पेपर लीक मामले पर संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने सीबीआई जांच से इनकार कर दिया है। सरकार के वक्तव्य से असंतुष्ट विपक्ष के विधायकों ने विधानसभा में जमकर हंगामा किया। विधानसभा अध्यक्ष ने सदन 10 मिनट के लिए स्थगित किया। इसके बाद मंत्री के जवाब पर असंतोष जाहिर करते हुए विपक्ष ने वॉक आउट भी कर दिया।
Jaipur: राजस्थान विधानसभा में मंगलवार को पेपर लीक मामले पर विपक्ष ने सरकार के वक्तव्य का विरोध किया। इस दौरान हुई बहस के दौरान जमकर हंगामा हुआ। 10 मिनट के लिए विधानसभा स्थगित भी रही। कार्रवाई दोबारा शुरू हुई तो संसदीय कार्य मंत्री धारीवाल ने पेपर लीक मामले की सीबीआई जांच कराने से इनकार कर दिया।
नेता प्रतिपक्ष करवाया सदन का बॉयकॉट
नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने पेपरलीक से जुड़े मामले में शिक्षा मंत्री डॉ बीडी कल्ला के जवाब पर सवाल खड़ा करते हुए असंतोष जताया। गुलाबचंद कटारिया ने कहा- पेपर लीक मामले में सरकार स्पष्ट रूप से जवाब नहीं दे पाई है और इस मामले को आरोप-प्रत्यारोप लगाकर बदनाम किया जा रहा है। प्रतिपक्ष ने सरकार के जवाब पर असंतोष जाहिर करते हुए वॉक-आउट कर दिया। तब संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल विपक्ष से बोले-पहले पूरा जवाब सुनकर जाएं।धारीवाल के टोकने से कटारिया नाराज हो गए और कहा- क्या जवाब सुनें। इसके बाद कटारिया और धारीवाल के बीच नोकझोंक हो गई। बीजेपी विधायकों ने भी हंगामा शुरू कर दिया। स्पीकर सीपी जोशी ने हंगामा बढ़ते देख पेपरलीक पर बहस को खत्म कर दिया और 1 बजकर 57 मिनट पर 10 मिनट के लिए सदन की कार्यवाही को स्थगित कर दिया।
विधानसभा अध्यक्ष बोले-परंपरा तोड़कर बहस की मंजूरी दी
सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू होने के बाद पेपरलीक पर बहस शुरू हुई। स्पीकर ने कहा कि राज्यपाल के अभिभाषण पर बहस के दिन स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा नहीं होती,लेकिन मामले की गंभीरता को देखते हुए मैंने परंपरा तोड़कर पेपर लीक के स्थगन पर चर्चा की मंजूरी दी है। हमें भर्ती प्रक्रिया से परीक्षाओं के पैटर्न पर चर्चा की जरूरत है।
सीबीआई जांच की जरूरत नहीं
संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने विपक्ष के उठाए गए सवालों का जवाब देते हुए कहा कि राजस्थान में पेपर लीक के मामले में बने कानून के बाद 7 केस दर्ज किए गए हैं। 4 केस में कोर्ट में चालान पेश कर दिए गए हैं। कोर्ट में मामले विचाराधीन हैं, अभी किसी को सजा नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि रीट पेपर लीक के मामले में हाईकोर्ट ने स्पष्ट तौर पर कहा था कि वह अपनी निगरानी में इसकी जांच कराएगा। इसलिए सीबीआई जांच की कोई जरूरत नहीं है। 102 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। लगभग 20 लाख रुपए भी जब्त किए गए थे। कोर्ट के निर्देश पर अवैध निर्माण के तहत अधिगम कोचिंग की बिल्डिंग को तोड़ा गया है। इसमें सरकार का कोई लेना देना नहीं है।
बीजेपी सरकार के वक्त पेपर लीक हुए, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई
