बीते दशकों में हिंदी सिनेमा को भारतीय सिनेमा का पर्यायवाची माना जाता रहा है वहीं दूसरी भाषा में बनी फिल्मों को क्षेत्रीय फिल्मों की श्रेणी में परिभाषित किया जाता रहा है। लेकिन अब ऐसा प्रतीत होता है मानो अब हवा ने अपना रुख बदल लिया हो।
पिछले हफ्ते KGF 2 , रिलीज हुई। यह मूल रूप से कन्नड़ फिल्म है जिसे भारत के 4500 स्क्रीन पर रिलीज किया गया। भारत में इतने स्क्रीन पर रिलीज पहले सिर्फ उन फिल्मों को किया जाता था जिसके स्टार कास्ट में बड़े फिल्म स्टार होते थे।
2018 में आई KGF की सीक्वल KGH 2 रिलीज होते ही भारत की सबसे बड़ी बॉक्स ऑफिस हिट साबित हुई।
KGF 2 की रिलीज से पहले आई RRR अभी भी दर्शकों को अपनी तरफ खीच रही है। और कामयाबी के नए झंडे गाड़ रही है। वहीं कुछ महीने पहले आई फिल्म पुष्पा के गाने और डायलॉग आज भी लोगो की जुबान पर चढ़े हुए हैं।
भारत में किसी भी फिल्म को पूरे भारत की फिल्म बनने में सांस्कृतिक और भाषा एक रुकावट का काम करती थी लेकिन बीते दशकों में क्षेत्रीय भाषाओं में बनी फिल्मों ( मलयालम, तमिल, तेलुगु ) ने इस रुकावट को तोड़ा है और पूरे भारत की फिल्म बनकर उभरी है जो विश्व भर में भारतीय फिल्म इंडस्ट्री न नेतृत्व करती नजर आ रही हैं।
बाहुबली, बाहुबली 2, KGF, KGF 2, pushpa , RRR ये अब सिर्फ साउथ इंडिया नही पूरे भारत का नेतृत्व कर रही हैं।
फिल्म क्रिटिक्स अनुपमा चोपड़ा इस बात का समर्थन करती हैं और कहती है कि साउथ फिल्म इंडस्ट्री बहुत बेहतरीन फिल्म का निर्माण कर रही है और यह अद्भुत है मेरे हिसाब से इंडस्ट्री का क्रॉस पॉलिटन भारतीय सिनेमा को आगे बढ़ने में मदद करेगा और भारतीय फिल्म इंडस्ट्री को नई ऊंचाई पर ले कर जायेगा।