जयपुर: राजस्थानकी पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने कहा कि मैं जब राजस्थान की राजनीति में आई तब मुझे भी बहुत संघर्ष करना पड़ा, जो आज भी कम नहीं हुआ है. उस समय भी संघर्ष करना पड़ा था. आज भी संघर्ष करना पड़ रहा हैं. अगर मैं डरकर घर पर बैठ जाती तो यहां तक नहीं पहुंचती. राजे ने ये बातें इनाया फाउंडेशन की ओर से आयोजित वूमन ऑफ वंडर अवार्ड समारोह को संबोधित करने के दौरान कहीं.
पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने रविवार को जयपुर में वूमन ऑफ वंडर अवार्ड 2023 कार्यक्रम को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि बड़े पदों पर पहुंचने वाले लोगों को संघर्ष नहीं करना पड़ता है। जब मैं राजस्थान की राजनीति में आई तो मुझे भी बहुत संघर्ष करना पड़ा। आज भी संघर्ष करना पड़ रहा हैं। राजे ने कहा कि मैं अगर डरकर घर पर बैठ जाती तो आज यहां तक नहीं पहुंच पाती।
राजे ने कहा कि जब मैं राजस्थान की पहली महिला सीएम बनी तो बहुत सारे लोगों ने सवाल उठाए थे। लोग कहते थे कि पुरूष प्रधान प्रदेश हैं। लेकिन उस समय राजस्थान की महिलाओं ने मेरा साथ दिया आज उन्हीं की वजह से यहां खड़ी हूं। दुनिया में सबसे बड़ा संविधान भारत का है। जिसमें महिलाओं और पुरूषों को बराबरी के अधिकार दिए गए हैं। लेकिन आज भी महिलाओं को अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।
पीएम ने महिलाओं के जीवन को बनाया सुगम
पूर्व सीएम ने पीएम मोदी की तारीफ करते हुए कहा कि पीएम ने मुस्लिम बहनों के लिए तीन तलाक जैसी कुप्रथा को समाप्त कर दिया। मोदी सरकार द्वारा हज नीति में लाए गए बदलावों के कारण हज यात्रा सुगम हुई है। जिसका जिक्र आज पीएम मन की बात में भी किया। उन्होंने कहा कि पिछले 9 वर्षों में महिलाओं की स्थिति में बेहद सकारात्मक बदलाव आए हैं।
महिलाएं राष्ट्रपति बनकर देश की बागडोर संभाल रही है
राजे ने कहा कि आज भी विधायिका में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बहुत कम है। लोकसभा में 15 फीसदी, राज्यसभा में 14 फीसदी और विधानसभा में साढ़े 13 फीसदी महिलाएं है जो कि पुरूषों की तुलना में बेहद कम है। उन्होंने कहा कि आज महिलाएं खुश हो रही है कि आजादी के 75 सालों बाद वे अंतरिक्ष में पहुंच गई। फाइटर प्लेन उड़ा रही हैं। राष्ट्रपति बनकर देश की बागडोर संभाल रही हैं। पर वास्तव में यह संख्या महिलाओं की आबादी का अंश मात्र है।