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RBI ब्‍लॉक स्‍तर पर चलाएगा वित्‍तीय साक्षरता अभियान, गरीब जनता को बचत पर ज्‍यादा रिटर्न मिलना होगा सुनिश्चित

RBI की तरफ से बताया गया है कि देश के 80 ब्लाकों में उसने प्रायोगिक तौर पर वित्तीय समावेश के दूसरे चरण के तहत अभियान चलाया था जिसका काफी फायदा हुआ। अब इसे पूरे देश में चलाया जाएगा और वर्ष 2024 तक हर ब्लाक में अभियान चलेगा

आरबीआइ के निर्देश पर न केवल पूरे देश के लोगों को वित्तीय साक्षरता का पाठ पढ़ाया जाएगा बल्कि किस तरह से बचत करें और ज्यादा रिटर्न कमाएं इसकी भी जानकारी दी जाएगी।
केंद्रीय बैंक ने हाल ही में कहा है कि उसने वित्तीय साक्षरता की महत्वाकांक्षी योजना का खाका तैयार किया है। इसके तहत 2024 तक समाज के वंचित तबके और दूर-दराज में रहने वाले परिवारों को भी वित्तीय लेनदेन, निवेश और फ्राड से बचने के बारे में प्रशिक्षित किया जाएगा।


यह देश में जीडीपी के मुकाबले बचत की औसत को बढ़ाने में एक अहम कदम साबित होगा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सत्ता संभालने के बाद से ही हर भारतीय का अपना बैंक खाता खोलने के लिए पीएम जनधन योजना (PMJDY) की शुरुआत की थी। इसके तहत 45.55 करोड़ खाते खोले गए हैं।
यह कदम सरकार के लिए राजनीतिक रूप से भी फायदेमंद हुआ है क्योंकि अब इस योजना के तहत ही सरकार की कई स्कीमों की राशि सीधे ग्राहकों तक पहुंच रही है। ऐसे में केंद्र सरकार चाहती है कि वित्तीय समावेश की इस योजना का और ज्यादा विस्तार हो और देश की गरीब जनता को उनके बचत पर ज्यादा रिटर्न सुनिश्चित हो।
दर्जनभर से ज्यादा बैंकों और एनबीएफसी की ली जाएगी मदद


आरबीआइ की तरफ से बताया गया है कि देश के 80 ब्लाकों में उसने प्रायोगिक तौर पर वित्तीय समावेश के दूसरे चरण के तहत अभियान चलाया था जिसका काफी फायदा हुआ। अब इसे पूरे देश में चलाया जाएगा और वर्ष 2024 तक हर ब्लाक में अभियान चलेगा। इसमें दर्जन भर से ज्यादा बैंक, एनजीओ और एनबीएफसी की मदद ली जाएगी।

ब्लाकों में प्रायोगिक योजना की सफलता से भारतीय रिजर्व बैंक उत्साहित
वर्ष 2024 तक सभी ब्लाकों में चलेगा वित्तीय साक्षरता का कार्यक्रम
अभियान का एक उद्देश्य जीडीपी के मुकाबले बचत की औसत को बढ़ाना
लोगों को निवेश के लिए किया जाएगा प्रोत्साहित


अभियान का एक मकसद घरेलू बचत के स्तर को सुधारना भी है। ताजे आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2019-20 में जीडीपी की तुलना में भारत की घरेलू बचत दर 31.7 प्रतिशत थी जो वर्ष 2020-21 में घटकर 27.8 प्रतिशत आ गई है।
एक आकलन यह भी है कि हर घर में बैंक खाता खुलने के बावजूद बड़ी संख्या में लोग अभी भी नकदी घरों में रखते हैं। वित्तीय समावेश और साक्षरता का यह नया अभियान इन्हें वित्तीय सेक्टर में निवेश के लिए प्रोत्साहित करेगा।

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