Home Astrology and Religion अशोक वृक्ष: इसके पत्तों का इस्तेमाल होता है धार्मिक और मांगलिक कार्यों...

अशोक वृक्ष: इसके पत्तों का इस्तेमाल होता है धार्मिक और मांगलिक कार्यों में, यदि रोजाना चढ़ाएं जल तो गृह कलेश होगा दूर

अशोक के पेड़ के पत्तों का इस्तेमाल धार्मिक और मांगलिक कार्यों में किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि घर में अशोक का पेड़ लगाने से जीवन में अपार सफलता मिलती है। अशोक के पेड़ में रोज जल अर्पित करने से जीवन की कई समस्याएं दूर हो जाती हैं।

New Delhi: अशोक का शाब्दिक अर्थ होता है किसी प्रकार का शोक न होना। जिस घर में अशोक का पेड़ होता है वहां सारे काम बड़ी आसानी से पूरे होते हैं। इन घरों में बिना किसी रुकावट के काम शुभ तरीके से पूरे होते हैं। अशोक के पत्तों से लेकर जड़ तक सभी का अपना एक धार्मिक महत्व है।

क्या हैं जल देने का लाभ
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, अगर आप रोज अशोक के पेड़ में जल देते हैं तो इससे घर में लक्ष्मी जी का वास बना रहता है। मां लक्ष्मी की कृपा बने रहने से व्यक्ति को कभी भी आर्थिक जोखिम नहीं उठाने पड़ते। अशोक के पेड़ में रोज जल अर्पित करने से वैवाहिक जीवन में खुशहाली बनी रहती है। साथ ही इससे घर में मौजूद रोग-दोष भी समाप्त हो जाता है।

इस उपाय से बनी रहेगी पॉजिटिव एनर्जी
अगर आपके घर में बिना किसी वजह के कलेश की स्थिति बनी रहती है तो आपको जरूर ही अशोक के वृक्ष में जल चढ़ाना चाहिए। साथ ही हर शुक्रवार को अशोक के पेड़ के में जल देने के बाद कपूर और घी को मिलाकर दीपक जलाना चाहिए। इससे घर में पॉजिटिव एनर्जी आती है। और घर के लड़ाई-झगड़ो से राहत मिलती है।

क्या होनी चाहिए अशोक के पेड़ की दिशा
वास्तु शास्त्र में उत्तर दिशा का विशेष महत्व बताया गया है। यह सबसे शुभ दिशा मानी गई है, इसलिए अशोक का पेड़ हमेशा उत्तर दिशा में लगाना चाहिए। इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश नहीं होता।

अशोक का पेड़ लगाने के नियम
वास्तु शास्त्र में अशोक के पेड़ को लगाने के भी कुछ नियम बताए गए हैं। अशोक का पेड़ घर के अंदर लगाना शुभ नहीं माना जाता। अशोक के वृक्ष को घर के दरवाजे के बाएं कोने में लगाने से धन की प्राप्ति होती है। घर से वास्तु दोष दूर करने के लिए अशोक की जड़ को गंगाजल से साफ करके घर के मंदिर में रखना चाहिए।

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

हिन्दी
Exit mobile version