Rajasthan Cricket politics: जल्द शुरू होगा RCA में चुनावी मैच, वैभव गहलोत फिर उतरेंगे मैदान में

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RCA Elections: राजस्थान क्रिकेट की राजनीति एक बार फिर से गरमाने वाली है. कुछ समय बाद आरसीए में चुनावी बिगुल बजने वाला है. माना जा रहा है कि आरसीएस के वर्तमान अध्यक्ष सीएम अशोक गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत (Vaibhav Gehlot) फिर से चुनाव मैदान में उतरेंगे.

जयपुर : राजस्थान क्रिकेट संघ (Rajasthan Cricket Association) में चुनाव का बिगुल बजने वाला है. क्रिकेट की राजनीति में ये चुनाव बेहद महत्वपूर्ण माने जाते हैं. मौजूदा समय में आरसीए पर सीएम अशोक गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत (Vaibhav Gehlot) की अध्यक्षता में चुनी गई कार्यकारणी सत्ता में है. माना जा रहा है वैभव गहलोत दोबारा चुनाव मैदान में उतरेंगे. लेकिन कार्यकारिणी के कुछ सदस्यों के चुनाव लड़ने पर लोढा समिति के नियम आड़े आ सकते हैं. इसके चलते असमंजस की स्थिति बनी हुई हैं के वे चुनाव लड़ पायेंगे या नहीं.

राजस्थान क्रिकेट संघ की मौजूदा कार्यकारिणी का कार्यकाल 4 अक्टूबर को पूरा होने जा रहा है. तीन साल पहले 4 अक्टूबर 2019 में वैभव गहलोत ने आरसीए अध्यक्ष का पदभार ग्रहण किया था. तब उन्होंने रामेश्वर डूडी ग्रुप को चुनाव हराया था. चुनाव जीतने के बाद वैभव गहलोत ने कहा कि वे क्रिकेट की बेहतरी के लिए काम करेंगे और आरसीए के पूर्व अध्यक्ष एवं वर्तमान विधानसभा के अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी के मार्गदर्शन में आगे बढेंगे. इसी के तहत उन्होंने आरसीए में डॉ. जोशी को संरक्षक बनाया था.वैभव गहलोत की दावेदारी होना तय माना जा रहा है
आरसीए ने अक्टूबर में होने वाले इन चुनावों को लेकर अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं. अध्यक्ष के तौर पर वैभव गहलोत की दावेदारी होना तय माना जा रहा है. मौजूदा कार्यकारिणी में उपाध्यक्ष अमीन पठान, सचिव महेन्द्र शर्मा, कोषाध्यक्ष कृष्ण निमावत, संयुक्त सचिव महेन्द्र नाहर और कार्यकारिणी सदस्य देवाराम चौधरी हैं. मौजूदा कार्यकारिणी में से कुछ सदस्यों के दोबारा चुनाव लड़ने पर अभी असंमजस की स्थिति बनी हुई हैं. क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस आरएम लोढा समिति की शिफारिशों को लागू किया गया था.

बीसीसीआई ने कोर्ट से ब्रेक टाइम खत्म करने की मंजूरी मांगी है
उन सिफारिशों के अनुसार राज्य क्रिकेट संघ या बीसीसीआई स्तर के पदाधिकारियों को छह साल के कार्यकाल के बाद तीन साल के ब्रेक से गुजरना होगा. इस नियम की वजह से राज्य संघ के कुछ पदाधिकारी भी इस दायरे में आते हैं. लिहाजा उन्हें भी कूलिंग पीरियड में जाना पड़ सकता है. पिछले दिनों में बीसीसीआई ने अपने प्रस्तावित संशोधन में अपने पदाधिकारियों के लिए कोर्ट से ब्रेक टाइम को खत्म करने की मंजूरी मांगी थी ताकि मौजूदा कार्यकारिणी को छह साल बाद भी पद पर बने रहने का मौका मिल सके. इस मामले में कोर्ट के निर्णय पर अब आरसीए के पदाधिकारियों की निगाहें टिकी हुई हैं.

बीसीसीआई को राहत मिली तो वह राज्य संघों पर भी लागू हो सकती है
हाईकोर्ट अधिवक्ता प्रतीक कासलीवाल का कहना है कि लोढा समिति की शिफारिशें या नियम जो बीसीसीआई पर लागू है वहीं राज्य संघ पर भी हैं. ऐसे में यदि कोर्ट से बीसीसीआई को राहत मिलती तो वह राज्य पदाधकारियों पर भी लागू हो सकती है. आरसीए में चुनावी सरगर्मी शुरू हो चुकी हैं. आरसीए की कार्यकारिणी को तय करने में जिला संघों की अहम भूमिका होती है. दावेदारों के नाम भी जल्द ही सामने आने वाले हैं.

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