इस घटना के बाद सेना ने फैसला लिया है कि वह इससे जुड़े एक शख्स को भी छोड़ने वाली नहीं है.
सेना अधिनियम, आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम के तहत मुकदमा इमरान को भारी पड़ सकता है.
आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम के तहत दोषी को सजा के तौर पर मृत्युदंड तक मिल सकता है.
नई दिल्ली: पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद पाकिस्तान में जो हिंसा भड़की उसे लेकर पाकिस्तानी सेना किसी तरह की कोई राहत देने के मूड में नजर नहीं आ रही है. 9 मई को इमरान खान को एक नाटकीय घटनाक्रम में भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. इसके बाद पड़ोसी देश में हिंसक वारदातें हुईं, जिसमें राज्य के संस्थानों खासकर संवेदनशील सैन्य इमारतों पर हमला हुआ. हमला करने वाले पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के समर्थक बताए गए. इसके बाद सेना ने इस पूरे घटनाक्रम को, विदेश समर्थित आंतरिक रूप से उकसाया गया हमला करार दिया है और इस पर किसी तरह का समझौता ना करने का संकेत दिया है.
रावलपिंडी में हुई बैठक
इंडिया टुडे में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक विशेष कोर कमांडर्स (सीसीसी) की जीएचक्यू (जनरल हेडक्वार्टर), रावलपिंडी में एक अहम बैठक आयोजित की गई थी. बैठक में मौजूद पाकिस्तान के थल सेनाध्यक्ष (सीओएएस) जनरल सैयद असीम मुनीर को 9 मई से कानून और व्यवस्था के बारे में विस्तार तौर पर जानकारी दी गई थी. उन्हें बताया गया था कि हिंसा, निहित राजनीतिक हितों को हासिल करने के लिए की गई थी. इंटर सर्विस पब्लिक रिलेशन (आईएसपीआर) ने बताया कि फोरम को मौजूदा आंतरिक और बाहरी सुरक्षा माहौल के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई थी.
हिंसक और आगजनी की घटनाओं की निंदा
बैठक के दौरान आगजनी की घटनाओं को निंदा की गई और इसे राजनीति से प्रेरित घटनाक्रम बताया गया, जिसमें सैन्य संस्थानों सहित सार्वजनिक और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के लिए लोगों को उकसाया गया. आगे बैठक में जानकारी दी गई कि इस घटना की गहन जांच की गई है, जिसके बाद योजना बनाने वाले, उसे अंजाम देने वाले, उकसाने वाले और अन्य अपराधियों के बारे में सारी जानकारी पता लगा ली गई है. आईसीपीआर का कहना था कि सरकारी संस्थानों पर हमला और देश में असंतुलन पैदा करने का प्रयास पूरी तरह से विफल रहा है.