सौरव गांगुली ने बताया सचिन तेंदुलकर, मोहम्मद अजहरुद्दीन और राहुल द्रविड़ के साथ कैसे थे उनके रिश्ते?

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बीसीसीआई के अध्यक्ष सौरव गांगुली ने कहा कि उन्होंने कभी भी सचिन तेंदुलकर, मोहम्मद अजहरुद्दीन या राहुल द्रविड़ जैसे खिलाड़ियों के साथ प्रतिस्पर्धा करने की कोशिश नहीं की।

बीसीसीआई के अध्यक्ष सौरव गांगुली का नाम भारतीय क्रिकेट के सबसे सफल कप्तानों में शुमार है। द इकोनॉमिक टाइम्स इंडिया लीडरशिप काउंसिल की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में टाइम्स स्ट्रेटेजिक सॉल्यूशंस लिमिटेड के प्रेसिडेंट और वर्ल्डवाइड मीडिया के सीईओ दीपक लांबा से बातचीत में कहा कि उन्होंने कभी भी सचिन तेंदुलकर, मोहम्मद अजहरुद्दीन या राहुल द्रविड़ जैसे खिलाड़ियों के साथ प्रतिस्पर्धा करने की कोशिश नहीं की।

गांगुली ने कहा, “एक कप्तान और एक लीडर होने में अंतर है। आप आपने बड़े और युवाओं को अपने नेतृत्व पर विश्वास करने का भरोसा दिलाते हैं? मेरे लिए कप्तानी का मतलब मैदान पर एक टीम का नेतृत्व करना है और लीडरशिप एक टीम का निर्माण करना है। इसलिए मैंने सचिन, अजहर या द्रविड़ के साथ काम किया है, लेकिन मैंने उनके साथ प्रतिस्पर्धा नहीं की। इसके बजाय, मैंने उनके साथ सहयोग किया और जिम्मेदारी साझा की।”

गांगुली ने कहा कि उन्होंने महान खिलाड़ियों के साथ खेला है जो किसी भी समय देश की कप्तानी कर सकते थे। उन्होंने कहा, “मैंने समय के साथ क्रिकेट का वास्तविक परिवर्तन देखा है। अलग-अलग मानसिकता वाले लोग थे और मुझे बहुत पहले ही एहसास हो गया था कि टीम के भीतर प्रतिभा की कोई कमी नहीं है, लेकिन बिना एक्सपोजर के टैलेंट कुछ भी नहीं है। मेरी कप्तानी में कुछ महान खिलाड़ी थे जो किसी भी समय कप्तान बन सकते थे और मैं उन महान खिलाड़ियों से मिलने के लिए भाग्यशाली था। इसलिए मैंने इसे न केवल एक सम्मान के रूप में देखा बल्कि चीजों को बदलने के अवसर के रूप में भी देखा।”

गांगुली ने यह भी कहा, “आप जब किसी व्यक्ति का चयन करते हैं तो पहले उनकी क्षमता देखते हैं और दूसरा आप उन्हें सफल होने के लिए चुनते हैं। और मेरे लिए उनका करियर भी मेरे जितना ही महत्वपूर्ण था क्योंकि मुझे पता है कि भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए क्या करना पड़ता है?” यह पूछे जाने पर कि कप्तान होने और बीसीसीआई के प्रबंधन में क्या समानता है?

सौरव ने जवाब दिया, “मेरा मानना है कि लोगों को प्रबंधित करना आम बात है। इस देश में युवा खिलाड़ियों से लेकर युवा कॉर्पोरेट कर्मचारी तक की असाधारण प्रतिभा है। मुझे वास्तव में विश्वास था कि अगर मुझे एक सफल टीम का कप्तान बनना है तो मुझे अपने सहयोगियों का सम्मान करना होगा ताकि वे अच्छे खिलाड़ी बन सकें।”

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