शिक्षा मंत्री डॉ. बी डी कल्ला ने पेपर लीक मामले में सरकार की ओर से वक्तव्य देते हुए कहा कि 182 परीक्षाएं करवाई गई हैं, इसमें से 145 में नियुक्ति दी गई है। आरपीएससी के माध्यम से 57 परीक्षाएं आयोजित हुई। मंत्री कल्याण आरोप लगाया कि पिछली बीजेपी सरकार के कार्यकाल में साल 2013 से 2018 के बीच आरएएस और एलडीसी की परीक्षा के पेपर लीक हुए, लेकिन कोई कार्यवाही नहीं की गई। उत्तराखंड, पंजाब हरियाणा, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, यूपी, एमपी और झारखंड के साथ सेना भर्ती के पेपर भी लीक हुए हैं। कल्ला बोले- यह बात सही है कि देश में नकल माफिया बन गया है, उसे रोकने की जरूरत है। मामले में सरकार ने 10 करोड़ 12 लाख रुपए की संपत्ति जब्त की है और 4 सरकारी शिक्षकों को बर्खास्त किया गया है। उन्होंने कहा- इस मामले में और सख्त कानून बनाने की जरूरत है।
तथ्यों को छिपाया जा रहा है इससे युवाओं में रोष
विपक्ष के नेता गुलाबचंद कटारिया ने कहा- आरोप-प्रत्यारोप लगाने से काम नहीं चलेगा। बल्कि सरकार को यह बताना चाहिए कि पेपर लीक के मामले में किन-किन लोगों को पकड़ा गया है और क्या कार्रवाई की गई है? लेकिन तथ्यों को छिपाया जा रहा है, जिस कारण बेरोजगार युवाओं में आक्रोश है। उन्होंने कहा-सरकार को विधानसभा के कमेटी बनाकर परीक्षाओं में सुधार के लिए काम करने की जरूरत है। सेकंड ग्रेड पेपर लीक के मामले में एक गरीब बच्चा जो 5 लाख रुपए नहीं दे सकता था, उसने उदयपुर एसपी को इस मामले की जानकारी दी थी । उदयपुर एसपी ने निश्चित तौर पर समय रहते कार्रवाई कर मामले को उजागर किया। सरकार चाहे किसी की भी हो, लेकिन पेपर लीक मामला बहुत गंभीर है।इसे गंभीर समस्या मानकर समाधान ढूंढना चाहिए।
सुरेश ढ़ाका- भूपेंद्र सारण ने 10-10 लाख में पेपर बेचे
विपक्ष के उप नेता राजेंद्र राठौड़ ने कहा- शिक्षक पेपर लीक मामले में सुरेश ढाका और भूपेंद्र सारण सहित आरोपियों ने 10-10 लाख में रुपए में पेपर बेचे हैं। रीट पेपर लीक केस में राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष डीपी जारोलिया और कॉर्डिनेटर प्रदीप पाराशर को क्यों नहीं पकड़ा ? सवाल है। उन्होंने कहा पूरे मामले को दबाया जा रहा है। राठौड़ ने आरोप लगाया कि विप्र बोर्ड की उपाध्यक्ष मंजू शर्मा के बेटे धीरज शर्मा को पेपर लीक के मामले में पकड़ा गया था। लेकिन उसकी स्कूल के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। कन्स्टेबल पेपर लीक के मामले में आरोपी उदाराम की संपत्ति आज तक जब्त नहीं कि गई। बीजेपी विधायक कालीचरण सराफ, मदन दिलावर ,अनिता भदेल और बलराम पूनिया ने भी सरकार से पेपर लीक की निष्पक्ष जांच की मांग उठाई।
प्राइवेट इंस्टिट्यूट्स में परीक्षा नहीं करवाई जाए
राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) के विधायक नारायण बेनीवाल ने इस दौरान कहा- प्रतियोगी परीक्षाएं प्राइवेट संस्थाओं में कराने की व्यवस्था में बदलाव करने की जरूरत है। जांच भले ही एसओजी करें, उसमें किसी का कोई लेना देना नहीं है। लेकिन जांच निष्पक्ष होनी चाहिए। अगर भाजपा सीबीआई से जांच कराना चाहती है, तो राज्यपाल को वह पत्र क्यों नहीं दे रही। अगर न्याय नहीं मिला, तब हम कोर्ट में जाकर इसकी जांच सीबीआई से कराने का निवेदन करेंगे। निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा बोले- केंद्र सरकार और भाजपा शासित राज्यों में भी कई परीक्षाओं के पेपर लीक हुए हैं। आरपीएससी और अधिनस्थ बोर्ड में योग्य व्यक्तियों को नियुक्ति दी जानी चाहिए, जिससे की व्यवस्थाओं में सुधार किया जा सके।