Cricket: वीरेंद्र सहवाग बनाए जा सकते हैं टीम इंडिया के सेलेक्टर, चेतन शर्मा के इस्तीफे के बाद खाली है पद

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भारतीय टीम के चीफ सेलेक्टर का पद चेतन शर्मा के इस्तीफे के बाद खाली है। इस साल वनडे वर्ल्ड कप और एशिया कप जैसे बड़े टूर्नामेंट होने है जिसके लिए अभी टीम चयन बाकी है।

New Delhi: टीम इंडिया का इस साल एशिया कप, वनडे वर्ल्ड कप जैसे बड़े टूर्नामेंट्स के लिए चयन होना है। ऐसे में सेलेक्शन कमेटी का रोल काफी अहम हो जाता है। गौरतलब है कि चेतन शर्मा ने हाल ही में कुछ दिनों पहले एक स्टिंग ऑपरेशन वायरल होने के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। वर्तमान में शिव सुंदर दास चीफ सेलेक्टर की भूमिका निभा रहे हैं। लेकिन कभी भी टीम इंडिया के चीफ सेलेक्टर का ऐलान हो सकता है। वीरेंद्र सहवाग का नाम इन दिनों काफी चर्चा में है। इसी बीच एक मुद्दा सेलेक्टर्स की सैलरी का भी उठ कर आ रहा है। दरअसल पिछले कुछ सालों से दिलीप वेंगसरकर और के. श्रीकांत के बाद कोई भी बड़ा खिलाड़ी सेलेक्टर नहीं बना। ऐसे में यह सवाल है कि बड़े खिलाड़ी क्यों यह जिम्मेदारी लेने से कतराते हैं

इसको लेकर जानकारों का मानना है कि जो सेलेक्टर बनना भी चाहते हैं, वह इस पद के लिए वेतन कम होने के कारण नहीं बन पाते हैं। उत्तर क्षेत्र से चेतन शर्मा की जगह बीसीसीआई को अभी तक कोई उपयुक्त नाम नहीं मिल पाया है। भारत के पूर्व सलामी बल्लेबाज शिवसुंदर दास को शर्मा की जगह अंतरिम अध्यक्ष बनाया गया है जबकि एस शरत, सुब्रोतो बनर्जी और सलिल अंकोला चयन समिति में हैं। मौजूदा सेलेक्टर पूर्व, पश्चिम, दक्षिण और सेंट्रल जोन से हैं जबकि उत्तर की जगह चेतन शर्मा के बाद खाली है।

कितनी होती है सेलेक्टर्स की सैलरी?
सीनियर सेलेक्शन कमेटी के अध्यक्ष यानी चीफ सेलेक्टर को एक करोड़ रूपए सालाना मिलते हैं जबकि चार अन्य सदस्यों को 90 लाख रुपए सालाना दिए जाते हैं। अगर बड़े नामों की बात करें तो वेंगसरकर और श्रीकांत के कार्यकाल के बाद सेलेक्टर्स को वेतन देना शुरू किया गया था। वहीं मोहिंदर अमरनाथ और संदीप पाटिल जैसे नामी खिलाड़ी भी यह भूमिका निभा चुके हैं। सेलेक्टर्स की सैलरी इस पोस्ट के लिए पिछले कुछ सालों से बड़े नामों के नहीं आने का कारण है। फिलहाल वीरेंद्र सहवाग के नाम जोरों-शोरों से आगे आ रहा है।

सहवाग बनेंगे सेलेक्टर?
इस समय उत्तर क्षेत्र से सेलेक्शन कमेटी में शामिल किए जाने के लिए एक ही बड़ा नाम निकल कर आ रहा है और वह है वीरेंद्र सहवाग का। बीसीसीआई के एक अधिकारी ने पीटीआई/भाषा को बताया कि, प्रशासकों की समिति के कार्यकाल के दौरान वीरू को मुख्य कोच के पद के लिए आवेदन करने के लिए कहा गया लेकिन अनिल कुंबले बाद में कोच बने। अब नहीं लगता कि वह खुद से आवेदन करेंगे। इसके अलावा उनके जैसे बड़े खिलाड़ियों को उसके कद के अनुरूप वेतन भी देना होगा। अगर सहवाग के अलावा बात करें तो उत्तर क्षेत्र से अन्य दिग्गज या तो चैनलों से जुड़े हैं या आईपीएल टीमों से। कुछ की एकेडमी हैं तो कुछ कॉलम लिखते हैं। गौतम गंभीर, हरभजन सिंह और युवराज सिंह भी उत्तर क्षेत्र से हैं लेकिन रिटायरमेंट को पांच साल पूरा होने के नियम पर वह एलिजिबिल नहीं हैं। भारत के पूर्व स्पिनर मनिंदर सिंह भी दो बार आवेदन कर चुके हैं। पहली बार उन्हें इंटरव्यू के लिए बुलाया गया लेकिन दूसरी बार नहीं।

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