ISRO Chandrayaan 3: चांद छूने निकले इसरो के मिशन चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग सफल, अब चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग का इंतजार, पीएम मोदी बोले- ये अंतरिक्ष में नया अध्याय

Date:

इसरो ने कहा कि चंद्रयान-3 ने अपनी सटीक कक्षा में चंद्रमा की ओर अपनी यात्रा शुरू कर दी है. अंतरिक्ष यान पूरी तरह सामान्य व्यवहार कर रहा है. परियोजना निदेशक पी वीरमुथुवेल और इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने LVM3 M4 वाहन को सफलतापूर्वक कक्षा में लॉन्च करने के बाद अपनी खुशी साझा की.

श्री हरिकोटा: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) 4 साल बाद एक बार फिर से पृथ्वी के इकलौते उपग्रह चांद पर चंद्रयान पहुंचाने के अपने तीसरे अभियान को लॉन्च किया. फैट बॉय’ एलवीएम-एम4 रॉकेट ने ठीक 2 बजकर 35 मिनट पर श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरीक्ष केंद्र से चंद्रयान-3 को लेकर उड़ान भरी. इसरो ने कहा कि लॉन्चिंग के कुछ मिनट बाद एमएलवी-एम4 चंद्रयान-3 को पृथ्वी की कक्षा में लेकर सफलतापूर्वक प्रवेश कर गया. इसके बाद चंद्रयान-3 ने लॉन्च रॉकेट से अलग होकर चंद्रमा तक की अपनी यात्रा शुरू कर दी. चंद्रयान-3 को चंद्रमा की सतह पर उतरने में करीब 50 दिन का समय लगेगा. इसरो के मुताबिक 23 या 24 अगस्त तक यह चांद की सतह पर लैंड कर सकता है.

इसरो का चांद पर यान को ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ कराने यानी सुरक्षित तरीके से यान उतारने का यह मिशन अगर सफल हो जाता है तो भारत उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल हो जाएगा, जो ऐसा कर पाने में सक्षम हुए हैं. अगस्त के आखिर में चंद्रयान-3 का लैंडर, रोवर को लेकर चंद्रमा पर उतरेगा. फ्रांस के दौरे पर गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीसरे चंद्रयान मिशन के लिए शुभकामनाएं दीं और कहा कि भारतीय अंतरिक्ष के क्षेत्र में 14 जुलाई 2023 का दिन हमेशा स्वर्ण अक्षरों में अंकित रहेगा तथा यह राष्ट्र की आशाओं और सपनों को आगे बढ़ाएगा. चंद्रयान-2, 2019 में चांद की सतह पर सुरक्षित तरीके से उतरने में विफल रहा था जिससे इसरो का दल काफी निराश हो गया था. तब भावुक हुए तत्कालीन इसरो प्रमुख के. सिवन को गले लगा कर ढांढस बंधाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीरें आज भी लोगों को याद हैं.

इसरो के वैज्ञानिक सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग तकनीक में महारथ हासिल करने का लाक्ष्य साधे हुए हैं. अगर भारत ऐसा कर पाने में सफल हो जाता है वह अमेरिका, चीन और पूर्व सोवियत संघ के बाद इस सूची में चौथा देश बन जाएगा. इसरो अपने चंद्र मॉड्यूल से चांद की सतह पर सॉफ्ट-लैंडिंग कर उसकी जमीन पर चहलकदमी का प्रदर्शन कर नई ऊंचाइयों को छूने जा रहा है. इसरो के अनुसार, यह मिशन भावी अन्तरग्रहीय मिशनों के लिए भी सहायक साबित हो सकता है. चंद्रयान-3 मिशन में एक स्वदेशी प्रणोदन मॉड्यूल, लैंडर मॉड्यूल और एक रोवर शामिल हैं, जिसका उद्देशय अन्तरग्रहीय मिशनों के लिए जरूरी नई प्रौद्योगिकियों का विकास एवं उनका प्रदर्शन करना है.

सबसे लंबे और भारी एलवीएम3 रॉकेट (पूर्व में जीएसएलवी एमके3 कहलाने वाले) की भारी भरकम सामान ले जाने की क्षमता की वजह से इसरो के वैज्ञानिक उसे प्यार से ‘फैट बॉय’ भी कहते हैं. इस ‘फैट बॉय’ ने लगातार 7वीं सफल लॉन्चिंग को अंजाम देकर इसरो का विश्वास कायम रखा. इसरो ने कहा कि एलवीएम-एम4 ने एकबार फिर साबित किया कि बेहद वजनी लॉन्चिंग प्रोग्राम को सफलतापूर्वक पूरा करने में उसका कोई सानी नहीं है. इसरो ने कहा कि चंद्रयान-3 ने अपनी सटीक कक्षा में चंद्रमा की ओर अपनी यात्रा शुरू कर दी है. अंतरिक्ष यान पूरी तरह सामान्य व्यवहार कर रहा है. परियोजना निदेशक पी वीरमुथुवेल और इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने LVM3 M4 वाहन को सफलतापूर्वक कक्षा में लॉन्च करने के बाद अपनी खुशी साझा की.

चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग जुलाई में होने का है वैज्ञानिक कारण
जुलाई महीने में प्रक्षेपण करने का कारण ठीक चंद्रयान-2 मिशन (22 जुलाई, 2019) जैसा ही है क्योंकि साल के इस समय में पृथ्वी और उसका उपग्रह चंद्रमा एक-दूसरे के बेहद करीब होते हैं. आज का मिशन भी चंद्रयान-2 की तर्ज पर होगा, जहां वैज्ञानिक कई क्षमताओं का प्रदर्शन करेंगे. इनमें चंद्रमा की कक्षा पर पहुंचना, लैंडर का उपयोग कर चंद्रमा की सतह पर यान को सुरक्षित उतारना और लैंडर में से रोवर का बाहर निकलकर चंद्रमा की सतह के बारे में अध्ययन करना शामिल है.

चंद्रयान-2 मिशन की विफलता से इसरो ने लिया सबक
चंद्रयान-2 मिशन में लैंडर सुरक्षित रूप से सतह पर नहीं उतर सका था और दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिसकी वजह से इसरो का प्रयास असफल हो गया था. वैज्ञानिकों ने अगस्त महीने में लैंडर को सफलतापूर्वक उतारने के प्रयास में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है. श्रीहरिकोटा में मंगलवार को प्रक्षेपण रिहर्सल संपन्न हुआ, जिसमें प्रक्षेपण की तैयारी और प्रक्रिया आदि शामिल थी और यह पूर्वाभ्यास 24 घंटे से अधिक समय तक चला. इसके अगले दिन, वैज्ञानिकों ने मिशन तैयारी से संबंधित समीक्षा पूरी की.

‘चंद्रयान-3’ की सफलता से देश में अंतरिक्ष विज्ञान के विकास की संभावनाएं बढ़ेंगी- नंबी नारायणन
भारत के महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष कार्यक्रम ‘चंद्रयान-3’ से पहले इसरो के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन ने कहा कि इसकी सफल ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ से भारत यह उपलब्धि हासिल करने वाला चौथा देश बन जाएगा और इससे देश में अंतरिक्ष विज्ञान के विकास की संभावनाएं बढ़ेंगी. उन्होंने पीटीआई-भाषा से बातचीत में कहा कि इससे भारत को वैश्विक अंतरिक्ष कारोबार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने में भी मदद मिलेगी. वर्तमान में 600 अरब डॉलर के अंतरिक्ष उद्योग में भारत की हिस्सेदारी बेहद कम 2 प्रतिशत है. इसरो के पूर्व वैज्ञानिक ने कहा कि चूंकि भारत अब प्रौद्योगिकी विकास में निजी भागीदारी को आमंत्रित कर रहा है, जिससे इस क्षेत्र में और अधिक स्टार्टअप के प्रवेश की गुंजाइश भी बढ़ेगी.

चंद्रयान-3 ने अपनी सटीक कक्षा में चंद्रमा की ओर अपनी यात्रा शुरू कर दी है- ISRO
इसरो ने कहा कि चंद्रयान-3 ने अपनी सटीक कक्षा में चंद्रमा की ओर अपनी यात्रा शुरू कर दी है. अंतरिक्ष यान पूरी तरह सामान्य व्यवहार कर रहा है. परियोजना निदेशक पी वीरमुथुवेल और इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने LVM3 M4 वाहन को सफलतापूर्वक कक्षा में लॉन्च करने के बाद अपनी खुशी साझा की.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Share post:

Popular

more like this
Related

10 lesser-known facts about India's chess star D. Gukesh

D. Gukesh has entered international chess at a very young age...

Pakistan PM Finally Acknowledges India's BrahMos Missile Strike on Air Bases

In a major revelation that has stunned the international...

Kumar Vishwas: The poet's PSO filed a case against an unknown car driver in a dispute with the doctor, made serious allegations

On Wednesday afternoon around 1.30 pm, Kumar Vishwas went to Aligarh...
hi_INहिन्दी