दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर, 2021 को नई आबकारी नीति लागू की और भ्रष्टाचार का मामला तूल पकड़ने पर उसे सितंबर 2022 में रद्द कर दिया.
नई दिल्ली: केंद्रीय जांच ब्यूरों के बाद प्रवर्तन निदेशालय ने दिल्ली शराब घोटाला मामले में बड़ा खुलासा किया है. ईडी ने एक दिन पहले नई चार्जशीट में दावा किया कि दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने अलग-अलग चैनलों के जरिए 622.67 करोड़ रुपए हासिल किए. दिल्ली नई आबकारी नीति के तहत जिन चैनलों के जरिए उन्होंने पैसे हासिल किए उनमें पीओसी क्रेडिट नोट, हवाला चैनल और डायरेक्ट किक बैक शामिल हैं.
केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय से जुड़े सूत्रों के मुताबिक साउथ ग्रुप ने विजय नायर को 100 करोड़ रुपए की रिश्वत दी थी. इंडोस्पिरिट्स ने मनीष सिसोदिया और विजय नायर के सहयोग से एल लाइसेंस हासिल किया. इससे 192.8 करोड़ रुपए का मुनाफा कमाया. इसके अलावा, सरथ रेड्डी और ट्राइडेंट चेम्फर, अवंतिका कॉन्ट्रैक्टर्स और ऑर्गनोमिक्स इकोसिस्टम्स द्वारा नियंत्रित 3 संस्थाओं का इंडोस्पिरिट्स के लिए बकाया भुगतान 60 करोड़ रुपए है. इंडोस्पिरिट्स ने 4.35 करोड़ रुपए के अतिरिक्त क्रेडिट नोट जारी किए, जबकि 163.5 करोड़ रुपए का लाभ पेरनोड रिकार्ड से कमाया. इंडोस्पिरिट्स ने साउथ ग्रुप के साथ एक सुपर कार्टेल बनाया और 45.77 करोड़ रुपये का लाभ कमाया.
सिसोदिया ने 43 सिम का किया इस्तेमाल
ईडी के सूत्रों की मानें तो साउथ ग्रुप ने सरथ रेड्डी से जुड़ी संस्थाओं के खाते में 41.13 करोड़ रुपये की अतिरिक्त कैश डाली. यह कमिशन वसूलने का सिर्फ गैर कानूनी तरीका भर था. इस मामले में जब पूछताछ की गई तो वित्त टीम ईडी को कोई संतोषजनक वजह बताने में विफल रही. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस दौरान मनीष सिसोदिया ने 14 अलग-अलग मोबाइल फोन में 43 सिम कार्ड का इस्तेमाल किया. इतना ही नहीं पूर्व डिप्टी सीएम ने जांच में बाधा डालने और सारे सबूत मिटा दिए.
दरअसल, सीएम अरविंद केजरीवाल सरकार ने 17 नवंबर, 2021 को नई आबकारी नीति लागू की थी. भ्रष्टाचार का आरोप जोर पकड़ने और काफी शोर-शराबे के बाद सितंबर 2022 में सीएम ने नई नीति को रद्द कर दिया. शराब नीति रद्द होने के बाद भी ईडी और सीबीआई की जांच जारी है. सीबीआई ने इस मामले में मनीष सिसोदिया को 24 फरवरी को गिरफ्तार किया. उसके बाद से वो तिहाड़ जेल में बंद हैं.