महाकाल की शरण में पहुंचे नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्‍प कमल दहलप्रचंड, क्‍या चीन से हो रहा मोह भंग?

Date:

नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्‍प कमल दहल प्रचंड की उज्‍जैन के महाकाल मंंदिर में पूजा विवादों में घिर गई है। नेपाल के राजनीतिक विश्‍लेषक इसे प्रचंड की वामपंथी विचारधारा से पीछे हटने को कोशिश से जोड़कर देख रहे हैं। यही कामरेड प्रचंड हैं जिनकी पार्टी ने नेपाल के कई मंदिरों को तोड़ दिया था।

नई दिल्‍ली: कार्ल मार्क्‍स की नीतियों पर चलकर नेपाल की सत्‍ता में आने वाले कामरेड प्रधानमंत्री पुष्‍प कमल दहल प्रचंड मध्‍य प्रदेश के उज्‍जैन में श्री महाकालेश्‍वर मंदिर में भगवान शिव की पूजा की है। नेपाली प्रधानमंत्री इस समय अपनी पहली आधिकारिक विदेश यात्रा के तहत भारत के 4 दिवसीय दौरे पर हैं। यह वही प्रचंड हैं जिन्‍होंने भगवान के नाम पर प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने से इनकार कर दिया था। प्रचंड सीपीएन माओवादी सेंटर के नेता प्रचंड देश और विदेश में वामपंथी राजनीति के लिए जाने जाते हैं। प्रचंड ने नेपाल में हिंदू राजशाही का जोरदार विरोध किया और माओवादियों का नेतृत्‍व करते हुए खूनी अभियान चलाया था। अब वही प्रचंड भगवाधारी हो गए हैं और इसको लेकर वह नेपाल में सवालों के घेरे में आ गए हैं।

काठमांडू पोस्‍ट की रिपोर्ट के मुताबिक प्रचंड पीएम बनने के बाद पहले से चली आ रही अपनी नीतियों को बदलने में जुट गए हैं। प्रचंड की पार्टी ने अंडरग्राउंड रहने के दौरान हिंदू राजा के खिलाफ हिंसक संघर्ष चलाया था और कई बार मंदिरों को तोड़ा तथा देवी-देवताओं की मूर्तियों को नष्‍ट कर दिया था। प्रचंड ने आरोप लगाया था कि नेपाल के समाज में सदियों से चले आ रहे भेदभाव के पीछे वजह हिंदुओं का आधिपत्‍य है और उन्‍होंने धर्मनिरपेक्षता को बढ़ावा दिया था। प्रचंड की पार्टी को इस बात का श्रेय दिया जाता है कि उसने नेपाल को हिंदू देश धर्मनिरपेक्ष बना दिया।

प्रचंड ने 108 किलोग्राम रुद्राक्ष चढ़ाया
रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रचंड ने पिछले साल दिसंबर में तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने पर अपने अंदर बड़ा बदलाव शुरू किया। इसी नीति का नतीजा है कि उन्‍होंने भारत दौरे पर उज्‍जैन जाकर महाकाल भगवान शिव के दर्शन किए। प्रचंड ने न केवल 12 ज्योतिर्लिंगों में एक महाकाल के मंदिर में पूजा की बल्कि 108 किलोग्राम रुद्राक्ष भी चढ़ाया। यही नहीं प्रचंड ने 51 हजार रुपये नकद दान भी किया। प्रचंड अपने साथ काठमांडू से 8 सूटकेस लेकर आए थे जिसमें यह पवित्र रुद्राक्ष भरा हुआ था।

प्रचंड ने महाकाल के मंदिर में पूजा के दौरान मंदिर में भगवा शॉल ओढ़ी और माथे पर चंदन का टीका लगाया। वह कई घंटे तक महाकाल के मंदिर में बने रहे। इस यात्रा के बारे में प्रचंड ने सफाई दी है कि वह इंदौर का कचड़ा प्रबंधन समझने आए हैं और पूजा करने पर कहा कि वह सभी धर्मों का सम्‍मान करते हैं। भगवा कपड़े पहनने पर उन्‍होंने कहा कि यह मंदिर का नियम था जिसे उन्‍होंने केवल माना है। प्रचंड ने कहा कि यह विदेश मंत्री एनपी सूद का आइडिया था कि मैं भी पूजा में शामिल हूं।

नेपाल वामपंथी नेता अवसरवादी: विश्‍लेषक
नेपाली प्रधानमंत्री ने कहा कि लोग इस मंदिर जाने को उनकी वामपंथी राजनीतिक विचारधारा से पीछे हटने के रूप में न देखें। प्रचंड भले ही मंदिर जाने पर सफाई दे रहे हों लेकिन नेपाल के राजनीतिक विश्‍लेषक इसको लेकर कड़े सवाल उठा रहे हैं। नेपाल के राजनीतिक विश्‍लेषक चंद्र किशोर कहते हैं कि प्रचंड सत्‍ता में बने रहने के लिए कोई भी चीज छोड़ सकते हैं। वह किसी भी विचारधारा के साथ समझौता कर सकते हैं। उन्‍होंने कहा कि महाकाल के मंदिर में जाना प्रचंड के विचारधारा से समझौता करने का उदाहरण है।

वहीं अन्‍य विश्‍लेषकों का कहना है कि प्रचंड ऐसी नीतियों का अब पालन कर रहे हैं जिनको लेकर वह और उनकी पार्टी अब तक विरोधी माने जाते रहे हैं। काठमांडू विश्‍वविद्यालय में राजनीति पढ़ाने वाले उद्दब प्‍याकुरेल कहते हैं कि कथित कम्‍युनिस्‍ट नेताओं का पिछले कई साल से चला आ रहा व्‍यवहार यह दर्शाता है कि वे वामपंथी विचारधारा का इस्‍तेमाल केवल वंचित तबके और गरीबों को अपने साथ लाने के लिए कर रहे थे ताकि सत्‍ता को हासिल किया जा सके। उन्‍होंने कहा कि केपी ओली ने भी इसी तरह से पशुपतिनाथ मंदिर में पूजा की और भगवान राम का जन्‍म नेपाल में बता दिया था।

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Share post:

Popular

More like this
Related

भारत के शतरंज सितारे डी. गुकेश के बारे में 10 अनसुनी बातें

डी. गुकेश ने बहुत कम उम्र में अंतरराष्ट्रीय शतरंज...

Pakistan PM Finally Acknowledges India’s BrahMos Missile Strike on Air Bases

In a major revelation that has stunned the international...
en_USEnglish