Tax Free Countries: इन देशों की सरकार जनता से नहीं लेती 1 पैसे का भी टैक्स, फिर कैसे होती है इन देशों की कमाई?

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देश के विकास और उसे चलाने के लिए जनता से टैक्स लिया जाता है। टैक्स किसी भी देश की सरकार की आमदनी का मुख्य हिस्सा होता है। सरकारें दो तरह के टैक्स वसूलती हैं। इनमें से एक डायरेक्ट टैक्स और दूसरा इनडायरेक्ट टैक्स होते हैं। लेकिन कई देश ऐसे भी हैं जहां पर जनता से एक पैसे का भी टैक्स नहीं लिया जाता है।

नई दिल्ली: कोई भी देश हो वहां की सरकार जनता से टैक्स (Individual Income Tax) जरूर लेती है। टैक्स सरकार की इनकम का मुख्य जरिया होता है। सरकारें जनता से दो तरीकों से टैक्स की वसूली करती हैं। इसमे एक होता है डायरेक्ट टैक्स (Direct Tax) और दूसरा इनडायरेक्ट टैक्स (Indirect Tax) होता है। सरकारें जनता से जो टैक्स वसूलती हैं उनसे ही विकास कार्य कराए जाते हैं। लेकिन आपको जानकार आश्यर्च होगा कि बहुत से देश ऐसे भी हैं जहां लोगों को एक पैसे का भी टैक्स नहीं देना पड़ता है। इसके बावजूद इन देशों में लोगों को सरकार की तरफ से अच्छी सुविधाएं मिलती हैं और यह देश तेजी से तरक्की भी कर रहे हैं। आखिर ऐसे कौन से देश हैं जो जनता से टैक्स नहीं ले रहे हें। इन देशों की कमाई कैसे होती है? आईए आपको बताते हैं। सऊदी अरब (Saudi Arab), कतर (Qatar), संयुक्त अरब अमीरात (UAE), ओमान (Oman), बहरीन, कुवैत, बरमूडा आदि ऐसे देश हैं जहां पर जनता को कोई टैक्स नहीं देना पड़ता है, लेकिन इसके बाद भी ये देश काफी अमीर हैं। यहां पर पैसों की कोई कमी नहीं है।

टैक्स नहीं लेने पर कैसे चलता है देश
ऐसे देश जहां पर सरकारें जनता से टैक्स नहीं लेती हैं, वह दूसरी तरह से कमाई करते हैं। इन देशों में कमाई का पहला तरीका इंपोर्ट डयूटी होता है। इन मुल्कों में जो भी सामाना देश के अंदर आता है बाकी देशों के मुकाबले यहां इंपोर्ट टैक्स ज्यादा लगाया जाता है। इंपोर्ट टैक्स ज्यादा होने की वजह से इन देशों में बाहर से जितने भी प्रोडक्ट आते हैं वो काफी महंगे हो जाते हैं। इन देशों में कंपनियों को कॉरपोरेट टैक्स भी नहीं देना पड़ता है। ऐसे में ये देश कमाई के लिए टूरिज्म को काफी सपोर्ट किया जाता है। इन देशों में टूरिस्ट जब घूमकर वापस जाते हैं तो उनसे वापस जाने का भी टैक्स लिया जाता है।

सेल्फ वर्किंग मॉडल पर रहता है जोर
ऐसे देश जो अपने नागरिकों से टैक्स नहीं लेते हैं वहां पर सेल्फ वर्किंग मॉडल पर जोर रहता है। इन देशों में जो भी सरकारी डिपार्टमेंट होते हैं उनकी जो भी कमाई होती है वो उसी से अपना खर्चा चलाते हैं। इसमें सरकार का कोई रोल नहीं रहता है।

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