– राजस्थान छात्रसंघ चुनाव 2022 – कांग्रेस-भाजपा की प्रतिष्ठा दांव पर – छात्र इकाइयों के संपर्क में रहेंगे सीनियर नेता!
– एनएसयूआई-एबीवीपी हैं कांग्रेस-भाजपा की छात्र इकाई – छात्र संघ चुनाव में जीत रहेगी एनर्जी बूस्टर, आरएलपी पार्टी ने नहीं खोले अपने पत्ते, सस्पेंस कायम
राजस्थान में छात्रसंघ चुनाव हर बार की तरह इस बार भी प्रमुख सियासी दलों के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बना रहेगा। खासतौर से विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र मिशन 2023 के चुनावी मोड पर उतरी कांग्रेस और भाजपा के लिए इस चुनाव के पक्ष में आए नतीजे ‘एनर्जी बूस्टर’ का काम करेंगे। यही कारण है कि छात्रसंघ चुनाव की हर छोटी-बड़ी हलचलों पर दोनों ही दलों के शीर्ष नेतृत्व की पैनी नज़र रहेगी।
सीनियर नेता संभालेंगे मोर्चा
छात्रसंघ चुनाव की तारीखों के ऐलान होने के साथ ही कांग्रेस पार्टी की छात्र इकाई एनएसयूआई और भाजपा की छात्र इकाई एबीवीपी सक्रीय हो गई हैं। इस बीच खबर है कि दोनों ही दलों के प्रदेश नेतृत्व की ओर से जल्द ही सीनियर नेताओं को भी इन चुनावों के मद्देनज़र ज़िम्मेदारियाँ दी जा सकती हैं।
माना जा रहा है कि छात्र बार की तरह इस बार भी उन नेताओं के कन्धों पर दारोमदार रहेगा, जो छात्र राजनीति से निकलकर प्रदेश स्तरीय राजनीति में सक्रिय हैं। इनमें मौजूदा सांसद, विधायक और प्रदेश संगठन के प्रमुख पदाधिकारी शामिल रहेंगे।
इन नेताओं पर रह सकता है दारोमदार
भाजपा – प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सतीश पूनियां, उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़, विधायक कालीचरण सराफ, अशोक लाहोटी, रामलाल शर्मा, पूर्व विधायक राजपाल सिंह शेखावत, कैलाश वर्मा, भाजपा नेता जितेंद्र श्रीमाली
कांग्रेस – मंत्री डॉ महेश जोशी, प्रताप सिंह खाचरियावास, डॉ रघु शर्मा, महेन्द्र चौधरी, राजकुमार शर्मा, मुकेश भाकर, रामनिवास गावडिया, पुष्पेंद्र भारद्वाज, मनीष यादव, सोमेंद्र शर्मा
आरएलपी पर भी रहेगी नज़र
राजस्थान छात्रसंघ चुनाव में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के रुख पर सस्पेंस बना हुआ है। आरएलपी अपने छात्र प्रतिनिधियों को इस चुनाव में उतारती है या नहीं ये देखना दिलचस्प रहेगा। फिलहाल आरएलपी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक सांसद हनुमान बेनीवाल की ओर से भी इस बारे में अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
गौरतलब है कि सांसद हनुमान बेनीवाल खुद छात्र राजनीति से निकलकर सांसद के पद तक पहुंचे हैं। वे राजस्थान विश्वविद्यालय छात्रसंघ अध्यक्ष रह चुके हैं। इसके बाद वे विधायक और फिर सांसद बने।