Hanuman Beniwal RLP: Hanuman Beniwal is sometimes roaring at BJP and sometimes at Congress, whose game will he spoil in Rajasthan?

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राजस्थान में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) के अध्यक्ष हनुमान बेनीवाल अपनी सियासी गाड़ी किस ओर मोड़ेंगे, अभी तक इसका अंदाजा नहीं लग पाया है। फिर भी वह एक अहम खिलाड़ी बने हुए हैं।

New Delhi: कई बार विवादित बयान देने वाले हनुमान बेनीवाल राजस्थान की नागौर सीट से सांसद हैं। वह राजस्थान की क्षेत्रीय पार्टी RLP के संस्थापक और संयोजक हैं। 2018 में असेंबली चुनाव से ठीक पहले बनी इस पार्टी ने भले ही तब सीमित सीटों पर चुनाव लड़ा हो, लेकिन अब वह बीजेपी और कांग्रेस से अलग समान विचारधारा वाले छोटे दलों के साथ गठबंधन कर प्रदेश की सभी 200 सीटों पर लड़ने का मन बना रही है। प्रदेश में उसकी तैयारी तीसरा मोर्चा बनाने की है। अप्रत्यक्ष तौर पर बेनीवाल खुद को कई बार मुख्यमंत्री पद का दावेदार बता चुके हैं।

किसानों की राजनीति करते रहे हैं बेनीवाल
जाट परिवार से आने वाले हनुमान बेनीवाल किसानों की राजनीति करते रहे हैं। 2019 में लोकसभा में आने के बाद से उनकी NDA सरकार से करीबी देखी जा रही थी। लेकिन अग्निवीर और किसानों के मुद्दे पर उन्होंने NDA से दूरी बनाने का फैसला किया। हालांकि किसान बिल के वापस होने और किसानों को सम्मान निधि की किस्त दिए जाने के एलान के बाद उनकी बीजेपी से फिर नजदीकियां बढ़ीं।

जाट समुदाय के बड़े नेता बन रहे बेनीवाल
नागौर में बेनीवाल परिवार के धुर विरोधी रहे मिर्धा परिवार की बेटी और पूर्व कांग्रेस नेता ज्योति मिर्धा के बीजेपी में शामिल होने के बाद समीकरण बदल गए। अब हनुमान बेनीवाल के NDA के साथ आने की संभावना पर सवाल उठते दिख रहे हैं। हनुमान बेनीवाल के पिता रामदेव और भाई नारायण बेनीवाल नागौर की खींवसर विधानसभा सीट से हरेंद्र मिर्धा के सामने चुनाव मैदान में उतर चुके हैं। हनुमान बेनीवाल नागौर के एक किसान परिवार से हैं। उनका जन्म 1972 में नागौर के बरनगांव में हुआ था।

बीजेपी से बने पहली बार विधायक, फिर छोड़ दी थी पार्टी
बेनीवाल ने राजस्थान यूनिवर्सिटी से 1993 में ग्रेजुएशन किया और 1998 में LLB की डिग्री ली। उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत बीजेपी के साथ की। 2008 में वह इसी पार्टी के टिकट पर नागौर जिले की खींवसर सीट से विधायक बने, लेकिन आगे चलकर कांग्रेस से कथित रिश्तों के चलते उन्हें बीजेपी छोड़नी पड़ी। इसके बाद 2013 में वह इसी सीट से बतौर निर्दलीय उम्मीदवार जीते। 2018 में हनुमान बेनीवाल अपनी पार्टी की ओर से चुनाव में उतरे और जीते। राजस्थान यूनिवर्सिटी छात्र संघ के अध्यक्ष रहे हनुमान बेनीवाल का छात्र राजनीति से पुराना रिश्ता रहा है।

छात्र संघ चुनाव के मुद्दे पर गहलोत सरकार की आलोचना
पिछले दिनों राजस्थान में छात्र संघ चुनाव रद्द किए जाने को लेकर बेनीवाल ने अशोक गहलोत सरकार की आलोचना की थी। बेनीवाल का गुस्सा 2017 में राजस्थान असेंबली में तब दिखा था, जब प्रश्न काल में लिस्ट में उनका नाम होने के बावजूद तत्कालीन स्पीकर ने उन्हें सवाल पूछने का मौका नहीं दिया था। तब बेनीवाल ने वेल में उतरकर विरोधस्वरूप अपने प्रश्न की कॉपी फाड़ दी थी। उन्होंने इसे अन्याय बताते हुए तत्कालीन बीजेपी सरकार पर जमकर हमला बोला था। इसी तरह 2015 में निर्दलीय विधायक बेनीवाल ने वसुंधरा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे यूनुस खान पर एक गैंगस्टर को पुलिस कस्टडी से भागने में मदद करने का आरोप लगाया था। बेनीवाल का आरोप था कि उक्त गैंगस्टर ने 2013 में चुनाव जीतने में खान की मदद की थी। इस मामले में उन्होंने CBI जांच की मांग उठाई थी।

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