नई दिल्ली: मानसून के दिनों में कई प्रकार की मच्छर जनित बीमारियों का जोखिम काफी बढ़ जाता है। भारी बारिश, जलजमाव और बाढ़ जैसी स्थितियां मच्छरों के प्रजनन के लिए सबसे अनुकूल होती हैं, यही कारण है कि मानसून और इसके बाद के कुछ महीनों में डेंगू-मलेरिया और चिकनगुनिया जैसे रोगों के शिकार लोगों की संख्या अधिक रिपोर्ट की जाती है। हालिया रिपोर्ट्स से पता चलता है कि देश में = में जुलाई के पहले 10 दिनों में डेंगू मरीजों के मामले बढ़े हैं। डॉक्टर्स कहते हैं, वैसे तो अधिकतर लोग ठीक हो जा रहे हैं पर जिस तरह से इस बार देश के अलग अलग हिस्सों में बाढ़ है इससे आने वाले दिनों में मच्छर जनित रोगों का जोखिम बढ़ सकता है।
डॉक्टर बताते हैं, डेंगू-मलेरिया हो या चिकनगुनिया, ये सभी शरीर के लिए काफी हानिकारक हो सकते हैं। हर साल इन रोगों के कारण सैकड़ों लोगों की मौत हो जाती है। इसलिए जरूरी है कि इन रोगों की गंभीरता को समझते हुए बचाव के उपायों पर ध्यान दिया जाए। डेंगू-मलेरिया, चिकनगुनिया तीनों अलग प्रकार के रोग हैं और इसकी गंभीरता भी अलग हो सकती है। आइए जानते हैं कि कैसे इनमें अंतर किया जा सकता है?
पहले डेंगू के बारे में जानिए
डेंगू एक वायरल संक्रमण है जो डेंगू वायरस (DENV) के कारण होता है। इस वायरस से संक्रमित मच्छर दिन में अधिक काटते हैं, इसीलिए सभी लोगों को पूरी आस्तीन के कपड़े पहनने की सलाह दी जाती है। हल्के डेंगू की स्थिति में तेज बुखार और फ्लू जैसे लक्षण हो सकते हैं, जबकि इसकी गंभीर स्थिति में रक्तस्रावी बुखार का खतरा रहता है जिससे गंभीर रक्तस्राव, रक्तचाप में अचानक कमी (सदमा) और मृत्यु तक का जोखिम हो सकता है। डेंगू बुखार में ब्लड प्लेटलेट्स काफी तेजी से कम होने लगते हैं। किसी संक्रमित व्यक्ति के आसपास रहने से आपको डेंगू बुखार नहीं होता। इससे बचाव के लिए मच्छरों को पनपने से रोकने और काटने से बचाव के उपाय किए जाने चाहिए।
मलेरिया की समस्या
डेंगू की तरह मलेरिया भी गंभीर बीमारी है। मलेरिया, परजीवी के कारण होने वाली बीमारी है। यह परजीवी संक्रमित मच्छरों के काटने से मनुष्यों में फैलते हैं। जिन लोगों को मलेरिया होता है वे आमतौर पर तेज बुखार और कंपकंपी वाली ठंड महसूस करते हैं। मलेरिया गंभीर स्थितियों का भी कारण बन सकती है। मलेरिया के कारण फेफड़ों में तरल पदार्थ जमा हो सकता है जिससे सांस लेना मुश्किल हो जाता है। कुछ स्थितियों में यह रोग किडनी-लिवर को भी नुकसान पहुंचा सकती है। दवाइयों से मलेरिया को ठीक किया जा सकता है।
चिकनगुनिया का खतरा
चिकनगुनिया भी मच्छर जनित वायरल बीमारी है जो चिकनगुनिया वायरस (CHIKV) के कारण होती है। इस रोग का पहला लक्षण आमतौर पर बुखार और त्वचा पर दाने-चकत्ते के रूप में दिखता है। इसके अलावा रोगियों को अचानक तेज बुखार आना (आमतौर पर 102 डिग्री फ़ारेनहाइट से ऊपर), जोड़ों का दर्द, सिरदर्द, जी मिचलाने-उल्टी की समस्या भी हो सकती है। वैसे तो चिकनगुनिया के लिए कोई विशिष्ट एंटीवायरल दवा नहीं है, इसलिए उपचार में लक्षणों को कम करने और जटिलताओं से राहत दिलाने के लिए प्रयास किया जाता है। रोगी को खूब सारे तरल पदार्थ पीने और आराम करने की सलाह दी जाती है।
कैसे करें इन रोगों से बचाव?
डॉक्टर कहते हैं, मच्छर जनित सभी रोगों से बचाव के लिए सबसे बेहतर तरीका है कि आप मच्छरों को काटने से बचाव के तरीके अपनाएं। लंबी बाजू के कपड़े पहनें। रात में सोते समय खिड़की-दरवाजों को बंद रखें और मच्छरदानी का प्रयोग करें। मच्छर भगाने वाले क्वाइल्स कई प्रकार से हानिकारक पाए गए हैं, इसलिए इनका प्रयोग कम से कम करें या इससे निकलने वाले धुएं के सीधे संपर्क से बचें।