सभी ग्रहों में सबसे धीमी चाल से चलने वाले शनि को दूसरी राशि में प्रवेश करने में ढाई साल का समय लगता है। 29 अप्रैल को मकर राशि से कुंभ राशि में प्रवेश के साथ ही इसकी स्तिथि 29 मार्च 2025 तक कुंभ राशि में ही बनी रहेगी। कुछ समय के लिए पुनः शनि का प्रवेश मकर राशि में होगा किन्तु यह अवधि सिर्फ 6 महीना होगी उसके बाद पुनः शनि कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे और 2025 तक कुंभ राशि में ही रहेंगे।
शनि की चाल को देखें तो 29 अप्रैल से 11 जुलाई 2022 तक शनि कुंभ राशि में रहेंगे। 12 जुलाई से 16 जनवरी 2023 तक शनि मकर राशि में और 17 जनवरी से 29 मार्च 2025 तक कुंभ राशि में गोचर रहेंगे।
शनि देव का किसी राशि में प्रवेश और उनकी उस राशि में स्तिथि शनि देव के फल को निश्चित करती है। और साढ़े साती के दौरान व्यक्ति को उसी प्रकार के फल प्राप्त होंगे। तीन चरणों वाले साढ़े साती का दूसरा चरण सबसे कष्टदाई माना जाता है। क्योंकि इसी चरण में साढ़े साती अपने शिखर पर होती है। इस दौरान विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।
शनि के साढ़े साती के बुरे प्रभाव से बचने के लिए
1. भोजन में काले नमक और काली मिर्च का उपयोग करें
2. मीठी रोटी पर सरसों का तेल लगाकर काले कुत्ते को खिलाएं
3. शनिवार के दिन बंदरो को भुने चने खिलाएं
4. पूजा के समय महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें
5. लोहे की कटोरी में तेल भरकर उसमें सिक्का डालकर घर के किसी अंधेरे भाग में रख दें
6. शनिवार के दिन काली गए की सेवा करें सबसे पहले उसे रोटी खिलाएं, फिर सिंदूर का तिलक लगाएं, सींग मौली बांधे और मोतीचूर के लड्डू खिलाए और उसके चरण स्पर्श करें।
7. और अगर आप साढ़े साती से पीड़ित हैं तो शनिवार को वट या पीपल के पेड़ के नीचे सूर्योदय से पहले आप कड़वे तेल का दीपक जलाएं और पेड़ की जड़ में शुद्ध कच्चा दूध और धूप अर्पित करें।