समाजवादी पार्टी की ओर से प्रसपा अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव को स्वतंत्र करने का पत्र तो लिखा गया लेकिन उन्हें पार्टी से निकाला नहीं जा रहा है। यदि सपा उन्हें निकाल देती है तो शिवपाल स्वतंत्र हो जाएंगे। उन पर दल-बदल कानून भी लागू नहीं होगा।
UP Political News: प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया (Pragatisheel Samajwadi Party Lohia) के अध्यक्ष व समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के विधायक शिवपाल सिंह यादव (Shivpal Singh Yadav) लगातार सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) पर हमलावर हैं। इसके बावजूद समाजवादी पार्टी उन पर कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। पिछले दिनों समाजवादी पार्टी ने शिवपाल सिंह यादव को जहां सम्मान अधिक मिले वहां जाने के लिए स्वतंत्र होने का पत्र भी लिख दिया था।
प्रसपा अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव को स्वतंत्र करने का पत्र तो लिखा गया लेकिन उन्हें पार्टी से निकाला नहीं जा रहा है। दरअसल, यदि सपा उन्हें निकाल देती है तो शिवपाल पूरी तरह स्वतंत्र हो जाएंगे। उन पर दल-बदल कानून भी लागू नहीं होगा। वर्तमान में जो परिस्थितियां हैं उसमें शिवपाल यदि किसी दूसरी पार्टी में जाते हैं तो उन पर दल-बदल कानून लागू हो जाएगा।
यही कारण हैं कि शिवपाल सिंह यादव सपा पर लगातार हमलावर हैं और पार्टी कुछ एक्शन नहीं ले रही है। मंगलवार को तो शिवपाल ने कह दिया कि मुझे सपा से स्वतंत्र करने का पत्र जारी करना सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की अपरिपक्वता है। उन्होंने सपा अध्यक्ष को दो टूक जवाब देते हुए कहा कि अगर ऐसा ही करना था तो मुझे विधान मंडल दल से ही निकाल देते इस पत्र की क्या जरूरत थी।
शिवपाल सिंह यादव ने पत्रकारों से कहा कि सपा से स्वतंत्र होने का पत्र लिखने का क्या मतलब है क्योंकि संविधान के अनुसार हम सभी स्वतंत्र हैं। जब मैंने सपा से चुनाव लड़ा था तो पहले अपनी पार्टी से इस्तीफा दिया था, इसके बाद मैंने सपा की सदस्यता ली थी।
शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि चुनाव जीतने के बाद किसी भी बैठक में मुझे नहीं बुलाया गया। इसके बाद अब स्वतंत्र होने की बात कहना समझ से परे है। सपा अब वह पार्टी नहीं है जिसे मुलायम सिंह यादव ने डा. लोहिया के सपने को साकार करने के लिए सींचा था।
शिवपाल ने कहा कि यह पार्टी लगातार सियासी तौर पर गर्त में जा रही है। एक के बाद एक चुनाव हार रहे। हद तो यह हो गई कि जिन लोगों ने मुलायम सिंह को अपमानित किया उनके ही समर्थन में पार्टी खड़ी हो गई। मुलायम सिंह के अपमान पर जिन कार्यकर्ताओं का खून खौल जाता था वह शांत और तमाशबीन हैं। यह एक तरह का राजनीतिक क्षरण है। यह कितना नीचे जाएगा इसकी कल्पना करना मुश्किल है।