Typhoid: देश में बढ़ रहे हैं टाइफाइड के मामले, क्या हैं इसके कारण और बचाव के तरीके, जानिए

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जयपुर: देश के कई राज्यों में इन दिनों टाइफाइड के मामले बढ़ रहे हैं। आमतौर पर इसके पीछे का कारण दूषित पानी और भोजन होता है। दरअसल, टाइफाइड बुखार साल्मोनेला टाइफी नामक बैक्टीरिया के कारण होता है। इस बैक्टीरिया को फैलाने के लिए मक्खियां जिम्मेदार मानी जाती हैं। वह जहां भी बैठती हैं, इन बैक्टीरिया को छोड़ देती हैं। फिर हम अगर उसी दूषित पानी या बाहरी भोजन का सेवन कर लेते हैं, तो टाइफाइड का खतरा हो सकता है। टाइफाइड के कारण बुखार, पेट दर्द और उल्टी जैसी समस्याएं होने लगती हैं।

हाल ही में जारी एचएमआईएस (HMIS) की रिपोर्ट के अनुसार, मणिपुर, नागालैंड और बिहार के बाद तेलंगाना देश वो राज्य हैं, जहां 25% से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं। इसी कड़ी में आइए जानते हैं कि इस मौसम में टाइफाइड के मामलों का अधिक बढ़ने के पीछे क्या कारण है और इससे कैसे सुरक्षित रहा जा सकता है?

क्यों बढ़ रहा है टाइफाइड ?
वर्तमान में टाइफाइड के मामले बढ़े हैं, इसके कारण और बचाव के बारे में जानने के लिए हमने डॉ श्रेय श्रीवास्तव (इंटरनल मेडिसिन, ग्रेटर नोएडा) से संपर्क किया। डॉक्टर श्रेय बताते हैं कि, दूषित पानी और भोजन के सेवन से टाइफाइड होता है। गर्मियों में खाना जल्दी खराब होता है, जिसके ऊपर मक्खियां बैठने लगती हैं। ये मक्खियां भोजन को दूषित कर सकती हैं। कमजोर इम्यूनिटी वाले लोग इसकी चपेट में ज्यादा जाते हैं। बच्चों को टाइफाइड का अधिक खतरा होता है, क्योंकि उनका इम्यून सिस्टम कमजोर होता है और उनमें पर्सनल हाइजीन कमी के कारण वह इसका शिकार हो जाते हैं।

वायरल फीवर से कैसे अलग है टाइफाइड का बुखार?
टाइफाइड का बुखार होने पर शरीर में कंपकपी नहीं होती, जबकि वायरल फीवर में अक्सर लोग ठंड की शिकायत भी करते हैं। टाइफाइड के दौरान भूख में कमी, पेट में दर्द और रैशेज होने लगते हैं। इसके अलावा उल्टी की समस्या बनी रहती है। वायरल फीवर शरीर में तीन से चार दिन तक रहता है। हालांकि, टाइफाइड का बुखार अधिक समय तक रहता है। सही समय पर इसका इलाज न होने पर स्थिति गंभीर हो सकती हैं। ऐसे में समय रहते इसका चेकअप कराएं।

क्या कोविड पेशेंट को टाइफाइड से है खतरा?
वर्तमान में कोविड-19 सक्रिय मामलों की संख्या 3,736 के आसपास है। ऐसे में क्या उन्हें टाइफाइड से खतरा है? इस विषय पर डॉक्टर श्रेय ने बताया कि, यदि किसी कोविड पेशेंट का इम्यून सिस्टम बहुत कमजोर है, तो उन्हें टाइफाइड से अधिक खतरा हो सकता है। पर्सनल हाइजीन मेंटेन न होने पर या बाहरी भोजन का सेवन करने से कोविड पेशेंट इस बीमारी की चपेट में जल्दी आ सकते हैं। हालांकि, उपचार का तरीका समान होता है।

टाइफाइड के बचाव कैसे करें?
टाइफाइड के बचाव के बारे में डॉक्टर श्रेय का कहते हैं, यदि आप ऐसे क्षेत्र में रहते हैं जहां का पानी दूषित है तो विशेष सावधानी बरतें। आप इसके बचाव के लिए टाइफाइड वैक्सीन लगवा सकते हैं। साथ ही जब भी पानी का इस्तेमाल करें, तो पहले इसे गर्म करें और फिर ठंडा करने के बाद इसका उपयोग करें। इसके अलावा भोजन को साफ तरीके से पकाएं और पर्सनल हाइजीन का भी ध्यान रखें।

ध्यान रखें, टाइफाइड पर्सन टू पर्सन फैलने वाली बीमारी नहीं है। हालांकि, इस दौरान कुछ सावधानियां रखना बेहद जरूरी हैं। यदि आपके परिवार में किसी सदस्य को टाइफाइड होता है, तो इसके पीछे की वजह जानने का प्रयास और उससे बचाव करें।

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