बालकनी के जरिए घर में बाहर से ऊर्जा आती है और नेगेटिव ऊर्जा बाहर जाती है।
Jaipur: किसी भी बिल्डिंग में बालकनी को एक बहुत ही महत्वपूर्ण पार्ट माना जाता है। यह एक ऐसा एरिया होता है जहां घर के मेम्बर शांति के साथ बैठ कर मौसम का आनंद ले सकें। यही कारण है कि सभी लोग मकान बनाते समय एक बालकनी बनाना पसंद करते हैं, चाहे फिर उसकी साइज कुछ भी क्यों न हों। परन्तु यदि इस हिस्से में ही वास्तु दोष हो जाए तो उस मकान में रहने वाले परिवार का सर्वनाश हो जाता है।
बालकनी के जरिए घर में बाहर से ऊर्जा आती है और नेगेटिव ऊर्जा बाहर जाती है। ऐसे में बालकनी को सही तरह से बनाना चाहिए। ऐसा नहीं किए जाने पर घर में जबरदस्त वास्तु दोष उत्पन्न हो जाता है जो वहां रहने वाले लोगों के भाग्य और जीवन में बुरा असर डालता है। जानिए बालकनी से जुड़े कुछ वास्तु नियमों के बारे में
- बालकनी में ध्यान रखें ये वास्तु टिप्स
- वास्तु शास्त्र के अनुसार बालकनी को उत्तर, पूर्व या पश्चिम दिशा में बनाना चाहिए। दक्षिणमुखी भवन हो तो दक्षिण दिशा में भी बालकनी बनाई जा सकती है।
- बालकनी को कभी भी कबाड़ रखने की जगह के रूप में प्रयोग नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से वास्तु दोष उत्पन्न होता है। बालकनी को भी अपने लिविंग रूम का ड्राईंग रूम के समान ही सुंदर तथा आकर्षक बनाना चाहिए। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का आगमन होता है।
- घर के इस हिस्से को आप जितना हरा-भरा रखेंगे, घर में उतना ही अधिक पैसा आएगा। इसलिए यथासंभव यहां पर हरे-भरे पौधे लगाएं। यदि फूलदार पौधे लगाएंगे तो और भी अधिक उत्तम होगा। कंटीले पौधे यथा कैक्टस लगाने से बचें।
- बालकनी के सामने की ओर कोई पिलर, बड़ा पेड़ या अवरोधक नहीं होना चाहिए। ऐसा होने पर भी वास्तुदोष उत्पन्न होता है। इस स्थिति में बालकनी में एक मिरर इस तरह से लगाए कि उसमें उस अवरोधक वस्तु का सीधा प्रतिबिम्ब दिखाई दें। इससे वास्तु दोष दूर होगा।