कर्नाटक में बीजेपी को मिली हार के बाद पार्टी ने रणनीति बदल ली है। बीजेपी अब स्थानीय नेताओं को साथ लेकर चलने में जुटी है। इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है कि राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे को पार्टी में फिर से सक्रिय दिखने लगी है।
जयपुर: राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के समर्थकों के लिए अच्छी खबर है। केंद्रीय भाजपा नेतृत्व ने वसुंधरा पर एक बार फिर मन बना लिया है। राजे को केंद्रीय नेतृत्व ने झारखंड की बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। झारखंड में राजे को मिली बड़ी जिम्मेदारी के बाद माना जा रहा है कि उन्हें राजस्थान विधानसभा चुनाव से पहले यहां भी बड़ी जिम्मा सौंपा जाएगा। राजनीति के जानकार झारखंड में राजे को मिली जिम्मेदारी को अच्छे संकेत मान रहे हैं। इसके साथ ही यह कयास हैं कि राजे और केंद्रीय नेतृत्व के बीच अब नजदीकियां बढ़ने लगी हैं।
बीजेपी के आउटरीच अभियान के तहत सौपीं जिम्मेदारी
बता दें कि पीएम नरेंद्र मोदी की ओर से देश के विभिन्न राज्यों में आउटरीच अभियान चलाया जा रहा है। इसके तहत झारखंड में भी इस अभियान की शुरुआत की गई है। इसको लेकर केंद्रीय नेतृत्व ने राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पर भरोसा जताते हुए उन्हें झारखंड की जिम्मेदारी सौंपी है। इसको लेकर राजे ने आउटरीच अभियान के तहत झारखंड के गोड्डा में एक रैली को संबोधित किया। इसके अलावा बीजेपी के कई बड़े नेताओं को भी इसी तरह विभिन्न लोकसभा क्षेत्रों में आउटरीच अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं।
लंबे समय के बाद राजे पर जताया भरोसा
बता दें कि वसुंधरा राजे और भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के बीच काफी समय से दूरियां रही थी। इसको लेकर कई बार वसुंधरा राजे बीजेपी के कार्यक्रमों में कटी कटी नजर आई। लेकिन इस बार विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा की केंद्रीय नेतृत्व ने उन्हें वर्षों बाद बड़ी जिम्मेदारी दी है। जिसके चलते उन्हें झारखंड के गिरिडीह, दुमका, गोड्डा और कोडरमा लोकसभा क्षेत्रों में बीजेपी के अभियान की जिम्मेदारी सौंपी है।
बीजेपी ने काफी समय से वसुंधरा से दूरी बना रखी थी
भाजपा केंद्रीय नेतृत्व ने वसुंधरा राज्य से काफी समय से दूरी बना रखी थी। इधर, राजे की सक्रियता भी पार्टी के कार्यक्रम में नहीं दिख रही थी। इस दौरान देशभर में कई विधानसभा चुनाव और उपचुनाव हुए। लेकिन बीजेपी ने वसुंधरा को स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल नहीं किया। जबकि वसुंधरा राजस्थान से दो बार मुख्यमंत्री रह चुकी है। वसुंधरा को उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर धामी और उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के शपथ ग्रहण समारोह में भी आमंत्रित किया गया था। लेकिन वह दोनों जगहों से नदारद रही। दोनों राज्यों में चुनाव प्रचार के दौरान भी वसुंधरा ने हिस्सा नहीं लिया।
पार्टी नेतृत्व ने वसुंधरा के साथ नजदीकियां बढ़ाई
कर्नाटक में पूर्व सीएम बीएस येदयुरप्पा को दरकिनार करने का खामियाजा भाजपा ने उठाया। इस गलती से सबक लेते हुए पार्टी नेतृत्व अब वसुंधरा के साथ अपने संबंध सुधारने की कोशिश कर रहा है। आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए वसुंधरा को लेकर पार्टी नेतृत्व के तेवर नरम पड़ने लग गए हैं। ऐसी स्थिति में बीजेपी राजस्थान में कर्नाटक की तरह वापस गलती दौरा कर खामियाजा नहीं भुगतना चाहती है।