो गई। इस बैठक के स्थगित होने के बाद लोगों के बीच यह चर्चा है कि 31 मई तक अगर पायलट की बातों को नहीं माना गया तो वह क्या कदम उठाएंगे।
इन मांगों को लेकर पायलट ने दिया था अल्टीमेटम
पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने गत 11 मई को अजमेर से जन संघर्ष यात्रा शुरू की थी। इस यात्रा के समापन पर पायलट ने जयपुर में अपने तीन प्रमुख मुद्दों को उठाते हुए गहलोत सरकार को 31 मई तक का अल्टीमेटम दिया था। इसमें आरपीएससी बोर्ड को भंग कर पुनर्गठित करने, वसुंधरा सरकार के दौरान हुए भ्रष्टाचार मामलों की जांच करवाने और पेपर लीक मामले में पीड़ित युवाओं को आर्थिक मुआवजा दिलवाने की मांग उठाई थी। इस दौरान पायलट ने जनसभा में गहलोत को खुली चुनौती देते हुए कहा कि यदि उनकी मांगे 31 मई तक नहीं मानी गई तो, पूरे प्रदेश में आंदोलन किया जाएगा। हालांकि पायलट की चेतावनी के बाद कांग्रेस आलाकमान भी परेशान नजर आया। इसको लेकर आलाकमान का नजरिया पायलट को लेकर कुछ हद तक नरम भी दिखा।
दिल्ली में कांग्रेस की बैठक रद्द होने से बढ़ी राजस्थान राजनीति की चर्चा
एक ओर जहां सचिन पायलट के 31 मई के अल्टीमेटम को लेकर कांग्रेस आलाकमान में उथल-पुथल मची हुई है। आलाकमान गहलोत-पायलट के बीच की सियासी लड़ाई को थामने की पूरी कोशिश कर रहा है। बताया यह भी जा रहा है कि कांग्रेस आलाकमान ने सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच चल रही लड़ाई को खत्म करने के लिए फॉर्मूला भी तैयार कर लिया है। इसके तहत कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष की कुर्सी पर दोबारा सचिन पायलट को सौंपा जाना तय हुआ है। लेकिन सूत्र बता रहे हैं कि इस बात से सीएम अशोक गहलोत सहमत नहीं है। इन्हीं मुद्दों को हल दिल्ली बैठक में निकलने की खबर पहले सामने आ रही थी, लेकिन छतीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान के विधानसभा चुनावों को लेकर 26 मई को होने वाली बैठक स्थगित होने के बाद सियासी गलियारों में यही मुद्दा फिर गर्म होने लगा है कि आखिर राजस्थान की राजनीति किस ओर मुड़ेगी।
पायलट के अल्टीमेटम को लेकर गहलोत ज्यादा चिंतित नहीं
पायलट की चेतावनी को लेकर सीएम गहलोत के तीखे तेवर अभी भी बरकरार है। ऐसे में माना जा रहा है कि 31 मई के अल्टीमेटम को लेकर सीएम गहलोत ज्यादा चिंतित नहीं है। इसकी झलक तब दिखी जब पेपर लीक मामले में सीएम गहलोत ने पायलट का नाम लिए बगैर जमकर हमला किया। उन्होंने कहा कि कुछ लोग पेपर लीक मामले में युवाओं को मुआवजा देने की मांग कर रहे हैं। ऐसे में यह उन लोगों की बुद्धि का दिवालियापन नहीं है, तो क्या है। आज तक ऐसा कभी हुआ है। ऐसा कोई मुल्क नहीं है। जहां इस तरीके से लोगों को मुआवजा दिया हो। गहलोत के इस हमले के बाद साफ हो गया है कि वे पायलट के मुद्दे लेकर झुकने वाले नहीं है।राहुल गांधी के शिमला होने की वजह से मीटिंग हुई रद्द
कांग्रेस आलाकमान गहलोत-पायलट की बीच की लड़ाई को लेकर काफी गंभीर है। वह जल्द से जल्द इस लड़ाई को समाप्त करना चाहता है। यह भी साफ है कि पार्टी दोनों नेताओं को खोना नहीं चाहती। पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव पर अपना फोकस करना चाहती है। इसी लिहाज से 26 मई को राहुल गांधी और राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खरगे की मौजूदगी में बैठक बुलाई गई थी। इसमें सीएम अशोक गहलोत, सचिन पायलट, गोविंद सिंह डोटासरा और सीपी जोशी सहित राजस्थान के कई बड़े नेताओं को भी बुलावा भेजा गया था। इस बैठक को लेकर माना जा रहा था कि आलाकमान गहलोत और पायलट के बीच में सुलह कराने का प्रयास करेगा। लेकिन 25 मई की रात को अचानक दिल्ली में होने वाली बैठक स्थगित कर दी गई। इसका कारण यह बताया जा रहा है कि राहुल गांधी शिमला गए हुए हैं। ऐसी स्थिति में उनके आने के बाद ही वापस नए सिरे से मीटिंग की दिनांक तय की जाएगी।
बयानों का दौर लगातार जारी, कैसे होगी सुलह ?
आलाकमान भले ही गहलोत और पायलट के बीच सुलह कराने के लिए प्रयास कर रहा है। लेकिन दोनों ही खेमों की तरफ से बयानबाजी का दौर लगातार जारी है। दोनों ही गुट एक दूसरे पर बड़ा हमला करते नजर आ रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या आलाकमान की कोशिश कामयाब हो पाएगी। दिल्ली में 26 मई को होने वाली बैठक से पहले गहलोत ने पायलट पर हमला कर सियासी बवाल को और भड़का दिया है। दूसरी ओर 31 मई का अल्टीमेटम समाप्त होने में अब महज 5 दिन शेष रहे हैं। ऐसे में सचिन पायलट भी अपनी अगली रणनीति को लेकर तैयारी में लग गए होंगे। अब देखना है कि आलाकमान की कोशिश कामयाब हो पाती है या नहीं।