Tripura Election 2023: त्रिपुरा में वोटिंग जारी, 60 विधानसभा सीटों पर कुल 259 उम्मीदवार ताल ठोक रहे हैं

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त्रिपुरा की 60 विधानसभा सीटों पर कुल 259 उम्मीदवार ताल ठोक रहे हैं. सत्ता पर काबिज होने के लिए तमाम दलों ने पूरी ताकत झोंक दी है.

नई दिल्ली: त्रिपुरा विधानसभा चुनाव के लिए गुरुवार (16 फरवरी) को कड़ी सुरक्षा के बीच मतदान जारी है. कट्टर प्रतिद्वंद्वियों कांग्रेस और माकपा ने पूर्वोत्तर राज्य में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को सत्ता से बेदखल करने के लिए हाथ मिला लिया है. इस त्रिकोणीय मुकाबले में सत्तारूढ़ बीजेपी और उसके गठबंधन सहयोगी इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (IPFT) के सामने वाम-कांग्रेस गठबंधन और राज्य की सबसे नई क्षेत्रीय पार्टी टिपरा मोथा खड़ी है.

बीजेपी 55 सीटों पर और उसकी सहयोगी 5 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, क्योंकि दोनों पार्टियों ने अम्पीनगर निर्वाचन क्षेत्र से अपने उम्मीदवार उतारे हैं. वामपंथी जिसमें सीपीएम, फॉरवर्ड ब्लॉक, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) और रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (RSP) शामिल हैं वह 47 सीटों पर चुनाव लड़ रही हैं. वहीं, कांग्रेस ने 13 सीटों पर उम्मीदवारों को खड़ा किया है. शाही वंशज प्रद्योत किशोर देबबर्मा की अध्यक्षता वाली टीआईपीआरए मोथा 42 सीटों पर चुनाव लड़ रही है.

किसके खाते में गईं थी कितनी सीटें?
इस बार की तस्वीर साल 2018 से अलग है. बीजेपी ने साल 2018 में त्रिपुरा में 25 साल से चले आ रहे लेफ्ट के शासन को खत्म कर दिया था. बीजेपी और आईपीएफटी ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा था. बीजेपी को चुनाव में 36 और आईपीएफटी को 8 सीटों पर जीत हासिल हुई थी. बीजेपी गठबंधन के खाते में कुल 44 सीटें गई थीं. वहीं, लेफ्ट (LEFT) को 16 सीटें हासिल हुईं तो कांग्रेस और अन्य खाता भी नहीं खोल सके थे.

पार्टीवार सीटें (साल- 2018)

  1. बीजेपी+ 44
  2. लेफ्ट 16
  3. कांग्रेस 00
  4. अन्य 00

वहीं, 2018 के वोट प्रतिशत की बात करें तो लेफ्ट और बीजेपी के बीच वोट शेयर का अंतर एक फीसदी से भी कम था. बीजेपी को 44 प्रतिशत तो लेफ्ट को 43.35 फीसदी वोट हासिल हुआ था. कांग्रेस को 2 प्रतिशत वोट मिला तो वहीं, आईपीएफटी को 7 प्रतिशत लोगों ने वोट दिया.

वोट प्रतिशत (साल- 2018)

  1. बीजेपी+ 44 प्रतिशत
  2. लेफ्ट 07 प्रतिशत
  3. कांग्रेस 43.35 प्रतिशत
  4. अन्य 02 प्रतिशत

2023 गठबंधन
त्रिपुरा की सियासत में अपने राजनीतिक वजूद को बचाए रखने के लिए इस बार कांग्रेस और लेफ्ट एक साथ चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं, बीजेपी 2018 की तरह इस बार भी आईपीएफटी के साथ गठबंधन में सरकार बनाने की कोशिश में है.

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